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This Article is From Aug 15, 2013

मिस्र में मुर्सी समर्थकों पर कार्रवाई में मरने वालों की संख्या 525 पहुंची

मिस्र में मुर्सी समर्थकों पर कार्रवाई में मरने वालों की संख्या 525 पहुंची
मुर्सी के समर्थकों पर हमले के तबाही के मंजर
काहिरा: मिस्र के अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के समर्थकों पर सुरक्षा बलों की सबसे हिंसक कार्रवाई में 525 से अधिक लोगों के मारे जाने के एक दिन बाद गुरुवार को मुस्लिम ब्रदरहुड ने सेना समर्थित सरकार को सत्ता से हटाने का संकल्प लेते हुए एक विशाल रैली का आह्वान किया।

इस बीच, मिस्र की एक अदालत ने मुर्सी की हिरासत की अवधि 30 दिनों के लिए और बढ़ा दी। काहिरा की एक अपीली अदालत ने आज 62 वर्षीय मुर्सी की हिरासत अवधि और 30 दिन के लिए बढ़ाए जाने का आदेश दिया। वह पूर्व राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के समय 2011 में पुलिस थानों पर हमला करने और जेल से कैदियों को भगाने के आरोपों का सामना कर रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि मिस्र में राष्ट्रव्यापी हिंसा में मरने वालों की संख्या 525 पहुंच गई है जिससे 2011 के अरब स्प्रिंग के बाद मिस्र के इतिहास में कल का दिन सबसे ज्यादा खूनखराबे वाले दिन के तौर पर दर्ज हुआ। अरब स्प्रिंग के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक को पद से बेदखल कर दिया गया था।

ब्रदरहुड के प्रवक्ता गेहाद अल हद्दाद ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है, ‘हम हमेशा ही अहिंसक और शांतिपूर्ण रहेंगे। हम मजबूत रहेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘जब तक हम इस सैन्य शासन को नहीं हटा देते तब तक हम आगे बढ़ते रहेंगे।’

इस्लामी संगठन ने एक बयान में कहा, ‘लोगों के मारे जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए आज दोपहर अल इमान मस्जिद से मार्च निकाले जाने की योजना थी।’ सरकारी ईजीवाई न्यूज साइट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया है कि दो प्रदर्शन शिविरों से मुर्सी के समर्थकों को सुरक्षा बलों द्वारा हटाए जाने के बाद देश में कल हुई झड़पों में कम से कम 525 लोग मारे गए और 3,500 लोग घायल हो गए।

ब्रदरहुड ने कहा कि वह राजधानी काहिरा में एक रैली निकालने की योजना पर अमल की तैयारी कर रहा है। गृह मंत्रालय ने बताया कि मारे गए लोगों में 43 पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं।

वहीं, मुस्लिम ब्रदरहुड ने दावा किया है कि हिंसा में 2,000 से अधिक लोग मारे गए हैं।

हालांकि, मिस्र के सेना समर्थित अंतरिम प्रधानमंत्री ने मुर्सी के समर्थकों के खिलाफ रबाबा अल अदावेया और अलनाहदा में हुई सुरक्षा बलों की कार्रवाई का बचाव किया है। हज्म अल बेबलवी ने कल टीवी पर दिए एक बयान में कहा कि हमने पाया कि हालात वहां पहुंच गए हैं, जहां आत्मसम्मान रखने वाला कोई देश इसे स्वीकार नहीं कर सकता।

बताया जा रहा है कि शिविरों और प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया। ये लोग मुर्सी को फिर से राष्ट्रपति पद पर बहाल करने की मांग कर रहे थे। 62 वर्षीय इस्लामवादी मुर्सी को सेना ने 3 जुलाई को अपदस्थ कर दिया था। सरकार ने कल एक महीने का आपातकाल लागू किया था।

अल जजीरा समाचार चैनल की खबर के मुताबिक सुरक्षा बलों ने शिविरों पर अपनी कार्रवाई में कई लोगों को मार डाला। इस बीच, उपराष्ट्रपति मोहम्मद अल बरदेई ने कल इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि वह जिन फैसलों से सहमत नहीं हैं उनकी जिम्मेदारी नहीं ले सकते।

उधर, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस हिंसा की निंदा की है। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने इसे दुखद बताया। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, फ्रांस, ईरान, कतर और तुर्की ने सेना समर्थित अंतरिम सरकार द्वारा बल प्रयोग किए जाने के कदम की सख्त निंदा की।

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