फाइल फोटो...
काहिरा:
मिस्र की एक अदालत ने हमास जासूसी कांड में मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी की आजीवन कारावास की सजा को पलटते हुए मामले की फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिस्र की सर्वोच्च अपीलीय अदालत ने आदेश दिया है कि मुर्सी तथा प्रतिबंधित मुस्लिम ब्रदरहुड के मोहम्मद बदी सहित 21 सह-प्रतिवादियों के खिलाफ भी फिर से मुकदमा चलेगा.
फिलिस्तीनी समूह हमास, लेबनानी समूह हिजबुल्ला तथा ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड को कथित तौर पर खुफिया दस्तावेज देने के आरोप में बीते साल जून में मुर्सी को 25 साल की सजा सुनाई गई थी.
न्यायालय ने जेल ब्रेक मामले में मुर्सी की मौत की सजा को पिछले सप्ताह पलट दिया था. इस मामले में मुर्सी को मौत की सजा नहीं मिलेगी.
देश भर में मुर्सी के खिलाफ हुए व्यापक विरोध-प्रदर्शन के बाद सेना ने मुर्सी को जुलाई 2013 में सत्ता से बेदखल कर दिया था.
सत्ता से बेदखल राष्ट्रपति को कई मामलों में सजाएं मिली थीं, जिनके खिलाफ उन्होंने अपील कर रखी है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिस्र की सर्वोच्च अपीलीय अदालत ने आदेश दिया है कि मुर्सी तथा प्रतिबंधित मुस्लिम ब्रदरहुड के मोहम्मद बदी सहित 21 सह-प्रतिवादियों के खिलाफ भी फिर से मुकदमा चलेगा.
फिलिस्तीनी समूह हमास, लेबनानी समूह हिजबुल्ला तथा ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड को कथित तौर पर खुफिया दस्तावेज देने के आरोप में बीते साल जून में मुर्सी को 25 साल की सजा सुनाई गई थी.
न्यायालय ने जेल ब्रेक मामले में मुर्सी की मौत की सजा को पिछले सप्ताह पलट दिया था. इस मामले में मुर्सी को मौत की सजा नहीं मिलेगी.
देश भर में मुर्सी के खिलाफ हुए व्यापक विरोध-प्रदर्शन के बाद सेना ने मुर्सी को जुलाई 2013 में सत्ता से बेदखल कर दिया था.
सत्ता से बेदखल राष्ट्रपति को कई मामलों में सजाएं मिली थीं, जिनके खिलाफ उन्होंने अपील कर रखी है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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