अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की मुस्लिमों के रजिस्ट्रेशन की योजना की आलोचना हो रही है (फाइल फोटो).
वाशिंगटन:
शीर्ष डेमोक्रेटिक सांसदों और मानवाधिकार संगठनों ने मुस्लिम-बहुल देशों से आए प्रवासियों की सूची तैयार करने की नीति को फिर से बहाल करने की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कथित योजना की आलोचना की है.
नेशनल सिक्योरिटी एंट्री-एक्जिट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एनएसईईआरएस) 9..11 के हमले के बाद शुरू हुआ कार्यक्रम है, जिसके तहत खास मुस्लिम बहुल देशों से अमेरिका आने वाले लोगों को तत्काल संघीय सरकार के समक्ष पंजीकरण कराना पड़ता है या निर्वासन का सामना करना पड़ता है.
सीनेटर डिक डर्बिन ने कहा, ‘‘हमारे देश में अरब और मुस्लिमों को लक्ष्य करके विफल कार्यक्रमों को फिर से बहाल करना यह दिखाता है कि अमेरिका में चुनाव की रात आईएसआईएस क्यों जश्न मना रहा था. इसकी वजह यह थी कि देश डर के साये में नागरिक अधिकारों को कुचलने की तरफ बढ़ रहा था. हमारे शत्रु उत्साहित हैं और नई नियुक्तियों से उनका खेमा मजबूत हो रहा है.’’
डर्बिन ने कहा, ‘‘वर्ष 2002 में मैंने इस कार्यक्रम को बंद करने की मांग की थी क्योंकि इससे आतंकवाद से निपटने में मदद मिलेगी, इस बात को लेकर गहरी शंका थी. आतंकी विशेषज्ञ इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि इस कार्यक्रम से देश की सुरक्षा के लिए निर्धारित कीमती कोष बर्बाद हुआ और अरब एवं अमेरिकी मुस्लिम अलग-थलग पड़ गए. इस तरह के विफल कार्यक्रम आतंकवाद से निपटने की दिशा में गलत कदम हैं और इसकी वापसी कभी नहीं हो, इसके लिए मैं लड़ूंगा.’’
कांग्रेशनल प्रोगेसिव कॉकस (सीपीसी) के सह-अध्यक्ष रॉल एम ग्रिजाल्वा और केथ एलिसन, कांग्रेशनल एशियन पेसिफिक अमेरिकन कॉकस की अध्यक्षा जूडी चू, सीपीसी उपाध्यक्ष कांग्रेसी माइक होंडा और सीपीसी उपाध्यक्ष मार्क टोकानो ने जापानी-अमेरिकी नजरबंदी शिविरों का इस्तेमाल मुस्लिमों के पंजीकरण के लिए करने के ट्रंप के सहयोगी कार्ल हिग्बी के सुझाव की आलोचना की.
होंडा ने कहा, ‘‘ये टिप्पणियां परेशान करने वाली हैं. यह भय है, साहस नहीं. यह नफरत है, नीति नहीं.’’ एलिसन ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के निर्वाचन के बाद हजारों अमेरिकियों में आने वाले दिनों में देश के स्वरूप को लेकर भय है. पिछली रात उनके एक सहयोगी ने हमें दिखाया कि इतनी बड़ी संख्या में लोग ट्रंप प्रशासन से क्यों भयभीत हैं.’’ चू ने कहा, ‘‘अमेरिकी मुस्लिमों को पंजीकृत करने संबंधी किसी भी प्रस्ताव के लिए हमारे समाज में जगह नहीं है. इस तरह के विचारों का आधार खौफ, विभाजन और नफरत है.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
नेशनल सिक्योरिटी एंट्री-एक्जिट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एनएसईईआरएस) 9..11 के हमले के बाद शुरू हुआ कार्यक्रम है, जिसके तहत खास मुस्लिम बहुल देशों से अमेरिका आने वाले लोगों को तत्काल संघीय सरकार के समक्ष पंजीकरण कराना पड़ता है या निर्वासन का सामना करना पड़ता है.
सीनेटर डिक डर्बिन ने कहा, ‘‘हमारे देश में अरब और मुस्लिमों को लक्ष्य करके विफल कार्यक्रमों को फिर से बहाल करना यह दिखाता है कि अमेरिका में चुनाव की रात आईएसआईएस क्यों जश्न मना रहा था. इसकी वजह यह थी कि देश डर के साये में नागरिक अधिकारों को कुचलने की तरफ बढ़ रहा था. हमारे शत्रु उत्साहित हैं और नई नियुक्तियों से उनका खेमा मजबूत हो रहा है.’’
डर्बिन ने कहा, ‘‘वर्ष 2002 में मैंने इस कार्यक्रम को बंद करने की मांग की थी क्योंकि इससे आतंकवाद से निपटने में मदद मिलेगी, इस बात को लेकर गहरी शंका थी. आतंकी विशेषज्ञ इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि इस कार्यक्रम से देश की सुरक्षा के लिए निर्धारित कीमती कोष बर्बाद हुआ और अरब एवं अमेरिकी मुस्लिम अलग-थलग पड़ गए. इस तरह के विफल कार्यक्रम आतंकवाद से निपटने की दिशा में गलत कदम हैं और इसकी वापसी कभी नहीं हो, इसके लिए मैं लड़ूंगा.’’
कांग्रेशनल प्रोगेसिव कॉकस (सीपीसी) के सह-अध्यक्ष रॉल एम ग्रिजाल्वा और केथ एलिसन, कांग्रेशनल एशियन पेसिफिक अमेरिकन कॉकस की अध्यक्षा जूडी चू, सीपीसी उपाध्यक्ष कांग्रेसी माइक होंडा और सीपीसी उपाध्यक्ष मार्क टोकानो ने जापानी-अमेरिकी नजरबंदी शिविरों का इस्तेमाल मुस्लिमों के पंजीकरण के लिए करने के ट्रंप के सहयोगी कार्ल हिग्बी के सुझाव की आलोचना की.
होंडा ने कहा, ‘‘ये टिप्पणियां परेशान करने वाली हैं. यह भय है, साहस नहीं. यह नफरत है, नीति नहीं.’’ एलिसन ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के निर्वाचन के बाद हजारों अमेरिकियों में आने वाले दिनों में देश के स्वरूप को लेकर भय है. पिछली रात उनके एक सहयोगी ने हमें दिखाया कि इतनी बड़ी संख्या में लोग ट्रंप प्रशासन से क्यों भयभीत हैं.’’ चू ने कहा, ‘‘अमेरिकी मुस्लिमों को पंजीकृत करने संबंधी किसी भी प्रस्ताव के लिए हमारे समाज में जगह नहीं है. इस तरह के विचारों का आधार खौफ, विभाजन और नफरत है.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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