करगिल युद्ध, 1999 के दौर में अमेरिका में पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत रियाज खोखर ने रविवार को कहा कि, युद्ध के दौर में अमेरिका ने इस्लामाबाद को संदेश भेजा था, 'भारत पगलाया जा रहा है। कृपया जिन क्षेत्रों पर आपने कब्जा किया है वहां से हट जाएं।'
पाकिस्तानी सैनिकों के नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के करीब 15 साल बाद यह मुद्दा इस्लामाबाद साहित्य महोत्सव में उठा।
वार्ता सत्र में पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव खोखर और पूर्व राजदूत तारिक उस्मान हैदर और पत्रकार नसीम जेहरा सहित सभी वक्ताओं ने युद्ध के विभिन्न पहलुओं पर खुलकर अपने विचार रखे।
तीनों वक्ताओं ने माना कि इस युद्ध को टाला जा सकता था। खोखर ने करगिल युद्ध पर अमेरिकी की प्रतिक्रिया के बारे में बताया।
उन्होंने कहा, 'इसे टाला जा सकता था। (अमेरिकी) विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने मुझे फोन किया था और कहा था कि जिन क्षेत्रों पर हमने कब्जा किया है वहां से हट जाएं।'
खोखर ने कहा कि पाकिस्तान की सबसे बड़ी असफलता यह रही कि वह विश्वसनीय साख विकसित नहीं कर सका। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि हमें एक गैर-जिम्मेदार देश के रूप में देखा गया।'
उन्होंने कहा कि सेना में इस बात को लेकर आम सहमति थी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को युद्ध के विषय में समुचित जानकारी दी गई थी। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि यदि पाकिस्तान पीछे नहीं हटता तो युद्ध का क्षेत्र बड़ा हो सकता था।
अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे रियाज खोखर ने कहा, 'अमेरिका ने कहा था भारत पागलों की तरह उछल रहा है। आप लोगों ने जिन क्षेत्रों पर कब्जा किया है कृपया वहां से हट जाएं, वरना युद्ध क्षेत्र का विस्तार हो सकता है। यह सिर्फ एक धमकी था जिसका अमेरिका ने उपयोग किया।'
उन्होंने कहा कि भारत की ओर से सेना की कोई गतिविधि नहीं हो रही थी जिससे लगे कि युद्ध क्षेत्र का विस्तार हो सकता है।
पत्रकार नसीम जेहरा ने कहा, 'करगिल ऐसा है नहीं जिसपर बतौर प्राधिकार पाकिस्तानी सेना गर्व कर सके।' उन्होंने कहा, 'चार जनरलों का एक करगिल गुट था जिसने इसकी योजना बनायी, जो कमोबेश एक हादसा था।'
जेहरा ने कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों को करगिल युद्ध की योजना बनाने वालों से ज्यादा अच्छे नेतृत्व की जरूरत थी।
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