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'गोल्डन डोम' क्यों चाह रहे ट्रंप? इजरायल जैसा मिसाइल डिफेंस क्यों आसान नहीं, समझिए

Explained: डोनाल्ड ट्रंप बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ अमेरिकी ढाल बनाना चाहते हैं. लेकिन यह मिसाइल डिफेंस तैयार करना इतना भी आसान नहीं हैं. जानिए क्यों?

'गोल्डन डोम' क्यों चाह रहे ट्रंप? इजरायल जैसा मिसाइल डिफेंस क्यों आसान नहीं, समझिए
(डोनाल्ड ट्रंप गोल्डन डोम बनाने को तैयार)
नई दिल्ली:

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल की 'आयरन डोम' मिसाइल डिफेंस के ही तर्ज पर 'गोल्डन डोम' बनाने की कसम खाई है. उन्होंने कहा कि "भविष्य की सबसे शक्तिशाली सेना" की नींव रखने जा रहे हैं. उन्होंने अमरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक में कहा कि इसके लिए पहला कदम "मातृभूमि की रक्षा के लिए अत्याधुनिक मिसाइल ढाल (शील्ड)" के लिए फंड देना होगा.

यानी ट्रंप बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ अमेरिकी ढाल बनाना चाहते हैं. लेकिन यह मिसाइल डिफेंस तैयार करना इतना भी आसान नहीं हैं. डिजाइन, विकास और इसके संचालन के लिहाज से यह सबसे जटिल हथियार प्रणालियों में से एक हैं.

उन्होंने दावा किया कि अमेरिका के 40वें राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन (1981 से 1989 तक राष्ट्रपति रहे), ऐसा ही एक डिफेंस सिस्टम बनाना चाहते थे. लेकिन तब उनके पास ऐसा करने के लिए जो टेक्नोलॉजी चाहिए, उसका अभाव था. ट्रंप ने कहा, "इजरायल और अन्य देशों के पास यह है... और अमेरिका के पास भी होना चाहिए."

ट्रंप शायद रणनीतिक रक्षा पहल (स्ट्रैटेजिक डिफेंस इनिशिएटिव) का जिक्र कर रहे थे. इसकी घोषणा रीगन ने 1983 में रूस के अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों को रोककर और उन्हें मार गिराकर अमेरिका के बचाव के लिए की थी. इसमें मिसाइलों को ट्रैक करने के लिए अंतरिक्ष-आधारित 'लेजर' हथियार शामिल थे. 

लेकिन इस प्लानिंग में में कई महत्वपूर्ण तकनीकी और यहां तक ​​कि नैतिक चुनौतियां थीं. हालांकि जब 1991 में सोवियत संघ (तात्कालिक रूस) का विघटन हुआ तो यह प्रोग्राम पीछे रह गया, आगे काम नहीं हुआ.

एक बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस शील्ड किसी आने वाली मिसाइल को ट्रैक करता है और उसे हवा में ही मार गिराता है, यानी एक तरह का कवच. इसमें इंटरलॉक सिस्टम होते हैं जो कि बैलिस्टिक हथियारों का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और रोकने के लिए डिजाइन किए गए हैं. उद्देश्य साफ है- मिसाइल लगने के पहले मार गिराओ. 

ट्रंप का 'गोल्डन डोम'. इसमें क्या है?

किसी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस शील्ड में कई भाग होते हैं. वैसा ही अमेरिका करने जा रहा है.

स्पेस बेस्ड इन्फ्रारेड सिस्टम

शुरुआत स्पेस बेस्ड इन्फ्रारेड सिस्टम (SBIRS) से करते हैं. यह मिसाइलों और हवाई खतरों का पता लगाने में सहायता करता है. इस सिस्टम में SBIRS के सेटेलाइट (जो अंतरिक्ष में घूम रहे हैं) किसी लॉन्च होने वाली मिसाइल की प्रारंभिक चेतावनी देते हैं और उसकी जानकारी जमीन पर मौजूद रडार तक भेजते हैं. इनके बिना, आने वाली बैलिस्टिक मिसाइल के लॉन्च का पता लगाना लगभग असंभव हो जाता है.

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ग्राउंड-बेस्ड मिडकोर्स डिफेंस

ग्राउंड-बेस्ड मिडकोर्स डिफेंस या GMD, अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ अमेरिका की रक्षा की रीढ़ है. आने वाली मिसाइलों को उनके मध्य चरण के दौरान ही रोकने के लिए GMD अलास्का और कैलिफोर्निया में जमीन पर तैनात इंटरसेप्टर का उपयोग करता है.

एजिस बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस, या BMD, एक समुद्र और जमीन-आधारित सिस्टम है जो छोटी से मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को मारने के लिए युद्धपोतों (वॉरशिप) का उपयोग करती है.

टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस

टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस, या THAAD, एक चलता-फिरता जमीन-आधारित सिस्टम है. यह छोटी, मध्यम और मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को उनके टर्मिनल चरण में रोकता है. THAAD हिट-टू-किल टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है. यानी ये डिफेंस मिसाइलें आने वाली मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करने के लिए उनसे आमने-सामने टकराती हैं.

खास बात है कि THAAD सिस्टम इजरायल के पास भी है. पिछले साल दिसंबर में इसका इस्तेमाल किया गया था जब कथित तौर पर ईरान समर्थित विद्रोही समूह, हूती ने यमन से एक बैलिस्टिक मिसाइल दागी थी. इसकी मदद से उस मिसाइल को इजरायल ने रोक दिया था. 
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एक मानक THAAD एक ट्रक जैसा दिखता है जिसमें आठ इंटरसेप्टर वाले छह लॉन्चर, एक रडार और एक फायर कंट्रोल सिस्टम शामिल होता है. इसका रडार 3,000 किमी दूर तक खतरों का पता लगा सकता है.

टर्मिनल स्टेज में कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों और अन्य हवाई खतरों के लिए, अमेरिका पैट्रियट एडवांस्ड कैपेबिलिटी-3 (PAC-3), इंटरसेप्टर मिसाइलों पर निर्भर है. ये प्रशांत क्षेत्र में चीन के हाइपरसोनिक हथियारों की संभावित तैनाती का मुकाबला करने की योजना का भी हिस्सा हैं.

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इजरायल का 'आयरन डोम'

अब इजरायल के 'आयरन डोम' को भी जान-समझ लेते हैं. इजरायल के मिसाइल डिफेंस शील्ड का विकास 2007 में शुरू हुआ. 2011 तक इसने काम करना चालू कर दिया था. यह कई स्टेज वाला सिस्टम एक है जिसके केंद्र में 'आयरन डोम' है. दूसरे स्टेज मध्य से लंबी दूरी की मिसाइलों के लिए 'डेविड स्लिंग' के साथ-साथ एरो-2 और एरो-3 हैं, जो लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराती हैं.

एरो 2 सिस्टम को डेवलप करेने में साल में जितना खर्च आया, उसमें से आधे को अमेरिका ने फंड किया. 2020 तक कुल एरो वेपन सिस्टम के लिए अमेरिका का वित्तीय योगदान $3.7 बिलियन से अधिक हो गया था.

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