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ड्रैगन को आखिर क्या है डर? चीन अपने रक्षा बजट पर इतना पैसा क्यों बहा रहा है, समझिए

चीन और अमेरिका किस तरह एक-दूसरे के सामने दिख रहे हैं और चीन कैसे साल-दर-साल अपने रक्षा बजट को बढ़ाता जा रहा है?

ड्रैगन को आखिर क्या है डर? चीन अपने रक्षा बजट पर इतना पैसा क्यों बहा रहा है, समझिए
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपित शी जिनपिंग
नई दिल्ली:

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के खिलाफ टैरिफ वाला हथकंडा अपना रहे हैं. अब चीन ने पलटवार किया है. चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह "किसी भी प्रकार" का युद्ध लड़ने के लिए तैयार है. पहले ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर 20% टैरिफ लगाया और इसके बाद दुनिया की ये टॉप दो अर्थव्यवस्थाएं और चिर प्रतिद्वंद्वी टैरिफ वॉर के करीब पहुंच गई हैं. चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका के कृषि उत्पादों पर 10-15% टैरिफ लगा दिया है.

इससे पहले बुधवार, 5 मार्च को चीन के प्रधान मंत्री ली कियांग ने घोषणा की कि चीन इस साल रक्षा पर अपने खर्च को फिर से 7.2% बढ़ा देगा. यहां समझने की कोशिश करते हैं कि चीन और अमेरिका किस तरह एक-दूसरे के सामने दिख रहे हैं और चीन कैसे साल-दर-साल अपने रक्षा बजट को बढ़ाता जा रहा है.

चीन और अमेरिका क्यों आमने सामने हैं? फेंटेनल वाला पेंच

वैसे तो चीन पर टैरिफ को लेकर ट्रंप हमेशा से हमलावर रहे हैं लेकिन अभी जो टैरिफ लादा गया है उसका कनेक्शन फेंटेनल से है. अमेरिका ने अभी तक जिन तीन देशों- चीन, मेक्सिको और कनाडा- पर टैरिफ लगाए हैं, वो तीनों ही फेंटेनल मुद्दे से किसी न किसी तरह से जुड़े हैं. 

अमेरिका में मौजूद चीनी दूतावास ने फेंटेनल मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ का जवाब दिया है. एक्स पर पोस्ट किए गए एक बयान में, दूतावास ने इस बात पर जोर दिया कि मामले को सुलझाने के लिए अमेरिका को चीन के साथ बैठकर बात करनी चाहिए. इसमें कहा गया,
 

“अगर अमेरिका वास्तव में फेंटेनल मुद्दे को हल करना चाहता है, तो एक-दूसरे के साथ समान व्यवहार करके चीन के साथ परामर्श करना सही है. यदि अमेरिका युद्ध चाहता है, चाहे वह टैरिफ युद्ध हो, व्यापार युद्ध हो, या किसी और तरह का युद्ध हो, हम लड़ने के लिए तैयार हैं..”

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर फेंटेनल है क्या और अमेरिका इससे क्यों परेशान हो गया है?

फेंटेनल क्या है और अमेरिका क्यों बेहाल?

आसान शब्दों में कहें तो फेंटेनल एक खतरनाक ड्रग्स है. यूएस कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन एजेंसी की साइट के अनुसार फेंटेनल बेहद शक्तिशाली और विश्वास न हो सके, उस हद तक खतरनाक है. इसका केवल 2 मिलीग्राम - रेत के कुछ दानों के बराबर - ओवरडोज का कारण बन सकता है और इस ड्रग्स को लेने वाले की मौत हो सकती है. कोकीन और हेरोइन भी इसके सामने कमजोर ड्रग्स दिखते हैं.

अमेरिका में इस ड्रग्स ने तबाही मचा रखी है. व्हाइट हाउस (अमेरिकी राष्ट्रपति के ऑफिस) के अनुसार:

  • 2021 से अब तक, अमेरिका में ड्रग्स ओवरडोज से होने वाली मौतों में सबसे प्रमुख कारण फेंटेनल ही रहा. इसके बाद इसी लिस्ट में मेथामफेटामाइन, कोकीन और हेरोइन का स्थान आता है.
  • अमेरिका के अंदर 2022 और 2023 में ड्रग्स से होने वाली मौतों में से 68 प्रतिशत - कुल 216,294 मौतें- सिंथेटिक ओपिओइड, मुख्य रूप से फेंटेनल के कारण हुईं.
  • पूरे वियतनाम युद्ध में जितने अमेरिकियों की जान गई, उससे कहीं अधिक अमेरिकी हर साल फेंटेनल के ओवरडोज से मर रहे हैं. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, फेंटेनल मिले ड्रग्स लेने के बाद 2023 में 74,000 से अधिक अमेरिकियों की मौत हो गई.


ट्रंप फेंटेनल ड्रग्स की स्मगलिंग के लिए चीन, मेक्सिको और कनाडा को ही कसूरवार मानते हैं. जिस केमिकल से फेंटेनल का उत्पादन होता है उसका प्राथमिक सोर्स चीन ही है. चीन पर यह आरोप है कि यह जानते हुए भी कि इन केमिकल का उपयोग फेंटेनल बनाने में होता है, वह इसे मेक्सिको और कनाडा भेजता है. यहां के ड्रग्स कार्टेल अपने लैब में इस केमिकल को फेंटेनल में बदलते हैं और स्मगलिंग के जरिए बॉर्डर पार करके अमेरिका में लाते हैं.

चीन का झुकने से इंकार

चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की तरफ से टैरिफ को बढ़ाने की वजह के रूप में फेंटेनल मुद्दे को खारिज कर दिया है. मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “फेंटेनल के संकट के लिए कोई और नहीं, बल्कि अमेरिका ही जिम्मेदार है. अमेरिकी लोगों के लिए मानवता और सद्भावना की भावना से, हमने इस मुद्दे से निपटने में अमेरिका की सहायता के लिए मजबूत कदम उठाए हैं. हमारे प्रयासों को स्वीकार करने के बजाय, अमेरिका ने चीन पर दोष लगाने की कोशिश की है. वह टैरिफ बढ़ाने के साथ चीन पर दबाव बनाने और उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है.”

अमेरिका की चुनौती के बीच चीन रक्षा बजट पर बहा रहा पैसा

बीजिंग ने कहा है कि चीन अपने रक्षा बजट को 2025 में 7.2 प्रतिशत बढ़ाएगा. पिछले साल भी उसने रक्षा बजट को इतना ही बढ़ाया था. चीन अपने रक्षा बजट पर इतना पैसा क्यों बहा रहा है? दरअसल उसकी सेना तेजी से आधुनिकीकरण से गुजर रही है और वह अमेरिका के साथ गहरी रणनीतिक प्रतिस्पर्धा पर नजर रख रहा है. सशस्त्र बलों पर चीन का खर्च दशकों से बढ़ रहा है, जो मोटे तौर पर उसके आर्थिक विकास के अनुरूप है. हालांकि वह अभी भी अमेरिका से इस मोर्चे पर बहुत पीछे है और यह बात उसे अच्छे से पता है.

अमेरिका के बाद चीन के पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य बजट है. इस साल के लिए बीजिंग का 1.78 ट्रिलियन-युआन (245.7 बिलियन डॉलर) रक्षा बजट अभी भी वाशिंगटन के एक तिहाई से भी कम है.

AFP ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, पिछले साल चीन का सैन्य खर्च उसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 1.6 प्रतिशत था, जो अमेरिका या रूस से काफी कम था. लेकिन चीन के बढ़ते रक्षा बजट को वाशिंगटन के साथ-साथ जापान सहित क्षेत्र की अन्य शक्तियां संदेह की नजर से देखती हैं. बीजिंग का रक्षा खर्च बढ़ाना ताइवान के लिए भी चिंता का कारण है, जिसके बारे में बीजिंग का कहना है कि यह उसके क्षेत्र का हिस्सा है और जिसे जरूरत पड़ने पर बलपूर्वक अपने में मिलाया जा सकता है.

चीन भले अपने सैन्य रुख को "रक्षात्मक" बताता है लेकिन इसके व्यापक क्षेत्रीय दावों ने क्षेत्रीय संघर्ष की आशंका पैदा कर दी है.
AFP की रिपोर्ट के अनुसार स्वीडन स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सिक्योरिटी एंड डेवलपमेंट पॉलिसी के डॉयरेक्टर निकलास स्वानस्ट्रॉम ने कहा है कि चीन और अमेरिका के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है, ऐसे में चीन अपने सैन्य खर्च को धीमा नहीं कर सकता."

भले ही अभी दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी टक्कर आर्थिक मोर्च पर दिख रही है, लेकिन जिस तरह का मिजाज दोनों लीडर (ट्रंप और जिनपिंग) का है, कब क्या होने लगे नहीं पता. 

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