
पैसा, पावर और इमोशनल कार्ड… अगर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी संसद में दिए संबोधन को केवल 3 शब्दों में समेटना हो तो ये तीनों शब्द काफी होंगे. किसी साथी देश को हडकाया तो किसी को दिखाया कि बॉस कौन है. विरोधी देशों पर नरम दिखे तो घरेलू मुद्दों पर बेकाक अंदाज दिखाया. ट्रंप ने अपने 100 मिनट के रिकॉर्ड तोड़ लंबी स्पीच में अपने हर रंग दिखाए.
तो सवाल यही कि ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र के अपने पहले संबोधन में जो कुछ कहा है उसका कुल जमा क्या निकलता दिख रहा है?
पैसा, पैसा और पैसा..
डोनाल्ड ट्रंप जेहन से बिजनेस पहले हैं और डिप्लोमेटिक राजनेता बाद में. उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में जिन संरक्षणवादी नीतियों की शुरुआत की थी, उनपर दूसरे कार्यकाल में डबल जोर देना शुरू कर दिया है. इसके लिए उन्हें किसी देश से टक्कर लेने से गुरेज नहीं है, चाहे वो यूरोप के साथी देश हों या खुद भारत. ट्रंप ने एक बात बार-बार कही है कि जो देश अमेरिकी प्रोडक्ट के आयात पर टैरिफ लगाते हैं, वो जवाबी टैरिफ के लिए तैयार रहें. ट्रंप पहले ही चीन (20%), कनाडा (25%) और मेक्सिको (25%) के खिलाफ टैरिफ का ऐलान कर चुके हैं.
ट्रंप के इस फैसले ने टैरिफ वॉर का खतरा पैदा कर दिया है. चीन और कनाडा ने जवाबी टैरिफ का ऐलान पहले ही कर दिया है और मेक्सिको ने भी तैयारी कर ली है. इस बीच वर्ल्ड इकनॉमी सकते में है और संभलकर पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुई है.
क्या हुआ तेरा वादा… पुरानी कमिटमेंट से बाहर अमेरिका
ट्रंप की अगुवाई में अमेरिका अपने कई पुराने वादों को तोड़ता दिख रहा है और ट्रंप ने संसद में भी इस ओर ठीक-ठाक इशारा किया. ट्रंप ने पेरिस जलवायु संधि से अमेरिका को बाहर निकालने की बात करते हुए इसे ग्रीन न्यू स्कैम बताया है. उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन को भ्रष्ट बताते हुए उसमें से अमेरिका को बाहर निकालने की बात की. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद को अमेरिका विरोधी करार देते हुए उसमें से भी बाहर निकलने की घोषणा कर दी.
डिप्लोमेटिक फॉर्मलिटी, वो क्या होता है?
ट्रंप की डिप्लोमेसी उनके अपने मिजाज सी होती है, नहीं पता कब क्या कर जाएं. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से जिस तरह व्हाइट हाउस में कैमरे के सामने तू-तू मैं-मैं किया, वैसा कभी नहीं हुआ. कुछ ऐसा ही अंदाज उन्होंने संसद में दिखाया. पनामा से सीधे-सीधे पनामा नहर वापस लेने की बात की, डेनमार्क के क्षेत्र में आने वाले ग्रीनलैंड के लोगों से कहा कि अमेरिका में शामिल हो जाओ, ऐसे ना वैसे तो हम ले ही लेंगे.
इमोशनल कार्ड के जरिए नैरेटिव सेट
ऐसा लगा कि ट्रंप की यह स्पीच अच्छे से कोरियोग्राफ की गई थी. ट्रंप बोलते गए और सामने मौजूद लोगों की भीड़ से एक-एक किरदार खड़े होते गए. ट्रंप अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर सुपर एक्टिव हैं और उसपर अपने कड़े रुख को वैधता देने के लिए वो जीवंत कहानियां पेश करते रहे. इससे उनकी बात और मजबूती से सामने आ रही थी.
स्पीच के सबसे वायरल मोंमेट में से एक में, ट्रंप ने ब्रेन कैंसर से पीड़ित 13 साल के एक बच्चे, डीजे को बड़ा तोहफा दिया. राष्ट्रपति ने बताया कि डीजे बड़ा होकर पुलिसकर्मी बनना चाहता है. ट्रंप ने उसे सबके सामने सीक्रेट सर्विस में शामिल कर लिया. उसे एजेंसी के डायरेक्टर ने सीक्रेट सर्विस बैज दिया.
मस्क से दोस्ती बनी रहेगी
दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क की ताकत अमेरिका में बढ़ भी रही है और बढ़ती दिख भी रही है. ट्रंप ने अपनी स्पीच के शुरुआती हिस्से में ही उनका नाम लिया. अमेरिकी सरकार की फिजुलखर्ची रोकने के लिए बने नए विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट इफिसियेंसी (DOGE) के लीडर के रूप में एलन मस्क के कामोंं की तारीफ की. "थैंक्यू एलन.. वह बहुत मेहनत कर रहा है. जबकि उसे इसकी जरूरत नहीं है."
यहां एलन मस्क की पहुंच को समझना है तो एक बात जान लीजिए. व्हाइट हाउस का कहना है कि एलन मस्क DOGE के लीडर नहीं है जबकि सच्चाई यह है कि उनका कंट्रोल भी है और ट्रंप संसद के सामने इनका DOGE के लीडर के रूप में ही परिचय भी करते हैं. ट्रंप के विरोधी और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता बार-बार यह आरोप लगा रहे हैं कि ट्रंप शासन में एलन मस्क की ताकत बहुत अधिक हो गई है और वह सरकार की नीतियों को अपने फायदे के लिए प्रभावित कर रहे हैं.
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