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जस्टिन ट्रूडो और मोहम्मद यूनुस क्या चिंता में पड़े? ट्रंप की जीत से दुनिया के इन 5 नेताओं में से कुछ खुश, तो कुछ दुखी

US Election Results 2024: दुनिया में युद्धों और आर्थिक अस्थिरता के दौर में डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति बनना दुनिया के कुछ नेताओं के लिए खुशी का सबब है तो कुछ के लिए यह नई चुनौतियां लाने वाली घटना है.

जस्टिन ट्रूडो और मोहम्मद यूनुस क्या चिंता में पड़े? ट्रंप की जीत से दुनिया के इन 5 नेताओं में से कुछ खुश, तो कुछ दुखी
डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं.

US Election 2024 Results: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप की जीत हुई है. उन्होंने जीत के लिए तय 270 इलेक्टोरल वोट से काफी अधिक वोट हासिल कर लिए हैं. उन्हें 277 इलेक्टोरल वोट मिल चुके हैं. उनकी प्रतिद्वंदी डेमोक्रेटिक कमला हैरिस को 224 इलेक्टोरल वोट मिले हैं. जब दुनिया में कई मोर्चों पर संघर्ष चल रहे हैं तब अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी थीं. एक तरफ जहां युक्रेन-रूस और इजरायल का हमास, हिज्बुल्लाह व ईरान के खिलाफ संघर्ष जारी है वहीं दूसरी तरफ दुनिया की अर्थव्यवस्था अस्थिरता के भंवर में फंसी हुई है. इन हालात में डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति बनना दुनिया के कुछ नेताओं के लिए खुशी का सबब है तो कुछ के लिए यह नई चुनौतियां लाने वाली घटना है.  

डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. 78 साल की उम्र में, वे व्हाइट हाउस में कदम रखने वाले सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति होंगे. वे पराजित होने के बाद चुने जाने वाले अमेरिकी इतिहास के दूसरे राष्ट्रपति बन गए हैं. इससे पहले यह रिकॉर्ड सिर्फ ग्रोवर क्लीवलैंड के नाम था जो 1892 में दूसरी बार चुनाव जीते थे. डोनाल्ड ट्रंप की यह दूसरी जीत इस लिहाज से भी खास है कि इस बार रिपब्लिकन पार्टी ने सीनेट में बहुमत हासिल कर लिया है.     

इजरायल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के लिए ट्रंप का राष्ट्रपति बनना फायदेमंद हो सकता है. दूसरी तरफ कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार और अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस के लिए ट्रंप का अमेरिका में सत्तासीन होना चिंता का कारण हो सकता है. 

जस्टिन ट्रूडो अब खालिस्तानी कश्ती में नहीं कर सकेंगे नैया पार 

कनाडा अमेरिका का पड़ोसी है और कनाडा भारत के खिलाफ खालिस्तान आंदोलन को संरक्षण दे रहा है. सवाल उठ रहा है कि क्या डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से जस्टिन ट्रूड की खालिस्तान परस्त नीति पर कोई फर्क पड़ेगा. संकेत मिल रहे हैं कि ट्रंप के शासन में कनाडा में खालिस्तानियों पर नकेल कसी जाएगी. आशा की जा रही है कि ट्रंप भारत-कनाडा संबंधों में आए तनाव का समाधान निकाल सकते हैं. इस मुद्दे पर ट्रंप की एक पोस्ट के बाद खालिस्तान के मसले पर जस्टिन ट्रूडो ने अपना रुख नरम कर लिया है. कनाडा में जस्टिन ट्रूडो के सामने ट्रंप की बात सुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. 

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ट्रंप ने कहा है कि वे भारत और नरेंद्र मोदी के साथ संबंधों को और मजबूत करेंगे. ट्रंप बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि भारत की कीमत पर वे कनाडा की गलतियों को अनदेखा करें. ट्रूड पर ट्रंप का दबाव होगा तो कनाडा वही करेगा जो अमेरिका चाहेगा. खालिस्तानियों का समर्थन लेकर कनाडा की सत्ता संभालते रहे जस्टिन ट्रूडो अब आरामदायक स्थिति में नहीं रहेंगे.  

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जेलेंस्की हो सकते हैं हथियार डालने के लिए मजबूर

यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध लंबे समय से जारी है. इस युद्ध के पीछे नाटो और अमेरिका सहित नाटो के सदस्य देशों की ताकत है जो कि रूस के खिलाफ एकजुट हैं. लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद स्थितियां पूरी तरह बदलने की संभालना है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप न तो नाटो के पक्ष में रहे हैं और न ही वे युद्ध जारी रहने के पक्ष में हैं. यह हालात यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के पक्ष में नहीं हैं. ट्रंप युद्ध को जल्द ही समाप्त करा सकते हैं. ट्रंप यूक्रेन को दी जा रही मदद बंद कर सकते हैं. इससे उसकी युद्ध क्षमताएं सीमित हो जाएंगी. ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि वे राष्ट्रपति बनेंगे तो यूक्रेन-रूस युद्ध 24 घंटे के अंदर खत्म करा देंगे. इसके मायने यह भी हैं कि ट्रंप यूक्रेन को मदद देना बंद करके उसे रूस के साथ समझौता करने के लिए मजबूर कर सकते हैं. अमेरिका की मदद के बगैर यूक्रेन को अपनी जमीन का बड़ा हिस्सा खोना पड़ सकता है. 

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ट्रंप के आने से नाटो को लेकर अमेरिका की नीति में बदलाव हो सकते हैं. ट्रंप ने संकेत दिया है कि वे यूक्रेन को समर्थन देना समाप्त कर देंगे और उसे रूस के साथ उसकी शर्तों पर समझौते के लिए दबाव डालेंगे. संभव है कि ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में नाटो को छोड़ दें, या फिर रूस को समर्थन देकर उसका प्रभाव कम कर दें. 

मोहम्मद यूनुस के सामने चुनौतियां 

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान बुरा अनुभव मिल चुका है. अमेरिका में 2016 में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप से बांग्लादेश के एक डेलीगेशन ने मुलाकात की थी. इस डेलीगेशन में कुछ डिप्लोमेट, प्रमुख बांग्लादेशी नागरिक और कुछ सरकारी अधिकारी शामिल थे. तब ट्रंप ने एक ऐसा सवाल पूछ लिया था जिससे सब हैरान रह गए थे. उन्होंने प्रतिनिधि मंडल से परिचय से पहले ही मोहम्मद यूनुस को लेकर एक सवाल पूछा था. ट्रंप ने पूछा था- "वह ढाका का माइक्रो फाइनेंसर कहां है?" 

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ट्रंप ने कहा था कि, "मैंने सुना है कि उन्होंने (मोहम्मद यूनुस) मुझे चुनाव में हराने के लिए डोनेशन दिया था." तब यूनुस ढाका के माइक्रो-फाइनेंस स्पेशलाइज्ड कम्युनिटी डेवलपमेंट बैंक के प्रमुख थे. माइक्रो फाइनेंसिंग में अच्छा काम करने के लिए यूनुस को सन 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. बांग्लादेशी डेलीगेशन में शामिल एक अधिकारी ने उस दौरान एक इंटरव्यू में कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप यूनुस और उनकी संस्थाओं से नाराज थे.

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इसी साल अगस्त में बांग्लादेश में छात्रों का हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ और शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद त्यागकर देश से भगकर भारत में शरण लेनी पड़ी. बांग्लादेशी सेना ने मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार बना दिया. यूनुस के पद संभालने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और खास तौर पर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा हुई. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा का जिक्र किया था और बांग्लादेश सरकार की आलोचना की थी. उन्होंने हिंदू-अमेरिकियों को 'कट्टरपंथी वामपंथ' के धर्म-विरोधी एजेंडे से बचाने का वादा भी किया था.

अब जब ट्रंप फिर से अमेरिका का राष्ट्रपति पद संभाल रहे हैं तब बांग्लादेश में सत्ता की बागडोर यूनुस के हाथों में है. बांग्लादेश आर्थिक संकट से उबर नहीं पा रहा है. उसे मदद की दरकार है. यदि अमेरिका जैसा शक्ति संपन्न देश उसका बहिष्कार करता है तो यह उसके लिए गंभीर चिंता का विषय हो सकता है. शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश के उद्योग और व्यापार संकट में हैं. कई देश मौजूदा सरकार के पक्ष में नहीं हैं. ऐसे में अमेरिका की नाराजगी बांग्लादेश के संकट को और गहरा कर सकती है.        

बेंजामिन नेतन्याहू हो जाएंगे अधिक शक्तिशाली 

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए डोनाल्ड ट्रंप की जीत खुशी देने वाली है. अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत से इजरायल का पक्ष अधिक मजबूत होने की संभावना है. इजरायल के पीएम नेतन्‍याहू ने ट्रंप को जीत पर बधाई दी है. नेतन्‍याहू ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'व्हाइट हाउस में आपकी ऐतिहासिक वापसी अमेरिका के लिए नए युग की शुरुआत है, साथ ही इजरायल और अमेरिका के बीच रिश्‍तों की दिशा में शक्तिशाली प्रतिबद्धता है. यह एक बहुत शानदार जीत है.' 

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अपने पिछले कार्यकाल में यरुशलम को इजरायल की राजधानी बताते हुए उसका समर्थन कर चुके डोनाल्ड ट्रंप इस बार के चुनाव में भी इजरायल के पक्ष में बोलते रहे. ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान खुलकर कहा था कि अमेरिका हमेशा इजरायल के साथ खड़ा रहेगा. उन्होंने कहा था कि, ''जो भी यहूदी है या यहूदी और इजरायल से प्यार करता है वह यदि डेमोक्रेट को वोट देता है तो वह बेवकूफ है.'' उनका यह कथन साफ तौर पर फिलिस्तीनियों के विरोध में और इजरायल के समर्थन में था. यानी कि इजरायल के लिए ट्रंप की जीत फायदेमंद साबित होगी. 

नाटो पर लगाम के साथ पुतिन के आ सकते हैं अच्छे दिन 

डोनाल्ड ट्रंप के दुबारा अमेरिका की सत्ता में आने से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खुश होंगे. वैसे तो अमेरिका और रूस के संबंध हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं लेकिन ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में यह स्थिति बदलने की कोशिश की थी. फिलहाल वे प्राथमिकता से रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त कराना चाहते हैं. डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा भी है कि वे युद्ध खत्‍म करा देंगे.

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रूस यूक्रेन के बहुत बड़े हिस्से पर कब्‍जा कर चुका है. यदि बिना किसी समझौते के यह युद्ध समाप्त हो जाता है तो व्लादीमिर पुतिन को इससे खुशी मिलेगी. पूर्व में डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन के संबंध अच्छे रहे हैं. वे आपस में कई बार बातचीत भी कर चुके हैं.

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