अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) प्रशासन ने गुरुवार को दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक (Facebook) पर एक मुकदमा दर्ज कराया है और उच्च वेतन वाली नौकरियों में अमेरिकी लोगों से भेदभाव करने के आरोप लगाए हैं. आरोप में कहा गया है कि कंपनी अप्रवासी श्रमिकों की मदद कर उन्हें हाई सैलरी पर रखती है जबकि अमेरिकी लोगों को अवसर मुहैया नहीं कराती है.
अमेरिकी न्याय विभाग के मुकदमे ने तकनीकी कंपनियों के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है. इस कार्रवाई को राष्ट्रपति ट्रम्प की आव्रजन नीति के एक हिस्से के रूप में देखा जा रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने कार्यकाल के अंतिम महीने में हैं.
मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि फेसबुक ने जनवरी 2018 से लेकर सितंबर 2019 तक कुल 2600 लोगों को जॉब ऑफर किया है जिनकी औसत सैलरी 1.56 लाख डॉलर है.
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न्याय विभाग के नागरिक अधिकार प्रभाग के सहायक अटॉर्नी जनरल एरिक ड्रिबैंड ने आरोपों को सार्वजनिक करने वाले एक आधिकारिक बयान में कहा, "फेसबुक इच्छुक और योग्य अमेरिकी श्रमिकों पर विचार करने के बजाय अस्थायी वीज़ा धारकों के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित करके, जानबूझकर भेदभाव कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानून के उल्लंघन में संलग्न है."
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न्याय विभाग के अधिकारी ने आरोप लगाया कि फेसबुक ने H1-B वीजाधारी 'स्किल्ड वर्कर" या अन्य अस्थायी वीजाधारी वाले उम्मीदवारों के लिए पदों को आरक्षित कर रखा है. आरोप में यह भी कहा गया है कि फेसबुक अपनी वेबसाइट पर वैकेंसी की सूचना दिए बिना सीधे वीजाधारकों को जॉब ऑफर करता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं