न्यूयॉर्क:
न्यूयॉर्क की एक अदालत ने एक भारतीय राजनयिक व उनके पति को अपनी भारतीय घरेलू नौकरानी के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने के मामले में उसे 15 लाख डॉलर देने को कहा है।
'न्यूयार्क पोस्ट' के मुताबिक भारतीय वाणिज्य दूतावास की पूर्व प्रेस काउंसलर नीना मल्होत्रा व उनके पति जोगेश मल्होत्रा ने अपनी भारतीय नौकरानी शांति गुरुंग के साथ दुर्व्यवहार किया था। न्यायाधीश ने राजनयिक से जो राशि चुकाने के लिए कहा है उसमें से पांच लाख डॉलर की राशि शांति गुरुं ग को पहुंचाए गए भावनात्मक कष्ट के लिए है।
मेनहट्टन के फेडरल मजिस्ट्रेट जज फ्रेंक मास के मुताबिक मल्होत्रा दम्पत्ति ने अपनी पूर्व नौकरानी का पासपोर्ट व वीजा जब्त कर उसे बिना पैसे के काम करने के लिए मजबूर किया था और उसे अपने अपार्टमेंट से बाहर निकलने से रोका था। मल्होत्रा दम्पत्ति ने नौकरानी को धमकाया था कि यदि उसने उनकी इजाजत के बिना खुद यात्रा की तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा, उसके साथ मारपीट होगी, उसका बलात्कार किया जाएगा और उसे किसी सामान की तरह वापस भारत भेज दिया जाएगा। मामले की जांच कर रहे जज विक्टर मारीरो ने मास की इन अनुशंसाओं को ध्यान में रखा। दिसम्बर 2010 में मारीरो ने मल्होत्रा दम्पत्ति के खिलाफ गुरुं ग को फैसला सुनाया। मल्होत्रा दम्पत्ति मामले की सुनवाई से पहले ही भारत लौट गए थे। गुरुंग ने अपने मुकदमे में आरोप लगाया था कि उसे 2006 में ए-3 वीजा पर अमेरिका लाया गया था और उससे दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास में यह बताने के लिए कहा गया कि उसे काम के लिए प्रति घंटा सात डॉलर मिलते हैं। गुरुं ग से उसकी जन्मतिथि के बारे में भी झूठ बोलने के लिए कहा गया था। उसने अमेरिकी अधिकारियों के सामने खुद को 18 साल की बताया जबकि उसकी वास्तविक उम्र 17 वर्ष थी।
जून 2006 के बाद से गुरुं ग बहुत बुरी परिस्थितियों में रह रही थी। उसकी नियुक्ति के समय उसे जो काम करने के लिए कहा गया था, अब उसे उससे कहीं ज्यादा काम करने पड़ रहे थे। गुरुं ग के कामों में भोजन पकाना, साफ-सफाई करना, मल्होत्रा की हर रोज मसाज करना, खरीददारी करना, कपड़े धोना और मल्होत्रा दम्पत्ति द्वारा अक्सर रात के तीन बजे तक चलने वाली पार्टियों में कई इंतजाम करना शामिल था।
'न्यूयार्क पोस्ट' के मुताबिक भारतीय वाणिज्य दूतावास की पूर्व प्रेस काउंसलर नीना मल्होत्रा व उनके पति जोगेश मल्होत्रा ने अपनी भारतीय नौकरानी शांति गुरुंग के साथ दुर्व्यवहार किया था। न्यायाधीश ने राजनयिक से जो राशि चुकाने के लिए कहा है उसमें से पांच लाख डॉलर की राशि शांति गुरुं ग को पहुंचाए गए भावनात्मक कष्ट के लिए है।
मेनहट्टन के फेडरल मजिस्ट्रेट जज फ्रेंक मास के मुताबिक मल्होत्रा दम्पत्ति ने अपनी पूर्व नौकरानी का पासपोर्ट व वीजा जब्त कर उसे बिना पैसे के काम करने के लिए मजबूर किया था और उसे अपने अपार्टमेंट से बाहर निकलने से रोका था। मल्होत्रा दम्पत्ति ने नौकरानी को धमकाया था कि यदि उसने उनकी इजाजत के बिना खुद यात्रा की तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा, उसके साथ मारपीट होगी, उसका बलात्कार किया जाएगा और उसे किसी सामान की तरह वापस भारत भेज दिया जाएगा। मामले की जांच कर रहे जज विक्टर मारीरो ने मास की इन अनुशंसाओं को ध्यान में रखा। दिसम्बर 2010 में मारीरो ने मल्होत्रा दम्पत्ति के खिलाफ गुरुं ग को फैसला सुनाया। मल्होत्रा दम्पत्ति मामले की सुनवाई से पहले ही भारत लौट गए थे। गुरुंग ने अपने मुकदमे में आरोप लगाया था कि उसे 2006 में ए-3 वीजा पर अमेरिका लाया गया था और उससे दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास में यह बताने के लिए कहा गया कि उसे काम के लिए प्रति घंटा सात डॉलर मिलते हैं। गुरुं ग से उसकी जन्मतिथि के बारे में भी झूठ बोलने के लिए कहा गया था। उसने अमेरिकी अधिकारियों के सामने खुद को 18 साल की बताया जबकि उसकी वास्तविक उम्र 17 वर्ष थी।
जून 2006 के बाद से गुरुं ग बहुत बुरी परिस्थितियों में रह रही थी। उसकी नियुक्ति के समय उसे जो काम करने के लिए कहा गया था, अब उसे उससे कहीं ज्यादा काम करने पड़ रहे थे। गुरुं ग के कामों में भोजन पकाना, साफ-सफाई करना, मल्होत्रा की हर रोज मसाज करना, खरीददारी करना, कपड़े धोना और मल्होत्रा दम्पत्ति द्वारा अक्सर रात के तीन बजे तक चलने वाली पार्टियों में कई इंतजाम करना शामिल था।
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