अमेरिका की एक संसदीय समिति ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 70 करोड़ डॉलर की सहायता रोकने पर सहमति जताई है।
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वाशिंगटन:
पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच अमेरिका की एक संसदीय समिति ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 70 करोड़ डॉलर की सहायता तब तक के लिए रोकने पर सहमति जताई है, जब तक कि इस्लामाबाद अफगानिस्तान में घरेलू स्तर पर निर्मित बमों के खिलाफ लड़ाई में मदद नहीं करता। हाउस और सीनेट की सशस्त्र सैन्य समितियों में शामिल रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक, दोनों दलों के नेताओं ने पाकिस्तान को अमेरिकी सहायता रोकने पर सहमति जताई है। इस सहमति के एक रक्षा विधेयक के हिस्से के रूप में इस सप्ताह पारित होने की सम्भावना है। हाउस में रिपब्लिकन प्रतिनिधि हॉवर्ड मैकिऑन ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, "अमेरिका, पाकिस्तान से यह आश्वासन चाहता है कि वह घरेलू स्तर पर निर्मित बमों से निपट रहा है। ये बम हमारे गठबंधन बलों को निशाना बना रहे हैं।" मैकिऑन ने कहा कि विधेयक को इस बात की भी जरूरत होगी कि पेंटागन पाकिस्तान को अमेरिकी सहायता की प्रभावकता सुधारने के लिए एक रणनीति मुहैया कराए। पाकिस्तान 2001 से लेकर अबतक अमेरिका से सुरक्षा एवं आर्थिक सहायता के रूप में कोई 20 अरब डॉलर की राशि प्राप्त कर चुका है। आतंकवादी, इन बमों को अमेरिकी और गठबंधन सेना के खिलाफ सबसे प्रभावी हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ऐसे कई बम अमोनियम नाइट्रेट से बनाए जाते हैं। अमोनियम नाइट्रेट एक सामान्य उर्वरक है, जो पाकिस्तान से सीमा पार कर अफगानिस्तान पहुंच जाता है। सीनेटर जॉन मैक्के न ने पिछले सप्ताह कहा था, "अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले विस्फोटकों में इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर सामग्री पाकिस्तान स्थित दो उर्वरक कारखानों से आती है।" इस्लामाबाद को सहायता राशि रोके जाने पर सहमति ऐसे समय में बनी है, जब 26 नवम्बर को दो पाकिस्तानी सीमा चौकियों पर हुए उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के हवाई हमले के बाद दोनों देशों के बीच सम्बंध तनावपूर्ण हो गए हैं। इस हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई थी।