विज्ञापन
This Article is From Mar 16, 2022

Explainer: Ukraine की Anti-Tank मिसाइलें Russia को रणनीति बदलने पर ऐसे करेंगी मजबूर

यूक्रेन (Ukraine) में जितनी एंटी टैंक मिसाइल (Anti Tank Missile) हाल ही के हफ्तों में भेजी गईं हैं, उनकी संख्या होश उड़ा देने वाली है. इससे यूक्रेन के सैनिकों को इन हथियारों का ऐसा ज़खीरा मिला है जो आधुनिक युद्ध (War) में शायद पहले कभी नहीं देखा गया. - सैन्य विश्लेषक

Explainer: Ukraine की  Anti-Tank  मिसाइलें Russia को रणनीति बदलने पर ऐसे करेंगी मजबूर
जैवलिन और NLAWs दोनों टैंक पर ऊपर से हमला करते हैं, जहां वो सबसे कमजोर होता है

यूक्रेन (Ukraine) में भेजी गईं एंटी टैंक मिसाइलों (Anti-Tank Missiles) ने युद्ध में रूस को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है. इससे रूस पर दबाव डलेगा कि वो शहरी लड़ाई के लिए अपने और क्षमतावान सैनिक ढूंढे. एंटी टैंक मिसाइल.  सैन्य विश्लेषकों के अनुसार, यूक्रेन में जितनी एंटी टैंक मिसाइल हाल ही के हफ्तो में भेजी गईं हैं, उनकी संख्या होश उड़ा देने वाली है. इससे यूक्रेन के सैनिकों को इन हथियारों का ऐसा ज़खीरा मिला है जो आधुनिक युद्ध में शायद पहले कभी नहीं देखा गया. ब्लूमबर्ग की खबर के अनुसार, केवल ब्रिटेन ने ही 3,615 छोटी रेंज के हल्के आधुनिक एंटी टैंक हथियार (NLAW) भेजे हैं लॉन्चर्स के साथ. जर्मनी (Germany) ने कहा है कि वो अपने ज़खीरे से 1,000 एंटी टैंक हथियार भेजेगा. नॉर्वे (Norway)  2000, स्वीडन (Sweden) 5000 और अमेरिका (US) जैवलिन (Javelin) मिसाइल सिस्टम भेज रहा है, जिसकी संख्या उसने सार्वजनिक नहीं की है. दूसरे देशों ने भी हथियार भेजे हैं, कई आधुनिक तकनीक के नहीं हैं लेकिन वो ठीक-ठीक खतरनाक हैं. 

जैवनिल और NLAW 

जैवलिन मिसाइल सिस्टम अमेरिकी संसद की ओर से यूक्रेन के लिए मंजूर किए गए $3.5 बिलियन के पैकेज में शामिल है. पेंटागन के वार्षिक बजट के अनुसार, 10 जैवलिन लॉन्च यूनिट और 763 मिसाइल 2021 में $190.3 मिलियन की खरीदी गई थीं.  

स्कॉटलैंड  में सेंट एंड्रू यूनिवर्सिटी के स्ट्रेटजिक स्टडीज़ के  प्रोफेसर फिलिप ओ ब्रान ने कहा, "जो सेनाएं इन चीजों को भेज रही हैं उनके पास पहले ही प्रति सैनिक ये कम हथियार रहे होंगे, तो मुख्यत: लोग अपनी ज़रूरत की कीमत पर ये सामान यूक्रेनियों को भेज रहे हैं." 

एक यूक्रेनी मीम के हिसाब से रूस के सबसे आधुनिक टैंक भी अमेरिका की "सेंट जेवलिन" के आगे असहाय महसूस कर रहे हैं. रूस खुद अपने तीसरी पीढी के एंटी टैंक हथियार नहीं बनाता है.      

जैवलिन और NLAWs दोनों टैंक पर ऊपर से हमला करते हैं, जहां उनका बचाव तंत्र सबसे कमजोर होता है. इन्हें फायर करके भूल जाने वाली मिसाइल कहा जाता है जो हमलावर को शॉट करके दूर जाने का समय भी देता है.  इससे जगह पता चलने पर जवाबी कार्रवाई में मारे जाने का खतरा भी कम हो जाता है.  

रूस और यूक्रेन को कितना नुकसान?

ओरिक्स, (Oryx) लड़ाई में नुकसान का खाका रखने वाला स्वतंत्र समूह बताता है कि अभी तक यूक्रेन की सेना ने रूस के 76 टैंक खत्म किए हैं जिनमें  6 सबसे एडवांस्ड T-90 टैंक भी शामिल हैं.  कुल मिला कर रूस ने 214 टैंक खोए हैं, या पकड़े गए हैं या उन्हें छोड़ दिया गया है. कुल  1,292 वाहनों का रूस को नुकसान हुआ है. 

यूक्रेन ने दावा किया है कि रूस के और अधिक टैंकों का नुकसान हुआ है जबकि रूसी रक्षा मंत्रालय ने अभी तक आंकड़े जारी नहीं किए हैं. यूक्रेन ने 65 टैंक खोए हैं, जिनमें से 22 नष्ट किए गए.  Oryx के अनुसार यूक्रेन को 343 वाहनों का नुकसान हुआ है.  

दूसरे देशों से मिली सप्लाई के अलावा, यूक्रेनी सेना के पास पहले ही सोवियत जमाने के और हाल ही में यूक्रेन में बने एंटी टैंक हथियार हैं. हालांकि वो जैवलिन और NLAWs जितने आधुनिक नहीं हैं. लेकिन ये अन्य बख्तरबंद गाड़ियों के खिलाफ प्रभावी हैं.  

यूक्रेनियों ने शहरों में बनाई विस्तार से योजना 

सोमवार को वॉशिंगटन स्तिथ इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर ने कहा कि रूसी की तरफ से नियुक्त किए गए हथियारबंद दस्ते और रूसी सैन्य बल इस हफ्ते राजधानी के करीब पहुंचना शुरू करेंगे. मंगलवार को कीव शहर में दो दिन का रात का कर्फ्यू लगा दिया गया. बाहर अगर कोई भी स्पेशल पास के बगैर मिलेगा तो उसे रूसी पक्ष का माना जाएगा.  

लंदन के किंग्स कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ वॉर स्टडीज़ के प्रॉफेसर लॉरेंस फ्रेडमैन कहते हैं,"शहरों में कोई गंभीर मूवमेंट ना होना अहम है. रूसी हाई कमांड अनिच्छुक सैनिकों को शहरी लड़ाई में धकेलने के बारे में चिंतित है, जहां यूक्रेनियों ने पहले ही विस्तार से योजना बनाई है. इससे रूस और यूक्रेन के बीच समझौता संभव हो जाता है. 

इसके बावजूद अगर कोई सीज़फायर नहीं होती है तो यूक्रेन अपने शहर में रूसी टैंकों को घुसने से रोकेगा और इससे क्रूर संर्घष देखने को मिलेगा.  

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे: