लंदन:
नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े रिकॉर्ड को सार्वजनिक किए जाने की मांग के बीच ब्रिटेन की एक वेबसाइट ने नया खुलासा किया है। नेताजी के अंतिम दिनों पर प्रकाश डालने के लिए स्थापित की गई ब्रिटेन की इस वेबसाइट ने ताइवान के एक अधिकारी द्वारा दिया गया सबूत जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि उसने 1945 में विमान हादसे में नेताजी की मौत के बाद उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कराया था।
यह सबूत ‘यूके फॉरेन ऑफिस फाइल नंबर एफसी 1852..6’ में रखा है और यह 1956 में दिया गया सबूत है। यह उन कुछ अंतिम दस्तावेजों में शामिल है, जिन्हें वेबसाइट बोसफाइल्स (www.bosefiles.info) द्वारा अभी भी जारी किया जाना है।
वेबसाइट की स्थापना यह साबित करने के लिए की गई है कि महान भारतीय स्वतंत्रा सेनानी की मौत 18 अगस्त, 1945 को ताइपेई में एक हवाई पट्टी के बाहर विमान हादसे में हुई थी।
इसने कहा, ‘‘अन्य स्थानीय अधिकारियों के साथ ताइवानी अधिकारी तान ती-ती, जो उस समय ताइपेई में अंतिम संस्कार की अनुमति प्रदान करने से संबंधित कार्य के प्रभारी थे, ने सुभाष चंद्र बोस के पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के बारे में किसी भी विवाद को खारिज किया है।’’ गौरतलब है कि इस बारे में दशकों से विवाद रहा है कि क्या भारत सरकार की दो जांचों में बोस की मौत की बात कहे जाने के बावजूद विमान हादसे की बात सच है।
फाइल संकेत करती है कि ब्रिटेन के विदेश विभाग को भेजी गई ताइवान पुलिस की रिपोर्ट में मौजूद सबूत दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा जुलाई 1956 में भारत सरकार को भेजा गया था।
ताइवान में ब्रिटेन के महावाणिज्य दूत अल्बर्ट फ्रैंकलिन ने 15 मई 1956 को ताइवान सरकार को पत्र लिखकर बोस की मौत की जांच कराने को कहा था।
जवाब में, ताइवान की प्रांतीय सरकार के अध्यक्ष सीके येन ने 27 जून 1956 को एक विस्तृत पुलिस रिपोर्ट भेजी।
इसमें तान ती-ती का साक्षात्कार भी था जिसमें कहा गया कि बोस का अंतिम संस्कार 22 अगस्त 1945 को किया गया।
शव के साथ आए एक जापानी सैन्य अधिकारी ने ती-ती से कहा, ‘‘शव भारतीय नेता सुभाष चंद्र बोस का है जो महत्वपूर्ण काम से टोक्यो जाते समय उस समय घायल हो गए जब उनका विमान दुर्घटना का शिकार हो गया।’’
तान ती-ती के अनुसार इससे एक दिन पहले 21 अगस्त 1945 को उसी जापानी अधिकारी ने ‘‘किसी इचिरो ओकुरा नाम के व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र सौंपा था।’’ येन ने फ्रैंकलिन को स्पष्ट किया कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ताइवान में बिना परिजनों के सैन्यकर्मी (बोस आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च कमांडर थे) के मामले में एक सैन्य अस्पताल से जारी प्रमाणपत्र के आधार पर अंतिम संस्कार की मंजूरी दे दी गई।
बोस के मामले में ऐसा हुआ प्रतीत होता है ।
ताइवान के स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर आधारित पुलिस के निष्कर्ष में कहा गया, ‘‘निगम स्वास्थ्य केंद्र (पूर्व में ताइपेई निगम सरकार के कल्याण खंड के तहत था) में अंतिम संस्कार का रजिस्टर है और स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों का मानना है कि प्रविष्टि (स के अंतिम संस्कार से संबंधित) इचिरो ओकुरा के नाम से की गई।’’ तान ती-ती ने पुष्टि की कि अंतिम संस्कार के दिन वही जापानी सैन्य अधिकारी ‘‘एक कार में एक भारतीय के साथ अंतिम संस्कार स्थल आया।’’ उस भारतीय को बोस का एडीसी कर्नल हबीबुर रहमान माना जाता है, जो हादसे में बच गए थे।
यह सबूत ‘यूके फॉरेन ऑफिस फाइल नंबर एफसी 1852..6’ में रखा है और यह 1956 में दिया गया सबूत है। यह उन कुछ अंतिम दस्तावेजों में शामिल है, जिन्हें वेबसाइट बोसफाइल्स (www.bosefiles.info) द्वारा अभी भी जारी किया जाना है।
वेबसाइट की स्थापना यह साबित करने के लिए की गई है कि महान भारतीय स्वतंत्रा सेनानी की मौत 18 अगस्त, 1945 को ताइपेई में एक हवाई पट्टी के बाहर विमान हादसे में हुई थी।
इसने कहा, ‘‘अन्य स्थानीय अधिकारियों के साथ ताइवानी अधिकारी तान ती-ती, जो उस समय ताइपेई में अंतिम संस्कार की अनुमति प्रदान करने से संबंधित कार्य के प्रभारी थे, ने सुभाष चंद्र बोस के पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के बारे में किसी भी विवाद को खारिज किया है।’’ गौरतलब है कि इस बारे में दशकों से विवाद रहा है कि क्या भारत सरकार की दो जांचों में बोस की मौत की बात कहे जाने के बावजूद विमान हादसे की बात सच है।
फाइल संकेत करती है कि ब्रिटेन के विदेश विभाग को भेजी गई ताइवान पुलिस की रिपोर्ट में मौजूद सबूत दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा जुलाई 1956 में भारत सरकार को भेजा गया था।
ताइवान में ब्रिटेन के महावाणिज्य दूत अल्बर्ट फ्रैंकलिन ने 15 मई 1956 को ताइवान सरकार को पत्र लिखकर बोस की मौत की जांच कराने को कहा था।
जवाब में, ताइवान की प्रांतीय सरकार के अध्यक्ष सीके येन ने 27 जून 1956 को एक विस्तृत पुलिस रिपोर्ट भेजी।
इसमें तान ती-ती का साक्षात्कार भी था जिसमें कहा गया कि बोस का अंतिम संस्कार 22 अगस्त 1945 को किया गया।
शव के साथ आए एक जापानी सैन्य अधिकारी ने ती-ती से कहा, ‘‘शव भारतीय नेता सुभाष चंद्र बोस का है जो महत्वपूर्ण काम से टोक्यो जाते समय उस समय घायल हो गए जब उनका विमान दुर्घटना का शिकार हो गया।’’
तान ती-ती के अनुसार इससे एक दिन पहले 21 अगस्त 1945 को उसी जापानी अधिकारी ने ‘‘किसी इचिरो ओकुरा नाम के व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र सौंपा था।’’ येन ने फ्रैंकलिन को स्पष्ट किया कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ताइवान में बिना परिजनों के सैन्यकर्मी (बोस आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च कमांडर थे) के मामले में एक सैन्य अस्पताल से जारी प्रमाणपत्र के आधार पर अंतिम संस्कार की मंजूरी दे दी गई।
बोस के मामले में ऐसा हुआ प्रतीत होता है ।
ताइवान के स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर आधारित पुलिस के निष्कर्ष में कहा गया, ‘‘निगम स्वास्थ्य केंद्र (पूर्व में ताइपेई निगम सरकार के कल्याण खंड के तहत था) में अंतिम संस्कार का रजिस्टर है और स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों का मानना है कि प्रविष्टि (स के अंतिम संस्कार से संबंधित) इचिरो ओकुरा के नाम से की गई।’’ तान ती-ती ने पुष्टि की कि अंतिम संस्कार के दिन वही जापानी सैन्य अधिकारी ‘‘एक कार में एक भारतीय के साथ अंतिम संस्कार स्थल आया।’’ उस भारतीय को बोस का एडीसी कर्नल हबीबुर रहमान माना जाता है, जो हादसे में बच गए थे।
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