अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) का माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर के साथ विवाद बढ़ता ही जा रहा है. ट्रम्प की कैंपेन टीम ने पुलिस कस्टडी में मारे गए अश्वेत अफ्रीकन-अमेरिकन नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड (George Floyd) को श्रद्धांजलि देते हुए 3 जून को 3:40 मिनट का एक वीडियो ट्वीट किया था. ट्विटर ने वीडियो को कॉपीराइट पॉलिसी का उल्लंघन बताते हुए डिसेबल कर दिया. ट्रम्प ने ट्विटर पर आरोप लगाते हुए कहा कि लेफ्ट डेमोक्रेट को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया है.
ट्रम्प ने इस बारे में एक खबर को री-ट्वीट करते हुए लिखा, 'प्रदर्शनकारियों से सहानुभूति दिखाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति का एक कैंपेन वीडियो ट्विटर ने डिसेबल कर दिया. वह लोग कड़ी मेहनत से कट्टरपंथी वाम डेमोक्रेट की ओर से लड़ाई लड़ रहे हैं. एकतरफा लड़ाई. ये अवैध है. सेक्शन 230.' इसके जवाब में ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी (Jack Dorsey) ने ट्वीट किया, 'ये सही नहीं है और न ही अवैध है. ये वीडियो इसलिए हटाया गया क्योंकि हमें इसको लेकर कॉपीराइट संबंधी शिकायत मिली थी.'
Not true and not illegal.
— jack (@jack) June 6, 2020
This was pulled because we got a DMCA complaint from copyright holder. https://t.co/RAsaYng71a
ट्विटर ने डोनाल्ड ट्रम्प के जिस कैंपेन वीडियो को हटाया है, वह तस्वीरों और प्रोटेस्ट मार्च की क्लिप्स को मिलाकर बनाया गया था. वीडियो के बैकग्राउंड में अमेरिकी राष्ट्रपति का संदेश भी शामिल था. फिलहाल वह वीडियो अभी भी यूट्यूब पर मौजूद है. 60 हजार से ज्यादा लोग वीडियो देख चुके हैं और 13 हजार से ज्यादा लोगों ने उसे लाइक किया है.
बता दें कि अमेरिकी नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले कई संगठनों ने डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ गुरुवार को केस दर्ज कराया है. व्हाइट हाउस के सामने प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले और स्मोक बम छोड़े थे, जिसके बाद ट्रम्प की खूब आलोचना हो रही है. बीते सोमवार को ट्रम्प व्हाइट हाउस के पास एक चर्च के सामने बाइबिल के साथ फोटो खिंचाने जा रहे थे. इसी दौरान वहां Black Lives Matter प्रदर्शन में शामिल बहुत से प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो गए थे, जिन्हें वहां से पीछे धकेलने के लिए उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए, रबर बुलेट चलाई गईं और साउंड बम छोड़े गए. इसके बाद पूरे अमेरिका में विरोध प्रदर्शन और तेज हो गए.
अमेरिकन सिविल लिबर्टीज़ यूनियन और दूसरे समूहों ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रम्प और सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों और कैंपेनर्स के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है. ACLU ने कहा, 'पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर एक सामूहिक तरीके से अचानक हमला किया और इस दौरान उनपर केमिकल का छिड़काव, रबर बुलेट्स और साउंड कैनन जैसी चीजों का इस्तेमाल किया गया.'
बता दें कि अमेरिका (America) के मिनेसोटा स्थित मिनेपोलिस शहर में 46 साल के अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड को जालसाजी से जुड़े एक मामले में पुलिस ने पकड़ा था. जॉर्ज एक रेस्टोरेंट में सिक्योरिटी गार्ड था. घटना का एक वीडियो वायरल हुआ था. वीडियो में साफ दिख रहा है कि जॉर्ज ने गिरफ्तारी के समय किसी तरह का विरोध नहीं किया. पुलिस ने उसके हाथों में हथकड़ी पहनाई और जमीन पर लिटा दिया.
जिसके बाद एक पुलिस अधिकारी ने उसकी गर्दन को घुटने से दबा दिया. जॉर्ज कहता रहा कि वह सांस नहीं ले पा रहा है लेकिन अधिकारी ने उसकी गर्दन से पैर नहीं हटाया और कुछ ही देर में वह बेहोश हो गया. अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया. जॉर्ज की मौत से लोग आक्रोशित हो गए और रंगभेद की बात पर शहर में बवाल शुरू हो गया. देखते ही देखते अमेरिका के कई राज्यों में इस चिंगारी की लपटें उठने लगीं.
अमेरिका के कई शहरों में दुकानों में लूटपाट की गई. पुलिस ने लोगों को काबू में करने के लिए आंसू गैस और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया. गोली लगने से एक शख्स की मौत हुई है. पुलिस इस मामले की भी जांच कर रही है कि क्या किसी स्टोर के मालिक ने उस शख्स को गोली मारी है. व्हाइट हाउस ने इस मामले में बयान जारी करते हुए कहा था कि राष्ट्रपति ट्रम्प इस घटना से बेहद दुखी हैं और वह चाहते हैं कि जॉर्ज फ्लॉयड को इंसाफ मिले लेकिन इसकी आड़ में अराजकता जरा भी स्वीकार नहीं की जाएगी.
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