
ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बातचीत में ‘एक चीन’ नीति पर सहमति जताई
नई दिल्ली:
चीन अपने आंतरिक मामलों में बाहरी दखलंदाजी को पसंद नहीं करता, फिर चाहे सामने दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका ही क्यों न हो. बात दरअसल यह है कि डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुने जाने के बाद कहा था कि 'वन चायना' नीति पर चीन की तरफ़ से रियायतें मिले बग़ैर इसे जारी रखने का कोई मतलब नहीं बनता. उन्होंने कहा था कि वे इस नीति के पालन के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं. चीन ने भी पलटवार करते हुए कहा था कि उसके साथ द्विपक्षीय संबंध रखने वाले सभी देशों को ‘एक चीन’की नीति का पालन करना चाहिए.
चीन की चेतावनी के बाद ट्रंप ने अपने बयान पर यू-टर्न लेते हुए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ हुई बातचीत में दशकों पुरानी ‘एक चीन’ नीति का सम्मान करने पर सहमति जताई.
ट्रंप और शी की फोन पर हुई बातचीत के बाद व्हाइट हाउस ने कहा कि दोनों नेताओं ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और राष्ट्रपति ट्रंप चीनी राष्ट्रपति शी के अनुरोध पर ‘एक चीन’ की नीति का सम्मान करने पर राजी हो गए. अमेरिका और चीन के प्रतिनिधि आपसी हित से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बातचीत और चर्चा करेंगे.
व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप और राष्ट्रपति शी के बीच फोन पर हुई बातचीत बेहद सौहार्दपूर्ण थी और दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के देश के लोगों को शुभकामनाएं दीं और दोनों ने एक-दूसरे को अपने-अपने देश आने का न्योता भी दिया.
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरा मानना है कि अमेरिका और चीन का संबंध निश्चित तौर पर हमारे लिए महत्वपूर्ण है और राष्ट्रपति इस बात को समझते हैं. वह चीन के बारे में निष्पक्ष तौर पर बोल चुके हैं. वह चीनी बाजार तक पहुंचने की हमारी कंपनियों की इच्छा को समझते हैं और हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हितों को भी समझते हैं.’स्पाइसर ने जोर देते हुए कहा कि ट्रंप चीन के साथ एक फलदाई और सकारात्मक संबंध चाहते हैं.
'एक चीन' नीति
'वन चायना' नीति के तहत चीन नाम का केवल एक ही राष्ट्र है और ताइवान कोई अलग देश नहीं बल्कि उसी का एक राज्य है. पीआरसी यानी पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (चीन) का गठन 1949 में हुआ था. इसमें मेनलैंड चीन, हांगकांग और मकाऊ भी आते है. चीन में ही एक अन्य चीन है जो आरओसी यानी रिपब्लिक ऑफ चाइना. इसका 1949 तक चीन पर कब्जा था. पीआरसी के अलग होने के बाद यहां ताइवान व कुछ द्वीप ही बचे हैं. खेल वगैरह में आपने चीनी ताइपे का नाम सुना होगा. वास्तव में यह वही हिस्सा है और यहां के खिलाड़ी चीनी ताइपे नाम का इस्तेमाल करते हैं.
इस नीति के तहत जो देश पीआरसी यानी चीन से कूटनीतिक रिश्ते चाहते हैं, उन्हें रिपब्लिक ऑफ चाइना (ताइवान) से रिश्ते खत्म करने होंगे.
ट्रंप ने कहा
ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद कहा था कि अमेरिका को एक चीन नीति पर बंध कर नहीं रहना चाहिए. ट्रंप ने बीजिंग पर कई बार अनुचित व्यापारिक कार्यों, मुद्रा हेर-फेर और दक्षिण चीन सागर में सैन्य तैनाती का भी आरोप लगाया था.
(इनपुट भाषा से भी)
चीन की चेतावनी के बाद ट्रंप ने अपने बयान पर यू-टर्न लेते हुए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ हुई बातचीत में दशकों पुरानी ‘एक चीन’ नीति का सम्मान करने पर सहमति जताई.
ट्रंप और शी की फोन पर हुई बातचीत के बाद व्हाइट हाउस ने कहा कि दोनों नेताओं ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और राष्ट्रपति ट्रंप चीनी राष्ट्रपति शी के अनुरोध पर ‘एक चीन’ की नीति का सम्मान करने पर राजी हो गए. अमेरिका और चीन के प्रतिनिधि आपसी हित से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बातचीत और चर्चा करेंगे.
व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप और राष्ट्रपति शी के बीच फोन पर हुई बातचीत बेहद सौहार्दपूर्ण थी और दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के देश के लोगों को शुभकामनाएं दीं और दोनों ने एक-दूसरे को अपने-अपने देश आने का न्योता भी दिया.
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरा मानना है कि अमेरिका और चीन का संबंध निश्चित तौर पर हमारे लिए महत्वपूर्ण है और राष्ट्रपति इस बात को समझते हैं. वह चीन के बारे में निष्पक्ष तौर पर बोल चुके हैं. वह चीनी बाजार तक पहुंचने की हमारी कंपनियों की इच्छा को समझते हैं और हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हितों को भी समझते हैं.’स्पाइसर ने जोर देते हुए कहा कि ट्रंप चीन के साथ एक फलदाई और सकारात्मक संबंध चाहते हैं.
'एक चीन' नीति
'वन चायना' नीति के तहत चीन नाम का केवल एक ही राष्ट्र है और ताइवान कोई अलग देश नहीं बल्कि उसी का एक राज्य है. पीआरसी यानी पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (चीन) का गठन 1949 में हुआ था. इसमें मेनलैंड चीन, हांगकांग और मकाऊ भी आते है. चीन में ही एक अन्य चीन है जो आरओसी यानी रिपब्लिक ऑफ चाइना. इसका 1949 तक चीन पर कब्जा था. पीआरसी के अलग होने के बाद यहां ताइवान व कुछ द्वीप ही बचे हैं. खेल वगैरह में आपने चीनी ताइपे का नाम सुना होगा. वास्तव में यह वही हिस्सा है और यहां के खिलाड़ी चीनी ताइपे नाम का इस्तेमाल करते हैं.
इस नीति के तहत जो देश पीआरसी यानी चीन से कूटनीतिक रिश्ते चाहते हैं, उन्हें रिपब्लिक ऑफ चाइना (ताइवान) से रिश्ते खत्म करने होंगे.
ट्रंप ने कहा
ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद कहा था कि अमेरिका को एक चीन नीति पर बंध कर नहीं रहना चाहिए. ट्रंप ने बीजिंग पर कई बार अनुचित व्यापारिक कार्यों, मुद्रा हेर-फेर और दक्षिण चीन सागर में सैन्य तैनाती का भी आरोप लगाया था.
(इनपुट भाषा से भी)
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