- पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों की गिरफ्तारी में 2025 में इजाफा हुआ और एक लाख से ज्यादा लोग हिरासत में.
- पाकिस्तान सरकार ने अफगान नागरिकों को इस्लामाबाद और रावलपिंडी से निकालने के आदेश दिए हैं.
- पिछले दो सालों से पाकिस्तान सैकड़ों-हजारों अफगान शरणार्थियों को वापस भेजने का अभियान चला रहा है.
पाकिस्तान में रह रहे अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए जिंदगी और भी मुश्किल हो गया है. UNHCR के हालिया आंकड़ों के अनुसार अधिकारियों ने 100,000 से ज्यादा अफगानों को गिरफ्तार किया है. इससे देश छोड़कर वापस लौटने वालों की संख्या में अचानक तेजा आई है. पाकिस्तान सरकार के इस अभियान ने हजारों परिवारों को अनिश्चितता और डर के माहौल में धकेल दिया है, जबकि मानवाधिकार समूह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील कर रहे हैं कि वे जबरन वापसी का सामना कर रहे इन लोगों के लिए कदम उठाएं. पाकिस्तान में दशकों से रह रहे लाखों परिवारों को नहीं मालूम कि अब वो कहां जाएंगे. इस बात का भी डर सता रहा है कि महिलाओं को ऐसे माहौल में जीने को मजबूर होना पड़ेगा जहां न शिक्षा है और न ही बोलने की आजादी.
लाखों शरणार्थी गिरफ्तार
बलूचिस्तान के चगाई और क्वेटा और पंजाब का अटक, यह वह तीन टॉप जिलें हैं जहां पर इस साल सबसे ज्यादा अफगान नागरिक कार्ड (ACC) होल्डर्स को 10 महीने से ज्यादा समय तक गिरफ्तार करके या हिरासत में रखा गया. अखबार डॉन ने UNHCR के हवाले से बताया है कि सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां या हिरासत 2025 में हुईं. 1 जनवरी से 8 नवंबर, 2025 तक 1,00,971 अफगान शरणार्थी गिरफ्तार किए गए. जबकि साल 2024 में 9,006 और 2023 में 26,299 अफगान शरणार्थियों को गिरफ्तार किया गया. यूएन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 से पहले, ACC होल्डर्स या फिर गुमनाम अफगान नागरिकों की गिरफ्तारी और हिरासत पर कोई डेटा इकट्ठा नहीं किया गया था. जनवरी 2023 से, अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ऐसे डेटा इकट्ठा कर रहा है. 2 नवंबर से 8 नवंबर तक, कुल 13,380 अगानन नागरिकों को गिरफ्तार किया गया और हिरासत में लिया गया, जो पिछले हफ्ते की तुलना में 72 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.
आखिर क्या है पाकिस्तान का मकसद
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान सरकार ने 2025 में अफगान नागरिकों को प्रभावित करने वाले कई निर्देश जारी किए. जनवरी में, अफगान नागरिकों को इस्लामाबाद कैपिटल टेरिटरी आईसीटी और रावलपिंडी से चले जाने या निर्वासन का सामना करने का निर्देश दिया गया था. अप्रैल में, अधिकारियों ने 'आईएफआरपी' के दूसरे चरण के लागू होने का ऐलान किया था. इसका मकसद एसीसी होल्डर्स और बिना दस्तावेज वाले अफगानों को निशाने पर लेना था. पाकिस्तान ने साल 2023 में शुरू होने वाले एक अभियान के तहत देश भर के सभी 54 अफगान शरणार्थी गांवों को बंद करने का ऐलान किया था. पाकिस्तान के अनुसार उसका मकसद सिर्फ 'अवैध विदेशियों' को वहां से निकालना है.
परिवारों को सताई जिंदगी की चिंता
पिछले दो सालों से पाकिस्तान सैकड़ों-हजारों अफगान शरणार्थियों को वापस भेजने का अभियान चला रहा है. तमाम परिवारों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है. इनमें से कुछ का है कि वो कई दशकों से पाकिस्तान में हैं और यही उनका घर है. अब उन्हें नहीं मालूम कि वो कहां जाएंगे. कई तो ऐसे हैं जिनके बच्चों का जन्म ही पाकिस्तान में हुआ था. पाकिस्तान में अपनी जिंदगी जी रहे अफगान परिवारों को अब कंबल, फर्नीचर और खाना पकाने के बर्तन समेत कुछ ही सामान लेकर जाने को मजबूर होना पड़ रहा है.
मानवाधिकार एक्टिविस्ट्स का कहना है कि यह नीति बहुत ज्यादा सख्त है और इसे एकदम अचानक लागू किया गया है. ऐसे में परिवारों के पास जाने के लिए कोई जगह नहीं बची है. पाकिस्तान स्थित एक अफगान मानवाधिकार कार्यकर्ता अजीज गुल ने जर्मन चैनल डीडब्ल्यू को बताया, 'पाकिस्तानी पुलिस की तरफ से अफगान शरणार्थियों के अचानक निष्कासन ने दर्जनों लोगों की जान खतरे में डाल दी है. जो लोग आतंक, उत्पीड़न और हिंसा से बचने के लिए पाकिस्तान भाग गए थे, वे अब पाकिस्तान की कार्रवाइयों के कारण तालिबान शासन के हाथों में पड़ रहे हैं.'
विशेषज्ञ बोले, निर्दयी पाकिस्तान
सन 1990 के दशक के गृहयुद्ध, 2001 में अमेरिका के हमले और साल 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद कई अन्य अफगान नागरिकों ने पाकिस्तान में शरण ली थी. एक समय था जब शरणार्थियों के लिए पाकिस्तान उदार था और इस उदारता का डंका पीटता था. हालांकि, इस्लामाबाद और तालिबान शासन के बीच बढ़ते तीखे विवाद के बीच, और विशेष तौर पर अक्टूबर में हुई झड़पों के बाद, पाकिस्तानी सरकार निष्कासन के प्रयासों को तेज कर रही है और बिना दस्तावेज वाले अफगानों को सुरक्षा जोखिम बता रही है. वरिष्ठ मानवीय और शरणार्थी कानून विशेषज्ञ ओसामा मलिक ने डीडब्ल्यू को बताया, 'अफगान तालिबान ने सीमा पर संघर्ष भड़काकर शरणार्थियों का जीवन और भी कठिन बना दिया है, जो पहले से ही मुश्किल हालात में थे. निष्कासन कार्यक्रम के साथ पाकिस्तानी और भी निर्दयी हो गए हैं.
महिलाओं के अधिकारी खतरे में
वहीं UNHCR ने अफगान शरणार्थियों को जबरन वापस भेजने के पाकिस्तान के फैसले की आलोचना की है. इनमें पंजीकरण प्रमाण पत्र (पीओआर) कार्ड धारक और आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरत वाले लोग भी शामिल हैं. पाकिस्तान में यूएनएचसीआर के प्रवक्ता कैसर खान अफरीदी के अनुसार इस बात से चिंता सता रही है कि महिलाओं और लड़कियों को ऐसे देश में लौटने के लिए मजबूर किया जा रहा है जहां उनके काम करने और शिक्षा के अधिकार खतरे में हैं.
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