- बांग्लादेश के राजनीतिक नेता तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद 25 दिसंबर को अपने वतन लौटे हैं
- आगामी फरवरी में बांग्लादेश में आम चुनाव होने हैं जिसमें रहमान प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार हैं
- तारिक रहमान का राजनीतिक संघर्ष उनके परिवार के इतिहास और जिया-हसीना परिवार के तनाव से जुड़ा है
बांग्लादेश में लंबे समय तक शासन करने वाले परिवार के उत्तराधिकारी और मौजूदा वक्त में यहां की सबसे शक्तिशाली राजनीतिक पार्टी के नेता, तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद वतन लौट गए हैं. 60 साल के तारिक रहमान, 2008 में बांग्लादेश से भागने के बाद से लंदन में रह रहे थे और वो गुरुवार, 25 दिसंबर को बांग्लादेश लौटे हैं. यह बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा अहम दिन होने जा रहा है क्योंकि बीमार पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया (80 साल) के बेटे रहमान आगामी फरवरी में होने वाले आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार के रूप में उभरे हैं.
पिछले साल एक बड़े पैमाने पर विद्रोह के बाद शेख हसीना की 15 साल की सरकार को उखाड़ फेंका गया था. अब अगले साल फरवरी में पहला आम चुनाव हो रहा है. हिंसा, हत्याओं और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की आती खबरों के बीच बांग्लादेश बड़े उथल-पुथल से गुजर रहा है. अब नजर रहमान और उनकी आगे की राजनीति पर है.
कहानी तारिक रहमान की
रहमान को बांग्लादेश में तारिक जिया के नाम से जाना जाता है. उनकी पूरी जिंदगी और उनका राजनीतिक अनुभव उनके सरनेम के आगे पीछे घूमता रहा है. उनका जन्म 1967 में हुआ जब देश अभी भी पूर्वी पाकिस्तान था. यह भी जान लीजिए कि 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब उनकी उम्र केवल 4 साल की थी, तब भी कुछ समय के लिए उन्हें हिरासत में लिया गया था. उनकी पार्टी BNP उन्हें "युद्ध के सबसे कम उम्र के कैदियों में से एक" के रूप में सम्मानित करती है.
उनके पिता जियाउर रहमान एक सेना कमांडर थे. जियाउर रहमान ने 1975 के तख्तापलट के कुछ महीनों अपना पावर दिखाना शुरू किया. 1975 में शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई थी. इससे जिया और हसीना परिवारों के बीच आजीवन तनाव बना रहा, जिसे "बेगमों की लड़ाई" कहा गया.
आगे जियाउर रहमान की हत्या तब कर दी गई जब उनका बेटा यानी तारिक रहमान केवल 15 साल का था. छोटे रहमान अपनी मां की राजनीतिक आंचल में बड़े हुए, क्योंकि खालिद जिया देश की पहली महिला प्रधान मंत्री बनीं. आगे हसीना और जिया में कुर्सी की उठापटक चलती रही, दोनों एक-दूसरे को मात देती रहीं.
2007 में गिरफ्तारी और 2008 में देश छोड़ दिया
रहमान को 2007 में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. तब उन्होंने दावा किया गया था कि उन्हें कैद में प्रताड़ित किया गया था. रिपोर्टों से पता चला कि उनकी रिहाई राजनीति छोड़ने की शर्त के साथ थी. उस साल बाद में रिहा होने के बाद, वह इलाज के लिए 2008 में लंदन चले गए और फिर कभी वापस नहीं लौटे.
2008 में हसीना के सत्ता में आने के बाद, उनकी सरकार ने हजारों BNP सदस्यों को जेल में डाल दिया. इसके बाद 2018 में, हसीना की रैली पर 2004 के हमले की साजिश रचने के आरोप में रहमान को फिर से उसकी अनुपस्थिति में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. तब BNP ने कहा था कि शेख हसीने ने ऐसा राजनीति से जिया परिवार को हमेशा हमेशा के लिए हटाने के लिए किया है.
ब्रिटेन पहुंचने के बाद तारिक रहमान अपनी पत्नी, जो कार्डियोलॉजिस्ट यानी दिल की डॉक्टर हैं, और अपनी बेटी के साथ रहते थे. लेकिन हसीना के जाने और मां के बीमार पड़ने के बाद एक बार फिर बांग्लादेश की राजनीति में उन्होंने कदम रख दिया है.
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