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बुर्के के बिना नो एंट्री! अस्पतालों को लेकर तालिबान का तुगलकी फरमान, जानें फजीहत होने पर क्या कहा

"तालिबान के लड़ाके हॉस्पिटल के गेट पर खड़े होकर बिना बुर्का वाली महिलाओं को अंदर नहीं जाने दे रहे"- मेडेकिन्स सैन्स फ्रंटियर्स का दावा

बुर्के के बिना नो एंट्री! अस्पतालों को लेकर तालिबान का तुगलकी फरमान, जानें फजीहत होने पर क्या कहा
  • तालिबान ने अफगानिस्तान के हेरात के सरकारी अस्पतालों में महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया है
  • मेडिकल चैरिटी मेडेकिन्स सैन्स फ्रंटियर्स ने इस आदेश को पांच नवंबर से लागू बताया है और इसका विरोध किया है
  • तालिबान प्रवक्ता ने बुर्का पहनाने के आदेश को खारिज करते हुए केवल हिजाब पहनने पर जोर देने का दावा किया है
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अफगानिस्तान को कंट्रोल करने वाले तालिबान ने अपने यहां की महिलाओं के लिए एक नया फरमान जारी कर दिया है. अफगानिस्तान में तालिबान अधिकारियों ने महिला मरीजों, नर्सों वालों और डॉक्टरों को यह आदेश दिया है कि अगर उन्हें पश्चिमी शहर हेरात के सरकारी हॉस्पिटलों में प्रवेश करना है तो उन्हें बुर्का पहनना ही होगा. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार मेडिकल चैरिटी मेडेकिन्स सैन्स फ्रंटियर्स (MSF) ने यह जानकारी दी है. MSF ने कहा कि यह आदेश 5 नवंबर से लागू हो गया है.

2021 में अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा करने के बाद तालिबान ने बार-बार वहां की महिलाओं के अधिकारों पर चोट की है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में MSF एजेंसी की प्रोग्राम मैनेजर सारा चाटेउ ने बताया कि ये प्रतिबंध महिलाओं के जीवन को और बाधित करते हैं और स्वास्थ्य देखभाल तक महिलाओं की पहुंच को सीमित करते हैं. उन्होंने कहा कि यहां तक ​​कि इमरजेंसी में चिकित्सा देखभाल के लिए आने वाली महिलाएं भी इस आदेश से प्रभावित हुई हैं.

हालांकि तालिबान सरकार के एक प्रवक्ता ने MSF के इस दावे से इनकार किया है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि यह खबर सामने आने और मीडिया में फैलने के बाद से प्रतिबंधों में थोड़ी सी ढील दी गई है.

MSF ने क्या दावा किया है?

MSF एजेंसी हेरात के क्षेत्रीय हॉस्पिटल में बाल चिकित्सा सेवाओं को सपोर्ट करती है. एजेंसी ने कहा कि नए आदेश के बाद के पहले कुछ दिनों के दौरान उन मरीजों के हॉस्पिटल में 28% की गिरावट देखी गई, जिनका इमरजेंसी केस था. सारा चाटेउ ने कहा कि तालिबान के लड़ाके हॉस्पिटल के गेट पर खड़े होकर बिना बुर्का वाली महिलाओं को अंदर नहीं जाने दे रहे थे. 

वहीं अफगानिस्तान में सख्त धार्मिक सिद्धांतों को लागू करने वाले मंत्रालय के तालिबान प्रवक्ता ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया कि महिलाओं को बुर्का पहनने के लिए मजबूर किया जा रहा था. सैफ-उल-इस्लाम खैबर ने कहा, "यह पूरी तरह से झूठ है. हमारा जोर हिजाब पहनने पर होता है."

गौरतलब है कि हिजाब से केवल सिर और बाल को ढका जाता है जबकि बुर्का पूरे बदन को ढकता है और सिर्फ आंखों के उपर जाली होती है ताकि नजर आ सके. 

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