बेरूत:
सीरिया के राष्ट्रपति बशर-अल-असद ने सात मई को देश में संसदीय चुनाव कराने की घोषणा की, वहीं कई स्थानों पर हुई हिंसा में 22 सैनिकों सहित कम से कम 34 लोगों की मौत हो गई। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र, अरब लीग शांति दूत कोफी अन्नान ने कहा था कि वह सीरिया में रक्तपात को रोकने के लिए वह असद से आज ठोस प्रस्तावों की उम्मीद कर रहे हैं।
सरकारी समाचार एजेंसी सना ने बताया कि असद ने फरवरी में जनमत संग्रह में पारित किए गए एक नए संविधान के तहत संसदीय चुनाव के लिए सात मई की तारीख तय की है। असद के वर्ष 2000 में सत्ता में आने के बाद से तीसरी बार संसदीय चुनाव होगा लेकिन नये कानून के तहत पहली बार बहुदलीय प्रणाली के साथ चुनाव होगा।
वहीं, रूस ने आज कहा कि वह दमिश्क पर अंतरराष्ट्रीय निगरानीकर्ता को स्वीकार करने के लिए दबाव डालेगा, जो सैनिकों और सशस्त्र विद्रोहियों के बीच संघर्ष विराम के लागू होने की निगरानी करेगा। ब्रिटेन आधारित निगरानी संस्था ‘सीरियन ऑब्जरवेटरी फॉर ह्यमून राइट्स’ ने बताया कि गिरफ्तारियां करने के लिए दाइल शहर जा रहे 12 सुरक्षाकर्मियों की उस वक्त मौत हो गई, जब सशस्त्र लोगों के एक समूह ने उन पर घात लगा कर कर हमला कर दिया। सेना पर घात लगाकर किया गया यह एक दिन में दूसरा हमला है।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि करीब एक साल से इस मुल्क में छाई अशांति में 8,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। उधर, इदलीब प्रांत के मारीत अल नुमान शहर में सेना की एक चौकी पर विद्रोहियों के हमले में कम से कम 10 सीरियाई सैनिक मारे गए। संस्था ने मध्य प्रांत होम्स में आठ नागरिकों की मौत भी दर्ज की है। इस बीच, चीन और अरब देश सीरियाई संकट के राजनीतिक समाधान ढूंढने की जरूरत पर राजी हो गए हैं। चीनी दूत झांग मिंग ने काहिरा में अरब लीग के अधिकारियों के साथ हुई वार्ता के बाद आज इस बारे में जानकारी दी।
अरब लीग प्रमुख नबील अल अरबी ने सीरिया में नागरिकों के खिलाफ हुए अपराधों की अंतरराष्ट्रीय जांच की आज मांग की। अरबी ने एक बयान में कहा कि होम्स और इदलीब एवं सीरिया के अन्य भागों में बेकसूर नागरिकों के खिलाफ अपराध की भयावह तस्वीरें को मानवता के खिलाफ अपराध कहा जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जो कुछ भी हो रहा है कि उसकी अवश्य ही अंतरराष्ट्रीय, स्वतंत्र जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके, इन अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान की जा सके तथा उन्हें न्याय के दायरे में लाया जा सके।’’ जेनेवा से प्राप्त खबर के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि पिछले साल शुरू हुई हिंसा के बाद से 2,30,000 सीरियाई पलायन कर चुके हैं। एजेंसी के मुताबिक करीब 30,000 लोग तुर्की, लेबनान और जार्डन जा चुके हैं। वहीं, रोजाना सैकड़ों लोग पड़ोसी देशों में प्रवेश कर रहे हैं।
सरकारी समाचार एजेंसी सना ने बताया कि असद ने फरवरी में जनमत संग्रह में पारित किए गए एक नए संविधान के तहत संसदीय चुनाव के लिए सात मई की तारीख तय की है। असद के वर्ष 2000 में सत्ता में आने के बाद से तीसरी बार संसदीय चुनाव होगा लेकिन नये कानून के तहत पहली बार बहुदलीय प्रणाली के साथ चुनाव होगा।
वहीं, रूस ने आज कहा कि वह दमिश्क पर अंतरराष्ट्रीय निगरानीकर्ता को स्वीकार करने के लिए दबाव डालेगा, जो सैनिकों और सशस्त्र विद्रोहियों के बीच संघर्ष विराम के लागू होने की निगरानी करेगा। ब्रिटेन आधारित निगरानी संस्था ‘सीरियन ऑब्जरवेटरी फॉर ह्यमून राइट्स’ ने बताया कि गिरफ्तारियां करने के लिए दाइल शहर जा रहे 12 सुरक्षाकर्मियों की उस वक्त मौत हो गई, जब सशस्त्र लोगों के एक समूह ने उन पर घात लगा कर कर हमला कर दिया। सेना पर घात लगाकर किया गया यह एक दिन में दूसरा हमला है।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि करीब एक साल से इस मुल्क में छाई अशांति में 8,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। उधर, इदलीब प्रांत के मारीत अल नुमान शहर में सेना की एक चौकी पर विद्रोहियों के हमले में कम से कम 10 सीरियाई सैनिक मारे गए। संस्था ने मध्य प्रांत होम्स में आठ नागरिकों की मौत भी दर्ज की है। इस बीच, चीन और अरब देश सीरियाई संकट के राजनीतिक समाधान ढूंढने की जरूरत पर राजी हो गए हैं। चीनी दूत झांग मिंग ने काहिरा में अरब लीग के अधिकारियों के साथ हुई वार्ता के बाद आज इस बारे में जानकारी दी।
अरब लीग प्रमुख नबील अल अरबी ने सीरिया में नागरिकों के खिलाफ हुए अपराधों की अंतरराष्ट्रीय जांच की आज मांग की। अरबी ने एक बयान में कहा कि होम्स और इदलीब एवं सीरिया के अन्य भागों में बेकसूर नागरिकों के खिलाफ अपराध की भयावह तस्वीरें को मानवता के खिलाफ अपराध कहा जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जो कुछ भी हो रहा है कि उसकी अवश्य ही अंतरराष्ट्रीय, स्वतंत्र जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके, इन अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान की जा सके तथा उन्हें न्याय के दायरे में लाया जा सके।’’ जेनेवा से प्राप्त खबर के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि पिछले साल शुरू हुई हिंसा के बाद से 2,30,000 सीरियाई पलायन कर चुके हैं। एजेंसी के मुताबिक करीब 30,000 लोग तुर्की, लेबनान और जार्डन जा चुके हैं। वहीं, रोजाना सैकड़ों लोग पड़ोसी देशों में प्रवेश कर रहे हैं।
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