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डरावने दिन… कैसे होता था अत्याचार? सीरिया के लोगों की दर्दभरी कहानी; जानें अब भी खुश क्यों नहीं

सीरिया का आधुनिक इतिहास तख्तापलट, सैन्य विद्रोह और सत्तावाद से प्रभावित रहा है. 1946 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से, देश ने कभी भी स्थिर लोकतंत्र नहीं देखा है.

डरावने दिन… कैसे होता था अत्याचार? सीरिया के लोगों की दर्दभरी कहानी; जानें अब भी खुश क्यों नहीं
दमिश्क/नई दिल्ली:

सीरिया में एक बड़ी क्रांति देखी गई, जिसने पांच दशकों के असद परिवार के शासन को समाप्त कर दिया. विद्रोहियों और सीरियाई विपक्ष ने इस आंदोलन से दमिश्क पर कब्ज़ा कर लिया, इससे दुनिया भी हैरान रह गई. हालांकि सीरियाई लोगों के लिए ये सिर्फ एक तख्तापलट से कहीं अधिक था. ये जीवन को बदल देने वाली एक घटना थी. लोग डर और घबराहट के उस दौर को याद कर, अब उत्साह में अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं.

कई सीरियाई लोगों के लिए, असद का पतन एक हैरान करने वाली घटना और एक लंबे समय से इंतजार की राहत दोनों थी. सीरिया की पोर्ट सिटी टार्टस के 24 साल के आईटी इंजीनियर हसन इब्राहिम ने कहा, "असद युग के दौरान स्वतंत्रता का दमन हुआ था. साथ ही जीवन काफी हद तक सस्ता था. हालांकि, सीरिया में क्रांति के बड़ा रूप लेने और शासन को उखाड़ फेंकने तथा असद को हटाने की मांग के कारण, उनके समर्थकों और वफादारों के साथ 14 सालों तक हिंसक टकराव हुआ, जिसकी वजह से दस लाख सीरियाई लोगों की मौत हो गई और 12 मिलियन का जबरन विस्थापन हुआ."

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नई दिल्ली में 25 साल की सीरियाई फैशन डिजाइनर मोहम्मद हसन ने कहा, "मुझे खुशी महसूस हुई, मुझे लगा जैसे कोई सपना सच हो गया. हालांकि मैं आंदोलन और युद्ध के सालों के दौरान बहाए गए खून से भी दुखी हूं. साथ ही मैं देश के भविष्य को लेकर चिंतित हूं."

नया प्रशासन अपदस्थ असद शासन के सदस्यों की तलाश में जुटी

अब सीरिया के नए प्रशासन ने अपदस्थ असद शासन के सदस्यों का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए अपना अभियान तेज कर दिया है, वहीं वर्तमान सरकार न्याय का वादा भी करती है. आलोचकों को डर है कि कहीं ये सरकार बदला लेने के मकसद में रास्ता भटक ना जाए. हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ग्रुप के नेतृत्व में नए अधिकारियों ने ये स्पष्ट कर दिया है कि पुराने शासन के वफादारों को उखाड़ फेंकना उनकी प्राथमिकता है.

असद शासन के पतन ने कई सीरियाई लोगों की दर्दनाक यादों को हरा कर दिया है. रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट में कंप्यूटर लैंग्वेज के रिसर्चर अहमद अल-शरेफ ने कहा, "सीरिया में बड़ा होना एक बुरा सपना था, खासकर 2011 के बाद हर समय डरा हुआ, हर जगह हथियारबंद लोग और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार. ये एक बड़ी जेल में रहने जैसा था."

उम्मीद नहीं थी सीरिया में ऐसा दिन भी आएगा- अबू खालिद

जबलेह के 27 वर्षीय कंप्यूटर साइंस इंजीनियर अबू खालिद ने कहा, "हम सदमे में थे. हमें उम्मीद नहीं थी कि वो दिन आएगा जब यह शासन अपने क्रूर दमनकारी तरीकों के कारण गिर जाएगा. जब हमें असद के भागने और क्रांति सफल होने के बारे में पता चला तो मेरी और सीरियाई लोगों की प्रतिक्रिया ये थी कि हम सड़कों पर उतर आए और तेज आवाज में खूब नारे लगाए, 'आजाद सीरिया जिंदाबाद'."

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अबू खालिद ने कहा, "हमें हर तरह के दमन का सामना करना पड़ा. शासन ने हमारे साथ गुलामों की तरह व्यवहार किया. यहां तक ​​कि सामान्य शब्दों में बोलने पर भी हिरासत में लिया जा सकता था, या इससे भी बुरा परिणाम हो सकता था. गुप्त हिरासत केंद्र, जबरन गायब करना और यातना शिविर हमारी वास्तविकता का हिस्सा थे. वहीं यदि आपने सरकार की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया, तो सुरक्षा बल आपके घर पर हमला कर आपको घसीटकर ले जाते थे."

शासन बदलने का नतीजा

असद के सत्ता से बेदखल होने के तुरंत बाद सीरिया में खुशी की लहर दौड़ गई. शासन की जेलों ने अपने द्वार खोल दिए, जिससे लंबे समय से मृत माने गए प्रियजनों से परिवार फिर से जुड़ गए. असद की बेहिसाब दौलत, भव्य हवेलियां, लक्जरी कारें, डिजाइनर कपड़े और खूबसूरत फर्नीचर, सामान्य सीरियाई लोगों द्वारा सहन की गई पीड़ा के बिल्कुल विपरीत था."

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सीरिया का आधुनिक इतिहास तख्तापलट, सैन्य विद्रोह और सत्तावाद से प्रभावित रहा है. 1946 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से, देश ने कभी भी स्थिर लोकतंत्र नहीं देखा है.

भ्रष्टाचार और आर्थिक असमानता असद युग की पहचान थी. मोहम्मद हसन याद करते हैं, "लोग कम मासिक वेतन और अत्यधिक गरीबी से पीड़ित थे. यहां तक ​​कि इंजीनियरों और डॉक्टरों को भी जिंदा रहने के लिए कई नौकरियां करनी पड़ीं. बढ़ती कीमतों के अनुपात में वेतन में वृद्धि नहीं हुई. जिम्मेवार लोगों ने जनता के लिए कुछ नहीं किया, जबकि उनके बच्चे 'मुंह में चांदी की चम्मच' लेकर पैदा हुए थे."

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असद शासन के दौरान आर्थिक स्थितियां काफी गंभीर थीं, और आंदोलन ने भी स्थिति को अस्थायी रूप से खराब कर दिया. हसन इब्राहिम ने कहा, "कीमतों में अब गिरावट शुरू हो गई है. डॉलर का मूल्य तुर्की लीरा के मुकाबले गिर गया है, और असद काल के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों को भी हटाया जाएगा. हालांकि ये कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन उम्मीद है."

सीरिया में सामान्य लोगों की जीवनशैली

अहमद अल-शरीफ ने कहा, "आर्थिक दिक्कतें 2011 से पहले भी मौजूद थी, रिश्वतखोरी बड़े पैमाने पर थी. सैन्य भर्ती अब खत्म हो गई है, और कड़े टैक्स को हटाने से लोगों को काम करने में प्रोत्साहन मिलेगा. वहीं अर्थव्यवस्था को खोलने से इसमें समृद्धि आएगी."

अबू खालिद ने शासन द्वारा जानबूझकर लगाए गए आर्थिक दबाव का जिक्र करते हुए कहा, "वेतन बेहद कम थी, अक्सर सिर्फ 20 डॉलर के बराबर. बुनियादी वस्तुएं काले बाजार में बढ़ी हुई कीमतों पर बेची जाती थीं, जिसे शासन के साथियों द्वारा नियंत्रित किया जाता था. यहां तक ​​कि गैस और रोटी को भी आबादी को वश में करने के लिए डिज़ाइन की गई प्रणाली के जरिए से राशन दिया जाता था."

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अहमद अल-शरीफ का मानना ​​है कि देश एक सामान्य, शांतिपूर्ण देश के रूप में विकसित हो सकता है. नई सरकार अभी तक पूरी तरह से स्थापित नहीं हुई है, और बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि वो क्षेत्रीय प्रशासन को कैसे संभालती है. लेकिन मुझे लगता है कि भविष्य किसी भी सामान्य देश के समान होगा, जहां लोग शांति से रह सकते हैं, काम कर सकते हैं और यात्रा कर सकते हैं.

सीरिया में धर्मनिरपेक्षता को लेकर चर्चा

धर्मनिरपेक्ष सीरिया की संभावना विवादास्पद बनी हुई है. अहमद अल-शरीफ़ को इसमें शंका है. उन्होंने कहा, "असद के शासनकाल के दौरान भी धर्मनिरपेक्षता वास्तव में मौजूद नहीं थी. संविधान में इस्लामी छंदों का संदर्भ दिया गया था. एचटीएस के नई सरकार का नेतृत्व करने के साथ, धर्मनिरपेक्षता असंभव लगती है."

वहीं मोहम्मद हसन जैसे अन्य लोग इसको लेकर आशावादी हैं. उन्होंने कहा, "हम स्वभाव से धर्मनिरपेक्ष हैं. एक समावेशी सीरिया हासिल करना संभव है, लेकिन इसके लिए बड़ी शिकायतों को दूर करना और कुर्द, ईसाई, ड्रुज़, अर्मेनियाई और अलावाइट्स जैसे अल्पसंख्यकों के लिए समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना जरूरी है."

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फिर भी, सीरिया के अल्पसंख्यक समुदायों के बीच सांप्रदायिक उत्पीड़न की आशंका बनी हुई है. एचटीएस नेता अहमद अल-शरा, जिन्हें उनके उपनाम अबू मोहम्मद अल-जोलानी के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने इन समूहों को आश्वस्त करने का प्रयास किया है, और जोर देकर कहा है कि नई सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा करेगी. फिर भी, अलावाइट मंदिर और क्रिसमस ट्री को जलाने जैसी घटनाओं ने तनाव बढ़ा दिया है, जिसके कारण हाल ही में लताकिया और दमिश्क में विरोध प्रदर्शन हुए हैं.

एक नये सीरिया का निर्माण

फिर से हासिल करने की राह में प्रमुख क्षेत्रों के पुनर्निर्माण की जरूरत होगी. हसन इब्राहिम ने कृषि और सिंचाई को महत्वपूर्ण क्षेत्रों के रूप में रेखांकित किया, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, "कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करना जरूरी है. वस्तुओं तक पहुंच और पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते की नीति के साथ एक नागरिक वाला देश बनाने से यहां स्थिरता आएगी."

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वहीं अहमद अल-शरीफ ने बुनियादी ढांचे के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा "बिजली, पानी और गैस जैसी सेवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. सुरक्षा और नागरिक पुलिस व्यवस्था को विद्रोहियों के नेतृत्व वाले सिस्टम की जगह लेनी चाहिए. वहीं विदेशी संबंधों और सीमा नियंत्रण को बहाल करना भी महत्वपूर्ण है."

मोहम्मद हसन के अनुसार पर्यटन एक और उम्मीद का रास्ता है. उन्होंने कहा, "सीरिया दुनिया के सबसे पुराने देशों में से एक है और इसमें दो सबसे पुराने शहर शामिल हैं. पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने से अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण में मदद मिलेगी और बहुत जरूरी विदेशी मुद्रा आएगी."

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