स्टीफन हॉकिंग(फाइल फोटो)
लंदन:
भौतिकीविद और ब्रह्मांड वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का शनिवार को अंतिम संस्कार कैंब्रिज यूनिवर्सिटी कॉलेज के नजदीक एक चर्च में किया गया. वहां उनके परिवार के सदस्य, दोस्तों और सहकर्मियों सहित लगभग 500 लोग मौजूद थे. यह कॉलेज हॉकिंग का 50 से अधिक वर्षों तक अकादमिक घर रहा है. विश्व के मशहूर वैज्ञानिकों और लेखकों में एक हॉकिंग ने 14 मार्च को 76 वर्ष की उम्र में अपने कैंब्रिज स्थित घर में आखिरी सांस ली थी.परदे पर वैज्ञानिक की भूमिका साकार कर ऑस्कर जीतने वाले ब्रिटिश अभिनेता एडी रेडमेन भी इस दौरान मौजूद थे.
यह भी पढ़ें : मोदी सरकार के मंत्री का दावा- स्टीफन हॉकिंग ने भी माना था 'आइंस्टीन के सिद्धांतों से बेहतर हैं वेद'
हॉकिंग के बच्चों की इच्छा के अनुरूप गॉन्विल में यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट मेरी द ग्रेट और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के कैयुस कॉलेज में उनकी अंतिम सेवा (फ्यूनरल सर्विस) बेहद निजी स्तर पर की गई. हॉकिंग का ताबूत लाए जाने के समय चर्च के बाहर सैकड़ों लोग जमा थे. उनके सम्मान में चर्च में 76 बार घंटी बजाई गई. विश्व के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हॉकिंग ने अंतरिक्ष की उस खोज के लिए जरूरी गणित तैयार कर लिया था, जिसके जरिए 'कई ब्रह्मांडों’ की मौजूदगी के प्रायोगिक सबूत खोजे जा सकते हैं. हॉकिंग का जन्म इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में आठ जनवरी, 1942 को हुआ. ठीक इसी दिन महान खगोलविद गैलिलियो गैलीली की 330वीं पुण्यतिथि थी.
VIDEO : सिकुड़ रहा है चांद
हॉकिंग को स्नायु संबंधी बीमारी (एम्योट्रॉपिक लेटरल स्लेरोसिसस) थी, जिसमें व्यक्ति कुछ ही वर्ष जीवित रह पाता है. उन्हें यह बीमारी 21 वर्ष की आयु में 1963 में हुई और शुरूआत में डॉक्टरों ने कहा कि वह कुछ ही वर्ष जीवित रह सकेंगे. जुझारू हॉकिंग अपनी बीमारी का पता लगने के बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ने चले गये और अल्बर्ट आइंस्टिन के बाद वह दुनिया के सबसे महान भौतिकीविद बने.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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हॉकिंग को स्नायु संबंधी बीमारी (एम्योट्रॉपिक लेटरल स्लेरोसिसस) थी, जिसमें व्यक्ति कुछ ही वर्ष जीवित रह पाता है. उन्हें यह बीमारी 21 वर्ष की आयु में 1963 में हुई और शुरूआत में डॉक्टरों ने कहा कि वह कुछ ही वर्ष जीवित रह सकेंगे. जुझारू हॉकिंग अपनी बीमारी का पता लगने के बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ने चले गये और अल्बर्ट आइंस्टिन के बाद वह दुनिया के सबसे महान भौतिकीविद बने.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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