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This Article is From Jul 09, 2022

श्रीलंकाः राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे यदि इस्तीफा दें तो आगे क्या होगा? जानिए 4 महत्वपूर्ण बातें

राजपक्षे के अचानक चले जाने से सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या वह पद पर बने रहेंगे? और यदि नहीं तो संकटग्रस्त देश में आगे क्या होगा? 

श्रीलंकाः राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे यदि इस्तीफा दें तो आगे क्या होगा? जानिए 4 महत्वपूर्ण बातें
राजपक्षे के अचानक चले जाने से सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या वह पद पर बने रहेंगे? (फाइल)
कोलंबो:

श्रीलंका (Sri Lanka) के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) आज अपना आधिकारिक आवास छोड़कर चले गए. इसके कुछ ही देर बाद अभूतपूर्व आर्थिक संकट सामना कर रहे देश के कोलंबो स्थित राष्ट्रपति आवास में प्रदर्शनकारी उनके इस्तीफे की मांग करते हुए घुस गए. राजपक्षे को सुरक्षित बाहर ले जाने के कुछ ही वक्त बाद श्रीलंका की नौसेना के जहाज पर सूटकेस लोड किए जाने के वीडियो सामने आए हैं. स्थानीय मीडिया का दावा है कि सूटकेस मौजूदा राष्ट्रपति के हैं. 

राजपक्षे के अचानक चले जाने से सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या वह पद पर बने रहेंगे? और यदि नहीं तो संकटग्रस्त देश में आगे क्या होगा? 

राष्ट्रपति के इस्तीफा देने की स्थिति में श्रीलंका का संविधान क्या कहता है?
श्रीलंका के संविधान में कहा गया है कि यदि राष्ट्रपति का पद उनके कार्यकाल की समाप्ति से पहले खाली हो जाता है तो संसद अपने सदस्यों में से किसी एक का राष्ट्रपति के लिए चुनाव करेगी. इस्तीफा देने वाले राष्ट्रपति के कार्यालय की शेष अवधि के लिए राष्ट्रपति बनाया जाएगा.  

यह प्रक्रिया कितनी जल्दी शुरू की जाएगी?
राष्ट्रपति के इस्तीफे के एक महीने के भीतर ऐसी प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए. 

राष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद की प्रक्रिया कैसे होगी?
राष्ट्रपति के इस्तीफे के तीन दिनों के भीतर संसद की बैठक होनी चाहिए. बैठक में  संसद महासचिव को राष्ट्रपति के इस्तीफे के बारे में संसद को सूचित करना होता है. यदि पद के लिए एक से अधिक व्यक्तियों को नामांकित किया जाता है तो गुप्त मतदान कराया जाना चाहिए और उस व्यक्ति को पूर्ण बहुमत से चुना जाना चाहिए. 

नए राष्ट्रपति के चयन से पहले की अवधि में क्या होता है?
श्रीलंका में राष्ट्रपति बनने के क्रम में परंपरा के अनुसार, इस अवधि के लिए अगली पंक्ति में प्रधानमंत्री होंगे. इस प्रकार श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे एक महीने से भी कम समय के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति बन सकते हैं, जब तक कि संसद एक नए राष्ट्रपति का चुनाव नहीं कर लेती. इस समय तक यदि जरूरी हो तो प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्य करने के लिए मंत्रिमंडल के मंत्रियों में से एक को नियुक्त कर सकता है. 

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