श्रीलंका (Sri Lanka) में गंभीर आर्थिक संकट (Economic Crisis) को लेकर सरकार विरोधी अभूतपूर्व प्रदर्शन 123 दिनों के बाद मंगलवार को औपचारिक रूप से खत्म हो गए. इन प्रदर्शनों के चलते राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) को सत्ता गंवानी पड़ी थी. वहीं, प्रदर्शनकारियों ने कहा कि ''व्यवस्था में बदलाव'' के लिए उनका अभियान जारी रहेगा. प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों का केंद्र रहे गॉल फेस इलाके को खाली कर दिया है, जहां वे नौ अप्रैल से डेरा डाले हुए थे. प्रदर्शनकारियों ने पहले इस धरना स्थल से हटने से मना कर दिया था.
उधर श्रीलंका के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके छोटे भाई एवं पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे पर विदेश यात्रा प्रतिबंध की अवधि पांच सितंबर तक बढ़ा दी. दोनों को श्रीलंका में मौजूदा आर्थिक संकट के लिए व्यापक तौर पर जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
प्रदर्शनकारियों के एक समूह के प्रवक्ता मनोज ननयक्कारा ने कहा, ''हमने आज सामूहिक रूप से गॉल फेस इलाके को खाली करने का फैसला लिया है. इसका यह मतलब नहीं है कि हमारा संघर्ष खत्म हो गया है.''
युवा बौद्ध भिक्षु कोसवट्टे महामना ने कहा, ''हम आपातकाल हटाने, नए सिरे से संसदीय चुनाव कराने और राष्ट्रपति के द्वारा शासन की प्रणाली को खत्म करने के लिए जोर देते रहेंगे.''
एक और प्रदर्शनकारी विदर्शन कन्ननगारा ने कहा, ''व्यवस्था में बदलाव के लिए हमारा अभियान जारी रहेगा. हालांकि हमने यहां इस स्थल पर अभियान खत्म कर दिया है. ''
पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति चुने जाने के बाद प्रदर्शनकारियों पर प्रदर्शन स्थल खाली करने का दबाव था। विक्रमसिंघे ने सेना और पुलिस को प्रदर्शन स्थल खाली कराने और राष्ट्रपति भवन व अन्य सरकारी इमारतों में घुसने वालों की पहचान करने का निर्देश दिया था.
इससे पहले शीर्ष अदालत ने गत एक अगस्त को उस वक्त राजपक्षे और उनके छोटे भाई पर विदेश यात्रा प्रतिबंध चार अगस्त तक बढ़ा दिया था, जब मौजूदा आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जांच के आदेश जारी करने के लिए अदालत से अनुरोध करने वाली याचिका से संबंधित एक प्रस्ताव आया था। अदालत ने तीन अगस्त को एक बार फिर यह अवधि 11 अगस्त तक के लिए बढ़ाई थी.
एक समाचार पोर्टल ने ट्वीट किया, ‘‘महिंदा और बेसिल पर लगाए गए यात्रा प्रतिबंध को सर्वोच्च न्यायालय ने पांच सितंबर तक बढ़ा दिया है.''
सीलोन चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष चंद्र जयरत्ने, श्रीलंका के पूर्व तैराकी चैंपियन जूलियन बोलिंग और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल श्रीलंका के एक समूह की याचिका में दावा किया गया है कि बेसिल, महिंदा और सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर अजित निवार्ड काबराल श्रीलंका में आर्थिक संकट के लिए सीधे जिम्मेदार थे। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन सभी की गलत नीतियों से उत्पन्न वर्तमान आर्थिक संकट के कारण खाद्यान्न, ईंधन और दवाओं जैसी बुनियादी वस्तुओं की भारी कमी हो गई।
श्रीलंका की शीर्ष अदालत ने गत 15 जुलाई को तीनों के 28 जुलाई तक देश छोड़ने पर रोक लगा दी थी। बाद में इस प्रतिबंध को दो अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया था।
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति एवं महिंदा और बेसिल के भाई गोटबाया राजपक्षे मालदीव के रास्ते ‘‘निजी यात्रा'' पर 14 जुलाई को सिंगापुर पहुंचे थे। वह अपनी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के खिलाफ हुए विद्रोह से बचने के लिए अपने देश से भाग गए थे।
राजपक्षे को सिंगापुर द्वारा एक नया वीजा जारी किया गया है, जिसके जरिये वहां उनके प्रवास को 11 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है।
श्रीलंका का कुल विदेशी कर्ज 51 अरब डॉलर है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं