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This Article is From Sep 20, 2022

चीन "करीबी दोस्त" जैसा लेकिन भारत "हमारा भाई" : श्रीलंकाई राजदूत

"जब कोई हमारी मदद नहीं कर रहा था तब भारत ने हमें मदद दी. भारत ने हमें केवल वित्तीय मदद नहीं दी बल्कि भारत ने आईएमएफ और दूसरे विकास से जुड़े साथियों से बात की और उन्हें मदद के लिए प्रोत्साहित किया." :- श्रीलंकाई राजदूत

चीन "करीबी दोस्त" जैसा लेकिन भारत "हमारा भाई" : श्रीलंकाई राजदूत
इस साल की शुरुआत से भारत श्रीलंका को 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद दे चुका है

भारत (India) में श्रीलंका (Sri Lanka) के राजदूत मिलिंदा मोरागोडा (Milinda Moragoda) ने सोमवार को महिंदा राजपक्षे की उस टिप्पणी का हवाला दिया जिसमें वह कहा करते थे कि "चीन (China) करीबी दोस्त है लेकिन भारत (India) हमारे भाई-बहन की तरह है." मोरागोदा ने दोनों देशों के बीच संबंधों को "खास" बताया और कहा कि "भारत के सुरक्षा हित हमारे अपने सुरक्षा हित हैं." मिलिंदा मोरागोडा ने भारतीय वुमन्स प्रेस कॉर्प्स (Indian Women's Press Corps) से हुई एक बातचीत में कहा, " राजपक्षे हमेशा कहा करते थे कि चीन एक बहुत करीबी दोस्त है लेकिन भारत हमारा भाई-बहन है....एक परिवार में आपके मतभेद हो सकते हैं लेकिन आखिरकार वो परिवार है." 

आगे उन्होंने कहा, रामायण से लेकर आज बौद्धवाद तक, श्रीलंका और भारत के लंबे ऐतिहासिक संबंध रहे हैं. सीता और संघमिट्टा ने दोनों देशों के बीच पुल का काम किया है. हमारे संबंध बहुत खास है. इसमें उतार-चढ़ाव होंगे. यह संबंध ज़ाहिर तौर पर हमेशा एक समान नहीं हैं लेकिन ख़ास हैं. " 

श्रीलंका के सबसे बुरे आर्थिक संकट में भारत की तरफ से किए गए मदद के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए श्रीलंकाई राजदूत ने ब्रीफिंग के बाद एएनआई से कहा कि वो भारत के सहयोग के लिए कृतज्ञ हैं.  

उन्होंने कहा, "जब कोई हमारी मदद नहीं कर रहा था तब भारत ने हमें मदद दी. भारत ने हमें केवल वित्तीय मदद नहीं दी बल्कि भारत ने आईएमएफ और दूसरे विकास से जुड़े साथियों से बात की और उन्हें मदद के लिए प्रोत्साहित किया." 

इस साल की शुरुआत से भारत श्रीलंका को 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद दे चुका है, जिसमें कर्ज, करेंसी स्वैपिंग और श्रीलंका के कर्ज की पेमेंट टालना जैसे उपाय शामिल हैं.

पिछले महीने चीनी शोधकर्ता ज़हाज़ 'युआन वांग 5' को हंबनटोटा बंदरगाह पर आने देने के फैसले पर राजदूत ने कहा कि वो फैसला "आधिकारिक स्तर पर" तब लिया गया था जब  देश में अस्थिरता थी और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़ कर जा रहे थे.  भारत के सुरक्षा हित हमारे अपने सुरक्षा हित हैं, हम इसे कभी कम नहीं कर सकते.   
 

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