यूक्रेन से युद्ध के 486वें दिन रूस के ताकतवर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) को जबर्दस्त झटका लगा है. पुतिन के रसोइए और उनके वफादार ने ही अपने प्राइवेट आर्मी के जरिए रूस में तख्तापलट करने की कोशिश की. वैगनर आर्मी (Wagner mutiny) ने दो राज्यों में कब्जा भी कर लिया था. रूसी मीडिया RT के मुताबिक, ये प्राइवेट आर्मी रोस्तोव शहर पर कब्जे के बाद मॉस्को शहर की ओर बढ़ी थी. हालांकि, बगावत ज्यादा देर तक नहीं चली. बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के दखल के बाद वैगनर ग्रुप के फाउंडर येवगेनी प्रिगोजिन (Yevgeny Prigozhin) ने 24 घंटे के अंदर अपने लड़ाकों को वापस लौटने का आदेश दे दिया. अब यह प्राइवेट आर्मी अपने कैंपों की ओर लौट रही है. प्रिगोजिन भी रूस छोड़कर बेलारूस चले गए.
लुकाशेंको ने शनिवार देर रात कहा कि मैंने वैगनर प्रिगोजिन और रूस के बीच समझौता कराया है. इसके बाद वैगनर ग्रुप ने अपने सैनिकों को पीछे हटने को कहा है, ताकि खून खराबा रोका जा सके. इस पूरे घटनाक्रम में दुनिया के सामने एक चीज उजागर हो गई. रूस के अंदर व्लादिमीर पुतिन की पकड़ में आई दरार दिखने लगी. पुतिन ने पहले कहा कि बागियों को सख्त सजा मिलेगी. फिर वैगनर प्रिगोजिन से चुपचाप एक समझौता कर लिया गया. अब रूसी न्यूज एजेंसी दावा कर रही है कि वैगनर ग्रुप के खिलाफ जांच होगी. रूस ने बगावत के बाद सुरक्षा के जो कदम उठाए, वो 24 घंटे के अंदर वापस ले लिए गए. रूसी रक्षा मंत्री ने इस बीच यूक्रेन में अपने सैनिकों से मुलाकात की है.
रूस के घटनाक्रम पर अमेरिका की नजर
वैगनर की बगावत का पश्चिमी देशों के लिए खासा महत्व है. पश्चिमी देश प्रिगोजिन की बगावत को रूस पर पुतिन की कमजोर होती पकड़ के तौर पर देख रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन का कहना है कि रूस की दीवारों में उभरती दरारें दिखने लगी हैं. पुतिन को अपने शिष्य की सेना से ही मॉस्को को बचाना पड़ा, जबकि वो 16 महीने पहले यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जे के लिए तैयार थे. वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडोमिर जेलेंस्की का भी कहना है कि रूस का खोखलापन सामने आ गया है.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया में कई और तरह की चर्चा
इस बीच अंतरराष्ट्रीय मीडिया में कई और तरह की चर्चा भी है. कहा ये भी जा रहा है कि इस विद्रोह के पीछे पुतिन खुद थे. रूसी मूल की पूर्व सीआईए एनालिस्ट के मुताबिक ये संभव नहीं कि पुतिन को इस बगावत की जानकारी ही न हो. ये पुतिन का अपने राजनीतिक ताकत बढ़ाने और जंग के लिए समर्पण बढ़ाने का एक पैंतरा हो सकता है. अचानक वैगनर प्रिगोजिन की आर्मी क्यों पीछे हट गई?
बगावत को पश्चिम का उकसावा हासिल था
इस मामले से कई और सवाल भी उठते हैं. सवाल ये कि क्या प्रिगोजिन की बगावत को पश्चिम का उकसावा हासिल था? अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस बगावत के बाद कैंप डेविड जाना टाल दिया. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने डेनमार्क दौरा रद्द किया. अमेरिकी प्रशासन की नजर रूस के एटमी हथियारों पर भी है. सवाल इसके आगे भी जाते हैं. सवाल ये भी है कि पश्चिम के लिए मजबूत पुतिन ज्यादा खतरनाक है या कमजोर पुतिन? क्योंकि इस बगावत के बाद पुतिन अपनी पकड़ साबित करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार होंगे.
कुल मिलाकर एक नाकाम बगावत के बाद जो कूटनीतिक तनाव पैदा हुआ है, उसने यूक्रेन जंग को भी एक नया आयाम दिया है. इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) की पूर्व निदेशक डॉ. तारा कार्था बताती हैं, "जब प्रिगोजिन जैसी कोई घटना होती है, तो जाहिर तौर पर केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल तो उठते ही हैं. ऐसी घटनाओं से दूसरे देशों को लगता है कि पुतिन का इमेज कुछ तो डैमेज हो गया है.
वहीं, पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार कहते हैं, "मैं तो यह समझता हूं कि इसमें राष्ट्रपति पुतिन का इसमें हाथ होना या ऐसी कोई साजिश होना जिसमें पुतिन और प्रिगोजिन मिले हुए हों, उनके बीच कोई साठगांठ रही हो... मैं इन दावों को बहुत ज्यादा भरोसे करने लायक नहीं मानता हूं. वास्तव में ऐसा नहीं हो सकता. प्रिगोजिन ने इससे पहले भी रूस के अधिकारियों और नेताओं को लेकर तमाम बातें कही हैं. प्रिगोजिन का यह भी कहना है कि रूसी आर्मी ने उन्हें लड़ने के लिए मदद नहीं दी थी. यहां तक कि प्रिगोजिन का कहना है कि रूस की आर्मी ने वैगनर आर्मी पर हमले भी किए थे. मैं समझता हूं कि इस मामले में पुतिन और प्रिगोजिन के बीच कोई साठगांठ नहीं हुई होगी."
24 घंटे के अंदर पीछे क्यों हट गई वैगनर आर्मी?
आखिर वैगनर आर्मी 24 घंटे के अंदर पीछे क्यों हट गई? बेलारूस के राष्ट्रपति ने ऐसी क्या डील कराई, जिसके बाद प्रिगोजिन ने ये फैसला किया? इसके जवाब में तारा कार्था ने कहा कि सोशल मीडिया पर तो यही चल रहा है कि बेलारूस के राष्ट्रपति की कराई गई डील से प्रिगोजिन ने पैसे बनाए होंगे. लेकिन ये पैसे का मामला नहीं है. ये पावर का मामला है. अगर क्रेमलिन प्रिगोजिन को मार डालना चाहता, तो ये तो कुछ घंटे की बात होती. लेकिन पुतिन और बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको ने बड़ी समझदारी से डील बनाई. अब सवाल ये है कि इस डील में वैगनर आर्मी का क्या होगा. इस नाकाम बगावत से यूक्रेन पर भी असर पड़ा है.
बगावत से पुतिन रूस में कमजोर साबित हो रहे?
क्या इस नाकाम बगावत से पुतिन रूस में कमजोर साबित हो रहे हैं? इस सवाल के जवाब में अशोक सज्जनहार ने कहा, "इससे दोनों चीजें हो सकती हैं. इस बगावत से पुतिन से हमदर्दी रखने वाले उनके समर्थक और जुड़ जाएंगे. साथ ही पुतिन के विरोधियों को एक मैसेज मिलेगा कि वो भी एकजुट होकर पुतिन के खिलाफ कुछ कर सकते हैं."
प्रिगोजिन के खिलाफ चल रहे सभी क्रिमिनल केस होंगे बंद
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री एस पेसकोव ने बताया कि प्रिगोजिन के खिलाफ चल रहे सभी क्रिमिनल केस बंद कर दिए जाएंगे. ग्रुप के जो लड़ाके हैं, उन पर भी कार्रवाई नहीं होगी. प्रिगोजिन को रूस छोड़कर बेलारूस जाना पड़ेगा.
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