नेपाल में कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ( Nepali PM KP Sharma Oli) को गहरा झटका लगा है. संसद को भंग कर नए सिरे से चुनाव कराने की याचिका पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट (Nepal's Supreme Court) ने सोमवार को पार्लियामेंट की बहाली Parliament Reinstate) का आदेश दिया है. पांच माह में यह दूसरी बार है, जब सुप्रीम कोर्ट ने संसद को बहाल किया है. सुप्रीम कोर्ट ने नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को अगले दो दिन में नया प्रधानमंत्री बनाने का निर्देश भी दिया है. इससे पहले नेपाल में राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर नवंबर में ताजा चुनाव कराने का निर्णय किया था. ओली को तब तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहने को कहा गया था.
नेपाली कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर यह फैसला आया है. दरअसल, सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में लंबे समय से अंदरूनी कलह चली आ रही थी. पार्टी में पुष्प कमल दहाल उर्फ प्रचंड का गुट ओली से प्रधानमंत्री या पार्टी अध्यक्ष में से एक पद छोड़ने की मांग कर रहा था. इसको लेकर ओली को संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था और वो हार गए थे. लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश कर किसी और दल की सरकार बनने की संभावनाओं को विफल करने का प्रयास किया था.
नेपाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ प्रतिनिधि सभा को भंग करने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. जस्टिस चोलेंद्र शमशेर राणा की अगुवाई वाली पांच सदस्य संविधान पीठ ने कहा कि राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी का पीएम केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर संसद भंग करने का फैसला करना असंवैधानिक था. नेपाली कांग्रेस शेर बहादुर देउबा ने इस फैसले को चुनौती दी थी.
राष्ट्रपति ने 22 मई को संसद भंग करने का निर्णय़ करने के साथ 12 और 19 नवंबर को दो चरणों में चुनाव कराने का निर्णय किया था.सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अगले सात दिनों में संसद की बैठक बुलाई जा सकती है. देउबा के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें संसद में अपना बहुमत साबित करना होगा. ऐसे में देखना होगा कि प्रचंड की अगुवाई कम्युनिस्ट पार्टी का धड़ा किस ओर रुख करता है.
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