पड़ोसी देश नेपाल (Nepal) का सियासी संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है. नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी (Bidya Devi Bhandari) के इस निर्णय के बाद कि किसी पक्ष के पास बहुमत साबित करने का आधार नहीं है, पीएम केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने कैबिनेट की आपातकाल बैठक बुलाकर प्रतिनिधि सभा भंग की सिफारिश की. राष्ट्रपति ने सिफारिश को मानते हुए प्रतिनिधि सभा को भंग किया और 12 और 19 नवंबर, 2021 को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की. तब तक ओली कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहेंगे.
इससे पहले नेपाल के विपक्षी दलों ने पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) के नेतृत्व में नई सरकार बनाने का दावा पेश करने का फैसला किया था. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया.
केपी शर्मा ओली ने तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली
उन्होंने CPN-UML के 121, जनता समाजवादी पार्टी (JSP) के 32 और कुछ अन्य छोटे दलों के समर्थन पत्र के साथ राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मुलाकात की थी. ओली का दावा था कि वो इन दलों के समर्थन से संसद में बहुमत साबित कर देंगे.
शेर बहादुर देउबा 2017 में आम चुनावों के बाद से विपक्ष के नेता हैं. राष्ट्रपति ने राजनीतिक दलों को नई सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए शुक्रवार शाम 5 बजे तक का समय दिया था.
नेपाल के विपक्षी दल देउबा के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे,ओली भी मैदान में डटे
सरकार ने गुरुवार को राष्ट्रपति से सिफारिश की थी कि नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के अनुरूप नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए, क्योंकि पीएम ओली को 10 मई को उनके दोबारा चुनाव के बाद प्रतिनिधि सभा में 30 दिन के अंदर बहुमत साबित करना था.
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