
- सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के 2020 के 16 किलो गांजा मामले में पांच साल बाद एक आरोपी को अंतरिम संरक्षण दिया है.
- आरोपी अजय प्रसाद से कभी पूछताछ नहीं हुई और न ही उसे जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया था.
- मामला पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन थाना क्षेत्र में दर्ज FIR से संबंधित है और नेपाल बॉर्डर पर शुरू हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में 2020 में 16 किलो गांजा मामले में पांच साल बाद एक आरोपी को अंतरिम संरक्षण दिया है. इस केस की खास बात ये है कि आरोपी अजय प्रसाद से ना कभी पूछताछ हुई ना कभी पुलिस ने जांच में शामिल होने के लिए कहा गया. ये मामला पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन (जितना) थाना क्षेत्र में दर्ज FIR से जुड़ा है.
दरअसल, नेपाल बॉर्डर पर 25 सितंबर 2020 को एक मोटरसाइकल पर जा रहे आरोपी विकास कुमार को BSF ने पकड़ा था. आरोप है कि उसी समय उसने 16 किलो गांजा खेतों में फेंक दिया. बिहार पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी और आरोपी विकास ने बयानों में अजय प्रसाद का नाम लिया. आरोपी ने इस मामले निचली अदालत से लेकर में पटना हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मांगी. लेकिन हाईकोर्ट ने भी 16 जून 2025 को उसकी याचिका खारिज कर दी . इसके बाद वकील आशीष कुमार सिन्हा के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अर्धेंदुमौली कुमार प्रसाद ने दलील दी कि आरोपी अजय प्रसाद घटना स्थल पर मौजूद नहीं था और उसे केवल उस आरोपी के बयान के आधार पर नामजद किया गया है, जिसे गांजा के साथ पकड़ा गया था. पिछले करीब पांच सालों में याचिकाकर्ता को न तो गिरफ्तार किया गया और न ही जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया. लेकिन अब उसे परेशान किया जा रहा है.
जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस विपुल एम पंचोली की पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 26 नवंबर 2025 तक जवाब मांगा है. इस बीच अदालत ने आदेश दिया है कि अगर याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी होती है तो उसे गिरफ्तारी अधिकारी की संतुष्टि पर जमानत पर रिहा किया जाए. साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता जांच में सहयोग करेगा.
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