महाराष्ट्र के हिंगोली से सांसद हेमंत पाटिल ने रविवार को कहा कि सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए आंदोलनरत मराठा समुदाय के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए लोकसभा की सदस्यसता से इस्तीफा दे दिया. पाटिल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं. इससे पहले, मराठा समुदाय के आंदोलनरत सदस्यों ने उनसे लोकसभा की सदस्यता से कथित तौर पर इस्तीफा देने को कहा।
पाटिल ने खुद को मराठा समुदाय का कार्यकर्ता बताते हुए कहा, "इस मुद्दे के प्रति पूरे देश का ध्यान आकृष्ट करने के लिए मैं दिल्ली में लोकसभा अध्यक्ष से मिलूंगा और अपना इस्तीफा दूंगा. कई मराठा युवाओं ने पिछले कुछ दिनों में इसके (आरक्षण के) लिए आत्महत्या की है."
खुद के सांसद होने का उल्लेख करते हुए पाटिल ने कहा कि पद आते-जाते रहेंगे, लेकिन समुदाय हमेशा बना रहेगा. उन्होंने कहा, "समुदाय की स्थिति आर्थिक और शैक्षणिक रूप से बदतर हो गई है. इसलिए मराठों को आरक्षण मिलना चाहिए."
मराठा समुदाय सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग करते हुए प्रदर्शन कर रहा है. प्रदर्शन के दूसरे चरण के तहत आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के 25 अक्टूबर से आमरण अनशन पर बैठने के बाद आंदोलन तेज हो गया. उनकी अपील पर, कई गांवों ने राजनीतिक नेताओं के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया है.
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