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This Article is From Sep 15, 2022

भारतीय तेल बाजार में Saudi Arab ने Russia को पछाड़ा, 'नंबर 2 की जगह के लिए' खूब हो रही प्रतियोगिता

भारत (India) में रूसी तेल (Russian Oil) का आयात जून में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद गिर रहा है. मास्को (Moscow) ने तेल पर दिया जा रहा अपना डिस्काउंट (Discount) भी घटा दिया है.

भारतीय तेल बाजार में Saudi Arab ने Russia को पछाड़ा, 'नंबर 2 की जगह के लिए' खूब हो रही प्रतियोगिता
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है ( प्रतीकात्मक तस्वीर)

सऊदी अरब (Saudi Arab) रूस (Russia) को पछाड़ कर एक बार फिर भारत (India) का दूसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर (Oil Supplier) बन गया है. सऊदी अरब तीन महीने के अंतर के बाद रूस के ज़रा से अतंर से आगे निकल गया है. जबकि इराक (Iraq) अगस्त में भी पहले स्थान पर बना हुआ है. रॉयटर्स के अनुसार, तेल जगत के ताजा आंकड़ों से यह पता चला है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है. भारत में सऊदी अरब से 863,950 बैरल कच्चा तेल प्रतिदिन आयातित किया गया. यह पिछले महीने से 4.8% अधिक रहा. जबकि रूस से तेल खरीद में 2.4% की कटौती हुई. रूस से प्रति दिन  855,950  बैरल तेल आयात किया गया.  

सऊदी अरब के बढ़त बनाने के बावजूद, भारत में पैट्रोलियम निर्यातक देशों (Organization of the Petroleum Exporting Countries) से तेल का हिस्सा 59.8% गिर गया. यह 16 साल में सबसे कम है जब भारत ने अफ्रीकी आयात में कटौती की.  भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीददार बन गया था जब चीन और दूसरे देशों ने फरवरी में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस से तेल आयात में कटौती की थी.   

दोनों देश रूस की ओर से कच्चे सामान पर दिए जा रहे डिस्काउंट का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं जिसे रूस  पर पश्चिमी प्रतिबंधों का असर घटाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.  

भारत ने सार्वजनिक तौर से अब तक यूक्रेन में उसकी सैन्य कार्रवाई की निंदा नहीं की है. प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे.  

भारत में रूसी तेल का आयात जून में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद गिर रहा है. मास्को ने तेल पर दिया जा रहा अपना डिस्काउंट भी घटा दिया है जबकि रिफायनरियों ने लंबे समय की सप्लाई पर भी भरोसा किया है.  

रिफाइनिटिव (Refinitiv) कंपनी के एनलिस्ट  एहसान उल हक ने कहा, " आखिर में आप सउदी सप्लाई में कटौती नहीं कर सकते क्योंकि हमारे समझौते में ऐसा है और रूस ने एशिया में ऊंची मांग के चलते अपना डिस्काउंट कम कर दिया है."
 

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