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असद का कत्लखाना! सीरिया की सेडनाया जेल की कहानी जहां 14 साल में दी 1 लाख फांसी

मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, सैदनाया जेल में हजारों कैदियों की मौत हुई. कैदियों को अक्सर फांसी दी जाती थी या वो लंबी बीमारी के कारण मर जाते थे.

असद का कत्लखाना! सीरिया की सेडनाया जेल की कहानी जहां 14 साल में दी 1 लाख फांसी
नई दिल्ली:

सीरिया में बशर अल असद (Bashar Al Assad) के शासन का अंत हो गया है. बशर के शासन के अंत के बाद विद्रोहियों ने सबसे पहले सैदनाया जेल पर हमला बोला. विद्रोहियों ने जेल से कैदियों को छुड़ा लिया. सैकड़ों की भीड़ जेल के बाहर जमा हो गई. लोग बरसों से गायब अपनों की तलाश में वहां पहुंचे थे. बेताबी इतनी थी कि जेल की दीवारों को तोड़ने की तस्वीरें भी सामने आईं है. इस जेल में जो गया, वह शायद ही बाहर आए, सैदनाया की जेल इस कदर कुख्यात थी कि इसके नाम से ही लोगों में खौफ  देखने को मिलती थी. 

'यातना का घर'
सैदनाया जेल को अक्सर 'यातना का घर' कहा जाता था. कैदियों को यहां अमानवीय यातनाएं दी जाती थीं. यहां कैदियों को जानबूझकर भूखा रखा जाता था. कैदियों को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था. कैदियों को लंबे समय तक एकांत कारावास में रखने की व्यवस्था भी थी.  बीमार कैदियों को इलाज नहीं दिया जाता था. 

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मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, सैदनाया जेल में हजारों कैदियों की मौत हुई. कैदियों को अक्सर फांसी दी जाती थी या वो लंबी बीमारी के कारण मर जाते थे. जेल में ऐसी स्थिति थी कि कैदियों को जीवित रहना मुश्किल था. सैदनाया जेल की कहानी दुनिया भर में फैली और इसने लोगों को हैरान कर दिया. कई देशों ने सीरिया सरकार की आलोचना की और मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने की मांग की हालांकि बशर के ऊपर इसका कोई असर नहीं हुआ.

कब बना था सैदनाया जेल?
सैदनाया जेल का निर्माण 1960 के दशक में हुआ था. यह जेल शुरू में राजनीतिक कैदियों को रखने के लिए बनाई गई थी. लेकिन सीरियाई गृहयुद्ध के दौरान इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर विपक्षी कार्यकर्ताओं को बंद करने के लिए किया गया. इस जेल में बड़ी संख्या में विपक्षी कार्यकर्ताओं, नागरिकों और अन्य लोगों को बिना किसी मुकदमे के बंद कर दिया गया था.  इन कैदियों पर अत्याचार, यातना और हत्या जैसे गंभीर अपराध किए जाते थे. 

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जिंदगी को बचाने के लिए जूझते थे कैदी
जेल के अंदर क्या हो रहा था, इस बारे में बाहरी दुनिया को बहुत कम जानकारी मिलती थी। सीरियाई सरकार ने सूचनाओं को दबाने की कोशिश की थी. सैदनाया जेल का संचालन एक संगठित तरीके से किया जाता था, जिसका उद्देश्य कैदियों को दबाना और उन्हें मानसिक रूप से तोड़ना था. जेल के अधिकारी जानबूझकर ऐसी परिस्थितियां बनाते थे, जिनमें कैदियों के लिए जीवित रहना मुश्किल हो जाता था. 

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मानवाधिकार को लेकर दुनिया भर में उठती रही आवाज
सैदनाया जेल में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर दुनिया भर के कई देशों ने समय-समय पर आवाज उठाई है. इन देशों ने सीरियाई सरकार की कड़ी निंदा करते हुए कैदियों के साथ हो रहे अत्याचारों को रोकने की मांग की.  अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे पश्चिमी देश सबसे अधिक मुखर रहे हैं। इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पेश किए हैं और सीरियाई सरकार पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. हालांकि बशर के ऊपर इसका कोई असर नहीं हुआ. 

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