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कैसे कैसे लोगों को जबरन सेना में शामिल कर रहा रूस, सुन आप हो जाएंगे हैरान

यह कोई राज नहीं है कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के लिए कैदियों को सेना में शामिल किया गया है. लेकिन पहले जहां अपराधियों पर ध्यान था वहीं अब उन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है जिन पर केस अभी शुरू भी नहीं हुआ है. 

कैसे कैसे लोगों को जबरन सेना में शामिल कर रहा रूस, सुन आप हो जाएंगे हैरान
रूस के सैनिक.
नई दिल्ली:

Russia Ukraine War: कैसा होगा जब जेल में बंद कैदियों को वर्दी पहनाकर सीमा पर खड़ा कर दिया जाए. ऐसे फौजियों से युद्ध जीतने की उम्मीद की जा सकती है. भले ही जितने भी बड़ी आर्मी हो, जितनी भी मजबूत सेना हो, लेकिन हताशा और आधे मनोबल से कोई कैसे लड़ सकता है. बात हो रही रूस की. सर्बिया में नोवोसिबिर्स्क में 28 मार्च सुबह पौने सात बजे शहर की पुलिस आंद्रे परलोव के घर पहुंचती है. वे आरोप लगाते हैं  परलोव ने नोवोसिबिर्स्क के फुटबॉल क्लब से करीब 3 मिलियन रूबल चुराए हैं. इस क्लब के परलोव मैनेजिंग डायरेक्टर रहे थे. परलोव और उनका परिवार इन आरोपों को खारिज कर रहा है. 

गभन के आरोप में पूर्व ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट गिरफ्तार

परलोव की वर्तमान में उम्र 62 वर्ष की है. वे 1992 में आयोजित 50 किलोमीटर रेस वॉक में गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ी हैं. अब उन्हें हिरासत में 6 महीनों से ज्यादा हो गया है और अब परिवार का कहना है कि परलोव पर इस बात का दबाव बनाया जा रहा है कि वह यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में हिस्सा ले. इसके बदले में उसके खिलाफ जो घोटाले का आरोप लगा है उसे रोक दिया जाएगा और जब युद्ध समाप्त होगा तब आरोप समाप्त कर दिए जाएंगे. 

कैदियों को युद्ध में भेजने पर मजबूर कर रहा रूस

यह कोई राज नहीं है कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के लिए कैदियों को सेना में शामिल किया गया है. लेकिन पहले जहां अपराधियों पर ध्यान था वहीं अब उन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है जिन पर केस अभी शुरू भी नहीं हुआ है. 
रूस से अब यह खबर आ रही है कि नए कानून में आरोपी के वकीलों और सरकार की ओर से वकीलों को उन लोगों को यह बताने के लिए बाध्यकारी कर दिया है कि केस जुड़े लोगों को बताएं कि उनके पास दो रास्ते हैं. उन्हें या तो कोर्ट के जरिए मिली सजा को भुगतना होगा या फिर युद्ध में हिस्सा लेकर अपराधमुक्त हो सकते हैं. 

युद्ध में जाने को तैयार कैदी को मिलती है छूट

इस कानून को मार्च 2024 में बनाया गया. इसके अनुसार जैसे कोई आरोपी या सजायाफ्ता कैदी युद्ध लड़ने के लिए हामी भरता है और एप्लीकेशन साइन करता तो उसके खिलाफ जांच और विधिक कार्यवाही रोक दी जाएगी. 

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, रसिया बिहाइंड बार्स नामक एनजीओ का कहना है कि इस बदलाव ने रूस की कानून व्यवस्था को पूरी तरह से तहस नहस कर दिया है. यह संस्था जेल में बंद आरोपियों को कानूनी सहायता देती है. 

संस्था के लोगों का कहना है कि पुलिस अब किसी की भी मौत पर जब आरोपी को गिरफ्तार करेगी तो वह तुरंत कहेगा कि मैं सेना के ऑपरेशन में हिस्सा लेना चाहता हूं. और फिर उसके खिलाफ केस को बंद कर दिया जाएगा. इसके तुरंत बाद उसे सीमा पर युद्ध के लिए भेज दिया जाएगा. 

यारोस्लाव लिपावस्की बन गया सबसे युवा सैनिका जो शहीद हो गया

संस्था का कहना है कि एक नाबालिग अपराधी यारोस्लाव लिपावस्की ने जेल से बचने के लिए वह जैसे ही 18 साल का हुआ उसने ऐसे ही एक एप्लीकेशन को साइन किया. इसके बाद उसे ज्ञात हुआ कि उसकी महिला मित्र गर्भवती है. लेकिन साइन करने के तुरंत बाद उसे सीमा पर युद्ध में भेज दिया गया और एक हफ्ते बाद उसकी वहां मौत हो गई. यारोस्लाव युद्ध में शहीद होने वाला सबसे युवा सैनिक बन गया है. 

नागरिक को भी सीमा पर भेजना चाहता है रूस

अभी तक इस बात की जानकारी नहीं है कि कितने कैदियों ने इस प्रकार के रास्ते को चुना ताकि सजा से बचा जा सके. लेकिन, यह तो तय है कि रूस के सामने युद्ध लड़ने के लिए सैनिकों का संकट बनता जा रहा है. यही कारण है कि रूस को युद्ध के लिए सैनिकों की जरूरत है और वह आम नागरिकों को सीमा पर भेजने के रास्ते देख रहा है. 
 

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