Russia Ukraine War : रूस ने यूक्रेन पर जोरदार हमला किया है. हमला इतना जोरदार था कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने सोमवार को यूरोपीय देशों से अपील करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि सोमवार को रूस ने यूक्रेन पर 100 से अधिक मिसाइलों और करीब 100 ड्रोनों से हमला किया. ये हमले यूरोपीय देशों के पड़ोसी या करीब के कई पश्चिमी क्षेत्रों से भी किए गए. इस हमले के बाद रूस-यूक्रेन जंग और तेजी होती दिख रही है. एनडीटीवी से पूर्व राजदूत स्कंद तायल और रिटायर्ड मेजर जनरल अश्विनी शिवाजी ने इस मसले पर बात की और बताया कि आगे क्या होने की गुंजाइश है?
क्या चाहते हैं रूस-यूक्रेन?
पूर्व राजदूत स्कंद तायल ने कहा कि रूस-यूक्रेन जंग में रोज नए नए फ्रंट खुल रहे हैं. इस जंग में रूस का तो स्टैंड साफ है कि वह क्या चाहता है? रूस चाहता है कि वह ज्यादा से ज्यादा यूक्रेन का इलाका कब्जा कर ले. मगर यूक्रेन का स्टैंड साफ नहीं है. मतलब यूक्रेन जो बोल रहा है या चाह रहा है, वो संभव नहीं दिखता. कारण रूस कब्जे वाली जमीन को कभी छोड़ेगा नहीं. इसीलिए जेलेंस्की यह चाहते हैं कि किसी तरह इस जंग में अमेरिका शामिल हो जाए. इजरायल भी यही कर रहा है. वह भी चाहता है कि उसकी जंग में अमेरिका कूद जाए.
यूक्रेन ने चला सही दांव
रिटायर्ड मेजर जनरल अश्विनी शिवाजी ने कहा कि यूक्रेन ने जिस तरह रूस के अंदर जमीन पर कब्जा कर लिया है, यह बहुत बड़ा एडवांटेज है. अब तक अमेरिका और यूरोप यूक्रेन को और ज्यादा हथियार देने से हिचक रहे थे, लेकिन अब वे उसे ज्यादा हथियार देंगे. साथ ही रूस के अंदर अपने हथियारों के इस्तेमाल पर लगी रोक को भी धीरे-धीरे कम करेंगे. इससे यूक्रेन की ताकत बढ़ेगी. रूस के शहरों पर हमले आने वाले दिनों में हमले बढ़ेंगे तो वहां की जनता भी पुतिन के खिलाफ हो जाएगी.
अमेरिका और रूस का प्लान
जंग की एक और वजह बताते हुए पूर्व राजदूत स्कंद तायल ने कहा कि आज यूरोप का हर छोटा-बड़ा देश हथियार खरीद रहा है या खरीदने की सोचने लगा है. जाहिर है इसका सबसे बड़ा फायदा अमेरिका को होगा. इसलिए वह युद्ध को चलाना चाहता है, लेकिन वह इसे इतना भी आगे नहीं बढ़ाना चाहता कि उसे खुद शामिल होना पड़े. इसी तरह रूस भी इस जंग को बहुत आगे नहीं बढ़ाना चाहता. वह भी सिर्फ यूक्रेन को बर्बाद करना चाहता है और उसके एक हिस्से पर कब्जा करना चाहता है.
यूं खत्म हो सकती है जंग
रिटायर्ड मेजर जनरल अश्विनी शिवाजी ने कहा कि इस युद्ध का अंत अमेरिका चुनाव के बाद हो सकता है. अगर डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीत जाते हैं तो अगर वो यूक्रेन को हथियारों से मदद करना बंद कर देते हैं तो जाहिर है कि यू्क्रेन एक दिन भी जंग नहीं लड़ पाएगा. रूस भी शायद इसी का इंतजार कर रहा है कि अमेरिका, नाटो के साथ-साथ यूक्रेन की कमर इस जंग में टूट जाए और हारकर उसकी शर्तों पर सभी बातचीत की मेज पर आएं. फिलहाल तो इस जंग का अंत नहीं दिख रहा. हां, इसका विस्तार थोड़ा-बहुत और हो सकता है.
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