
- रूस के तट पर 8.8 तीव्रता का भूकंप आने के बाद प्रशांत क्षेत्र के कई देशों के लिए सुनामी चेतावनी जारी की गई हैं.
- 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी ने 14 देशों के समुद्रतटों को तबाह कर दिया था. 2.3 लाख लोगों की मौत हुई थी.
- सुनामी में भारत के पूर्वी तट पर विशेष रूप से तमिलनाडु और अंडमान निकोबार द्वीप समूह को गंभीर नुकसान पहुंचा था.
Russia earthquake: रूस के कामचटका प्रायद्वीप में बुधवार सुबह 8.8 तीव्रता के भूकंप के बाद जापान, अमेरिका चीन, पेरू और इक्वाडोर सहित प्रशांत महासागर में कई देशों के तटीय इलाकों के लिए सुनामी चेतावनी जारी की गई है. इससे पूरे प्रशांत क्षेत्र में चिंता बढ़ गई है. शक्तिशाली भूकंप का केंद्र पेट्रोपाव्लोव्स्क-कामचत्स्की शहर से लगभग 119 किमी दूर था, जो रूस का एक शहर है जिसकी आबादी 1.8 लाख के करीब है. इस भूकंप के बाद रूस, जापान, अमेरिका (हवाई और अलास्का), ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और प्रशांत महासागर के कई द्वीप देशों में तुरंत सुनामी की चेतावनी जारी कर दी गई.
भूकंप से रूस के समुद्र तट पर चार मीटर ऊंची लहरें आईं. जापान में, लगभग 20 लाख लोगों को घर खाली करने की सलाह दी गई, और कई लोग कार से या पैदल ही ऊंचे स्थानों पर चले गए. जापान की मौसम एजेंसी ने कहा कि 1.3 मीटर ऊंची सुनामी उत्तरी इवाते प्रान्त में एक बंदरगाह तक पहुंच गई. लेकिन दोपहर तक किसी के घायल होने या क्षति की सूचना नहीं थी. प्रशांत महासागर के अन्य देशों ने भी इस मुश्किल वक्त में तेजी दिखाई है.
इस घटना ने 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के कारण हुए विभत्स विनाश की यादें ताजा कर दी हैं.
2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी
26 दिसंबर 2004 की सुबह, इंडोनेशिया के सुमात्रा के पश्चिमी तट पर समुद्र के अंदर 9.1 तीव्रता का भूकंप आया. इससे सुनामी आई जिसने हिंद महासागर क्षेत्र को तबाह कर दिया. कुछ ही घंटों में 14 देशों के समुद्रतटों पर भीषण लहरें आ गईं, जिससे लगभग 2.3 लाख लोग मारे गए और लाखों लोग विस्थापित हो गए. कई जगह पूरी की पूरी कम्यूनिटी उजड़ गई.
भारत पर असर
भारत सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक था. सुनामी ने विनाशकारी शक्ति के साथ पूर्वी तट पर कहर बरपाया, विशेष रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को प्रभावित किया. तमिलनाडु में, नागपट्टिनम, कन्नियाकुमारी और कुड्डालोर में मछली पकड़ने वाले शहरों में बडे़ पैमाने पर विनाश हुआ और सबसे अधिक संख्या में लोगों की मौत हुई. समुद्र तट लांघकर कई किलोमीटर अंदर तक बढ़ गया, परिवारों ने कुछ ही सेकंड में अपने प्रियजनों, घरों और आजीविका को खो दिया.
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में तबाही और भी गंभीर थी. पूरे गांव जलमग्न हो गए और हजारों लोग लापता बताए गए. मेनलैंड से दूर होने की वजह से राहत प्रयास बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया, जिससे आवश्यक सहायता तक पहुंच में देरी हुई.
भूकंप का केंद्र
भूकंप का केंद्र उत्तरी सुमात्रा के आचे के पास था, जहां सबसे ज्यादा मौतें हुईं. अकेले इंडोनेशिया में 2 लाख से ज्यादा मौतें हुईं. सुनामी ने 800 किमी समुद्र तट को जलमग्न कर दिया, लहरें 6 किमी भीतर तक उठीं. आसपास के देशों - श्रीलंका, थाईलैंड, मालदीव और पूर्वी अफ्रीका के तटीय भागों - को व्यापक क्षति हुई. कई स्थानों पर लहरें 30 फीट (नौ मीटर) की ऊंचाई तक पहुंच गईं. मरने वालों या लापता लोगों में हजारों विदेशी पर्यटक भी शामिल थे, खासकर थाईलैंड और श्रीलंका के. सुनामी की चेतावनी देने वाले सिस्टम की कमी के कारण लोगों को बहुत कम या बिल्कुल समय नहीं मिला.
सुनामी ने बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर को भी क्षति पहुंचाई. इंडोनेशिया में, सड़कों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के साथ-साथ 139,000 से अधिक घर, 3,400 स्कूल और 517 स्वास्थ्य केंद्र नष्ट हो गए. 600,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए.
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