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पुतिन और किम ने कर ली ऐसी डील, टेंशन में आ गया अमेरिका-जानें क्या हुआ है समझौता? 

Putin North Korea Visit : व्लादिमीर पुतिन ने 24 सालों में पहली बार उत्तर कोरिया की यात्रा की है. वहां उनका जोरदार स्वागत किया गया. किम खुद उन्हें लेने एयरपोर्ट पर पहुंचे.

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पुतिन और किम ने कर ली ऐसी डील, टेंशन में आ गया अमेरिका-जानें क्या हुआ है समझौता? 
Putin North Korea Visit : पुतिन और किम ने बहुत बड़ा रक्षा समझौता किया है.
नई दिल्ली:

Putin North Korea Visit : अब अगर उत्तर कोरिया (North Korea) या रूस (Russia) पर किसी देश ने हमला किया तो दोनों मिलकर लड़ेंगे. उत्तर कोरिया और रूस के नेताओं ने बुधवार को इस रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते में हमला होने पर एक-दूसरे की मदद करने के लिए पारस्परिक रक्षा प्रतिज्ञा शामिल है. रायटर्स के अनुसार, उत्तर कोरिया के किम जोंग उन (Kim Jong Un) ने नए संबंधों को '' अलायंस" नाम दिया. इस समझौते की अहमियत इससे समझी जा सकती है कि 24 वर्षों में पहली बार व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने उत्तर कोरिया की यात्रा की है. किम ने प्योंगयांग में पुतिन के साथ अपनी बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन भी किया. यह भी अपने आप में बड़ी बात है, क्योंकि किम संवाददाता सम्मेलन नहीं करते. 

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ऐसे हुआ पुतिन का स्वागत

प्योंगयांग में पुतिन का भव्य स्वागत किया गया. पुतिन के आगमन में घंटों की देरी होने के बाद भी किम ने रेड कार्पेट पर अकेले उनका गले लगाकर स्वागत किया. घुड़सवार सैनिकों सहित नागरिकों की एक बड़ी भीड़ राजधानी से होकर ताएडोंग नदी के किनारे किम इल सुंग स्क्वायर पर एकत्र हुई. बच्चे गुब्बारे पकड़े हुए थे और दोनों नेताओं के विशाल चित्र राष्ट्रीय ध्वज के साथ चौराहे की मुख्य इमारत की शोभा बढ़ा रहे थे.

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किम और पुतिन शिखर वार्ता के लिए कुमसुसान पैलेस पहुंचे तो किम ने कहा कि दुनिया भर में तेजी से जटिल सुरक्षा माहौल के कारण रूस के साथ मजबूत रणनीतिक बातचीत की जरूरत है. किम ने पुतिन से कहा, "और मैं फिर से पुष्टि करना चाहता हूं कि हम बिना शर्त और अटूट रूप से रूस की सभी नीतियों का समर्थन करेंगे." उन्होंने कहा, "उत्तर कोरिया संप्रभुता, सुरक्षा हितों और साथ ही क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए यूक्रेन में एक विशेष सैन्य अभियान चलाने में रूसी सरकार, सेना और लोगों को पूर्ण समर्थन और एकजुटता व्यक्त करता है." पुतिन ने अपने आगमन से पहले अमेरिकी आर्थिक दबाव, ब्लैकमेल और धमकियों का विरोध करने के लिए प्योंगयांग की प्रशंसा की थी. 

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किम और पुतिन ने समझौते पर क्या कहा?

शिखर सम्मेलन के बाद पुतिन ने कहा, "आज हुआ साझेदारी समझौता अन्य बातों के अलावा एक पक्ष के खिलाफ आक्रामकता की स्थिति में पारस्परिक सहायता प्रदान करता है." किम ने कहा कि यह समझौता राजनीति, अर्थव्यवस्था और रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करेगा. उन्होंने इसे "पूरी तरह से शांतिप्रिय और रक्षात्मक" बताया. किम ने कहा, "हमारे दोनों देशों के संबंध गठबंधन के नए उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं." अपने शिखर सम्मेलन की शुरुआत में किम ने "रूस की सभी नीतियों" के लिए "बिना शर्त समर्थन" व्यक्त किया था, जिसमें यूक्रेन के साथ पुतिन के युद्ध के लिए "पूर्ण समर्थन और दृढ़ गठबंधन" भी शामिल था. रूसी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पुतिन ने कहा कि मॉस्को संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों की आधिपत्यवादी, साम्राज्यवादी नीति से लड़ रहा है. रूसी राज्य समाचार एजेंसी आरआईए ने सम्मेलन की शुरुआत में पुतिन के हवाले से कहा, "हम यूक्रेनी सहित रूसी नीति के लिए उत्तर कोरिया के निरंतर और अटूट समर्थन की अत्यधिक सराहना करते हैं." 

पुतिन की यात्रा में रूस-उत्तर कोरिया के दशकों के संबंधों को नया रूप दिया है. दोनों देश फिलहाल अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना कर रहे हैं. इस यात्रा पर दक्षिण कोरिया (South Korea) और अमेरिका (USA) की बारीक नजर है. उत्तर कोरिया के मुख्य राजनीतिक और आर्थिक हितैषी और मॉस्को के लिए तेजी से महत्वपूर्ण सहयोगी चीन (China) ने इस यात्रा पर अब तक प्रतिक्रिया नहीं दी है. वह अब तक मौन साधे हुए है. 

पुतिन ने सितंबर में रूसी सुदूर पूर्व में एक शिखर सम्मेलन में किम की मेजबानी की थी, जिसने दोनों देशों के सैन्य सहयोग को गति दी थी. रूस ने वाशिंगटन को परेशान करने के लिए उत्तर कोरिया के साथ अपने मधुर होते संबंधों का इस्तेमाल किया है, जबकि भारी प्रतिबंध वाले उत्तर कोरिया ने मॉस्को से राजनीतिक समर्थन और आर्थिक समर्थन और व्यापार के वादे हासिल किए हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों का कहना है कि उन्हें डर है कि रूस उत्तर कोरिया के मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों के लिए सहायता प्रदान कर सकता है, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों द्वारा प्रतिबंधित है. उन्होंने प्योंगयांग पर बैलिस्टिक मिसाइल और तोपखाने के गोले रूस को उपलब्ध कराने का आरोप लगाया है, जिनका उपयोग रूस ने यूक्रेन में अपने युद्ध में किया है. हालांकि, मॉस्को और प्योंगयांग ने हथियार हस्तांतरण से इनकार किया है. 

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