भूटान की राजकीय यात्रा को बहुत सफल और उनका 'सबसे यादगार' दौरा बताते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आशा जताई कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्ते निरंतर मजबूत होते रहेंगे।
मुखर्जी ने कहा, मैं खुशियों के स्थल भूटान में आकर हर्षित हुआ। मैंने विभिन्न पदों पर रहते हुए कई बार भूटान की यात्रा की और इस सुंदर देश के साथ मेरा जुड़ाव 80 के दशक से है, जब मैंने अपना सार्वजनिक जीवन शुरू किया था। इन बीते दशकों में, मैंने हमेशा दोनों देशों के बीच ज्यादा मजबूत, दृढ़ रिश्तों के लिए काम किया। मैं भूटान का मित्र होकर गौरवान्वित हूं।
राष्ट्रपति मुखर्जी के इस देश का दो-दिवसीय दौरा पूरा करने के बाद शनिवार को स्वदेश लौटते वक्त पारो हवाई अड्डे पर भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नांगयेल वांगचुक और उनकी पत्नी ने उन्हें भावपूर्ण विदाई दी। किसी भारतीय राष्ट्राध्यक्ष द्वारा 26 वर्ष में भूटान की यह पहली यात्रा है।
राष्ट्रपति ने कहा, मैं मुझे मिले गर्मजोशी के स्वागत से अभिभूत हूं और मैं देशभर में उत्सव जैसा माहौल देखकर खुश हूं। मैं अपनी सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण के साथ अपने लोगों के जीने की गुणवत्ता सुधारने में भूटान की शानदार प्रगति से प्रभावित हूं।
मुखर्जी ने कहा, मेरी यात्रा का मुख्य उददेश्य हमारे बहुमुखी रिश्तों को मजबूत करना है। हमारे लंबे ऐतिहासिक एवं सभ्यता से जुड़े संबंधों को ध्यान में रखते हुए और दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क मजबूत करते हुए, हमारे बेहद करीबी संबंध साझा मूल्यों के साथ साथ समान हितों तथा उद्देश्यों पर आधारित हैं।
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