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This Article is From Sep 24, 2011

प्रधानमंत्री ने किया संयुक्त राष्ट्र के विस्तार का आह्वान

संयुक्त राष्ट्र: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आर्थिक मंदी और आतंकवाद जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में भारत अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक वित्तीय संस्थाओं में महत्वपूर्ण सुधारों पर भी जोर दिया। अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, "आतंकवादी समूहों अथवा आतंकवादी ढांचे से निपटने में कोई चुनिंदा तरीका नहीं हो सकता। अपने 21 मिनट के सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, "आतंकवाद से सभी मोर्चो पर लड़ा जाना है। आतंकवाद अपना घिनौना चेहरा बड़ा करता जा रहा है और निर्दोष लोगों के जीवन को अपना शिकार बना रहा है।" मनमोहन सिंह के सम्बोधन की प्रशंसा सभी सदस्य देशों ने की। उन्होंने कहा, "दक्षिण एशिया में सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग का हौसला बढ़ाने वाले संकेत हैं जैसा कि भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग से साबित होता है।" प्रधानमंत्री ने वैश्विक आर्थिक मंदी से निपटने के लिए एक बार फिर अंतरराष्ट्रीयता के सिद्धांतों को अपनाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा, "वैश्विक चुनौतियों से निपटने के अलावा हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है। यदि हम एक टकराव वाले रवैये की अपेक्षा एक सहयोगी दृष्टिकोण अपनाते हैं तो हम अवश्य सफल होंगे।" उन्होंने कहा, "यदि हमारे प्रयासों में सच्चाई है और उन्हें केवल कानून के दायरे से नहीं बल्कि कानून की भावना से जारी रखा जाता है तो हम सफल होंगे।" मनमोहन सिंह ने संयुक्त राष्ट्र के अधिकारों के तहत की गई कार्रवाई पर जोर देते हुए कहा, "कार्रवाई करते समय प्रत्येक राष्ट्र की स्वतंत्रता, सम्प्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और एकता का अवश्य सम्मान किया जाना चाहिए।" प्रधानमंत्री ने महासभा को वैश्विक आर्थिक संकट, आतंकवाद, पश्चिम एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका में सामाजिक एवं राजनीतिक जन विद्रोह की चुनौतियों की तरफ इशारा किया। उन्होंने अनसुलझे फिलीस्तीन संकट का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने महासभा के पुनरुद्धार के साथ संयुक्त राष्ट्र को 'मजबूत एवं और प्रभावी' बनाने का भी आह्वान किया। उन्होंने 'समकालीन वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से परिलक्षित करने के लिए' सुरक्षा परिषद के विस्तार और उसमें सुधार पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने 'गति और दक्षता' के साथ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की शासन प्रणाली में सुधार करने का आह्वान किया। यह उल्लेख करते हुए कि परमाणु प्रसार आज भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरा बना हुआ है, प्रधानमंत्री ने कहा, "पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक कार्य योजना तैयार की थी जिसमें समयबद्ध, वैश्विक, भेदभाव रहित, चरणबद्ध और प्रमाणित तरीके से परमाणु निरस्त्रीकरण हासिल करने की एक स्पष्ट रूपरेखा बताई गई थी।" संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और उद्देश्यों में विश्वास जताते हुए प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि 'भारत संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।' मनमोहन सिंह ने मौजूदा वैश्विक आर्थिक सुस्ती के प्रति सावधान करते हुए कहा कि इस सुस्ती के कारण संरक्षणवाद की दीवार नहीं खड़ी की जानी चाहिए और लोगों, सेवाओं और पूंजी के मुक्त आवागमन को बाधित नहीं किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासभा में शासन व्यवस्था में तेजी से सुधार करने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा, "बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समन्वय के लिए प्रभावी कदम उठाया जाना चाहिए।" सिंह ने कहा, "विश्व अर्थव्यवस्था संकट की घड़ी से गुजर रही है। वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी से उबरने के लिए जो प्रक्रिया शुरू की गई थी उसे और आगे बढ़ाने की जरूरत है। कई अर्थो में संकट और गहरा गया है।" उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोप और जापान जैसी दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था में लगातार सुस्ती के कारण विकासशील देशों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है साथ ही इन देशों में महंगाई भी बढ़ रही है।रब्बानी की हत्या, शांति प्रयासों को धक्का : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी की हत्या अफगानिस्तान में शांति के दुश्मनों की 'एक डरावनी धमकी है।' संयुक्त राष्ट्र महासभा के 66वें अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में सुलह प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने में भारत अपनी भूमिका निभाएगा ताकि वे अपने लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकें। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शांति एवं सुलह प्रक्रिया की सफलता के लिए आवश्यक है।फिलीस्तीन को समर्थन : दबावों के बावजूद अपने रुख पर कायम रहते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता पाने के फिलीस्तीन के दावे समर्थन किया और ईरान के साथ अपने सम्बंधों के लिए प्रतिबद्धता दोहराई। विदेश सचिव रंजन मथाई ने शुक्रवार को इस बात के संकेत दिए कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने सम्बोधन के दौरान फिलीस्तीन की इस मांग का समर्थन कर सकते हैं। मथाई ने प्रधानमंत्री के भाषण के प्रति पूर्वावलोकन करने से इनकार करने के बावजूद उन्होंने कहा, "फिलीस्तीन के बारे में हमारा रुख स्पष्ट है। यह सर्वविदित है कि हमने 1988 में ही फिलीस्तीन को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी थी। यदि हम अपना रुख दोहराते हैं तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।" उन्होंने बताया कि अब्बास की इस ऐतिहासिक दावेदारी के कुछ घंटे बाद हुई मनमोहन सिंह व ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद की मुलाकात में दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में फिलीस्तीन की सदस्यता के लिए उसकी ओर से किए जा रहे प्रयासों का समर्थन दोहराया। इसी तरह, संयुक्त राष्ट्र महासभा में ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के आक्रामक भाषण के एक दिन बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ईरान के साथ करीबी सम्बंधों के लिए प्रतिबद्धता दोहराते हुए उनसे भेंट की। महासभा में अहमदीनेजाद के भाषण के दौरान अमेरिका की अगुवाई वाले पश्चिमी देशों के प्रतिनिधि बाहर चले गए थे।प्रधानमंत्री की कूटनीतिक बैठकें : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को ईरान, जापान और श्रीलंका के नेताओं से मुलाकात की। विदेश सचिव रंजन मथाई ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि प्रधानमंत्री ने जापान के नवनियुक्त प्रधानमंत्री योशिहिको नोडा से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय सम्बंधों, व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता, आगामी पूर्वी एशिया शिखर वार्ता के संदर्भ में क्षेत्रीय मुद्दों और दोनों देशों के वैश्विक साझेदारी पर विचार किया। सभी देशों द्वारा नाभिकीय संयंत्रों की सुरक्षा समीक्षा किए जाने के बाद भी दोनों देशों ने नाभिकीय सहयोग पर वार्ता जारी रखने पर सहमति जताई। इसके अलावा जी-4 समूह में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार के लिए बातचीत जारी रखने पर दोनों देशों ने स्वीकृति प्रकट की। जी-चार सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के इच्छुक देशों का समूह है, जिसमें भारत, जापान, ब्राजील एवं जर्मनी शामिल हैं। श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के साथ मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने श्रीलंका के उत्तरी हिस्सों के तमिल बहुल इलाकों में शक्तियों के विकेंद्रीकरण पर चर्चा की। इसके अलावा दोनों देशों के मछुआरों की बैठक पर भी सहमति बनी। शनिवार को महासभा को सम्बोधित करने के बाद मनमोहन सिंह की नेपाल के प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई एवं दक्षिण सूडान के राष्ट्रपति सलवा कीर से मुलाकात का कार्यक्रम है।

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