विज्ञापन
This Article is From Apr 10, 2012

पाकिस्तानी कैदियों पर पीएम को जरदारी से चर्चा करनी चाहिए थी : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: मानसिक रूप से कमजोर पाकिस्तानी कैदियों के सजा पूरी करने के बावजूद भारतीय जेलों में बंद होने पर गहरी चिंता प्रकट करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज सरकार से पूछा कि इन लोगों को वापस क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि इन्हें जेलों में रखे रहना ‘‘हमें पीड़ा देता है।’’ न्यायमूर्ति आरएम लोधा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जब दोनों देशों के नेता मिले तो इस तरह के मामलों पर शीर्ष स्तर पर प्राथमिकता के आधार पर विचार किया जाना चाहिए।

पीठ ने अपनी सजा पूरी करने के बावजूद जेल में बंद 21 कैदियों के मामले में यह व्यवस्था दी। इनमें से 16 मानसिक रूप से बीमार हैं और पांच गूंगे-बहरे हैं। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की हाल की भारत यात्रा की ओर संकेत करते हुए पीठ ने सवाल किया, ‘‘ जब शासनाध्यक्ष मिलते हैं तो इस तरह के मामलों पर क्या शीर्ष स्तर पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।’’ अदालत ने केन्द्र से कहा कि वह तीन सप्ताह के भीतर यह पता लगाए कि इन कैदियों को उनके देश वापस भेजने के लिए क्या किया जा सकता है? न्यायालय ने अगली सुनवाई की तारीख दो मई मुकर्रर कर दी।

पीठ ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिरासत में रखे जाने के दौरान इन कैदियों को बेहतरीन सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, लेकिन समस्या यह है कि उन्हें वापस क्यों नहीं भेजा जा रहा है। रुकावट क्या है? उन्हें इस तरह से रखा जाना ‘‘हमें दुख देता है।’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘इन मामलों को शीर्ष प्राथमिकता दी जानी चाहिए। वह मानसिक रूप से बीमार हैं और गूंगे बहरे हैं। उन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है। उन्हें कुछ समस्या के कारण जेल में रखा गया है लेकिन अनिश्चित काल के लिए तो नहीं रखा जा सकता।’’ केन्द्र की दलील है कि इन लोगों को उनकी पहचान साबित होने तक वापस नहीं भेजा जा सकता।

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘छह माह या एक वर्ष के बाद आप ऐसा कैसे कर पाएंगे, समस्या बनी रहेगी। आप हमें बताएं कि क्या किया जाना चाहिए।’’ न्यायालय जम्मू-कश्मीर पैंथर्स पार्टी के नेता प्रो. भीम सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा था। याचिका में न्यायालय से उन पाकिस्तानी कैदियों की स्वदेश वापसी के संबंध में केन्द्र को निर्देश देने की गुहार की गई थी, जो अपनी सजा पूरी करने के बावजूद देश की विभिन्न जेलों में बंद हैं। सिंह ने कहा कि इन कैदियों के फोटो केन्द्र द्वारा पाकिस्तान सरकार को दिए जाने चाहिए ताकि उन्हें वहां के अखबारों में प्रकाशित करवाकर इनकी पहचान साबित की जा सके क्योंकि ये लोग मानसिक रूप से बीमार हैं।

न्यायालय ने हालांकि कहा कि केन्द्र को यह निर्देश देने में कोई परेशानी नहीं है कि वह पाकिस्तान सरकार को इन कैदियों के फोटो दे, लेकिन पाकिस्तान सरकार को तो इस बात के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता कि वह इन फोटो को प्रकाशित करे। पीठ ने कहा, ‘‘केन्द्र पाकिस्तान उच्चायोग को मजबूर नहीं कर सकता। केवल कुछ सुझाव दिए जा सकते हैं। इस मामले में पाकिस्तान उच्च न्यायालय को आगे बढ़ना होगा।’’ अपनी व्यवस्था में पीठ ने कहा कि इन कैदियों को उनकी पहचान स्थापित हुए बिना वापस नहीं भेजा जा सकता क्योंकि वह इनके लिए बदतरीन स्थिति होगी।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Manmohan Zardari, Supreme Court On Pak Prisoners, Zardari India Visit, मनमोहन-जरदारी, पाकिस्तानी कैदियों पर सुप्रीम कोर्ट, जरदारी की भारत यात्रा
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com