
- CM हेमंत सोरेन अपने पैतृक गांव नेमरा में पिता शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म के आम आदमी की तरह नजर आ रहे हैं.
- हेमंत सोरेन गांव की गलियों में घूमते हुए किसानों से मिलकर जल, जंगल और जमीन के संरक्षण पर चर्चा कर रहे हैं.
- मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी राजनीतिक सोच और सेवा की प्रतिबद्धता पिता की विरासत और आदर्शों से प्रेरित है.
Hemant Soren In Nemra: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन दिनों अपने पैतृक गांव में बिल्कुल आम आदमी की नजर आ रहे हैं. पिता शिबू सोरेन का श्राद्ध कर्म चल रहा है. इस दौरान सीएम सोरेन पत्नी कल्पना के साथ गांव में रहते हुए हर एक परंपरा को निभाते नजर आ रहे हैं. पिता के श्राद्ध कर्म के साथ-साथ सीएम गांव की गलियों और पगडंडियों पर घूमते भी नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि गांव की मिट्टी में खुशबू और हरियाली की ठंडक है.
नेमरा गांव के रास्तों पर चलते हुए, किसानों से मिलते हुए, जल-जंगल-ज़मीन के मुद्दों पर बोलते हुए — हर जगह मुख्यमंत्री में पिता की विरासत जीवित दिखाई देती है. यह रिश्ता केवल खून का नहीं, बल्कि विचारों, सिद्धांतों और सेवा के संकल्प का है. झारखंड की धरती अपनी प्राकृतिक सुंदरता, घने जंगलों, कल-कल बहती नदियों और हरे-भरे खेतों के लिए जानी जाती है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रकृति से गहरा लगाव है. यह लगाव केवल शब्दों में नहीं, बल्कि उनके जीवनशैली और नीतियों में साफ दिखाई देता है. गांव के प्राकृतिक वातावरण में पले-बढ़े मुख्यमंत्री आज भी अपने व्यस्त राजनीतिक जीवन में प्रकृति के साथ समय बिताना नहीं भूलते.
इसी क्रम में आज मुख्यमंत्री अपने पैतृक गांव नेमरा में सादगीपूर्ण अंदाज में गांव की गलियों और पगडंडियों पर घूमते हुए नजर आए. निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों से बातचीत की और उनकी समस्याओं एवं सुझावों को सुना.

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को लोग सिर्फ राज्य का मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि अपने पिता दिशोम गुरु दिवंगत शिबू सोरेन जी की परछाई के रूप में भी देखते हैं. चाहे ग्रामीण इलाकों का दौरा हो, गरीब और वंचितों की समस्याएं सुनना हो या जल, जंगल और ज़मीन की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाना — हर कार्य में गुरुजी की सोच और आदर्श साफ़ झलकते हैं.
जनसेवा, सरल स्वभाव और लोगों से गहरे जुड़ाव की वही विरासत, जिसे गुरुजी ने दशकों तक निभाया, आज मुख्यमंत्री अपने कार्यों से आगे बढ़ा रहे हैं.

मुख्यमंत्री के व्यक्तित्व में वही सादगी, वही संघर्ष और वही अटूट समर्पण झलकता है, जिसने गुरुजी को लोगों के दिलों में अमर कर दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके जीवन का हर कदम पिता की सीख और आशीर्वाद से प्रेरित है. गुरुजी ने सिखाया कि राजनीति का अर्थ केवल सत्ता नहीं, बल्कि जनता की सेवा और अधिकारों की रक्षा है.
जल, जंगल और ज़मीन से है गहरा जुड़ाव
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि जल, जंगल और ज़मीन राज्य की पहचान और अस्तित्व का आधार हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इन तीनों संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन को अपनी प्राथमिकता में रखकर कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि यह केवल प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा का विषय नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध झारखंड बनाने का संकल्प है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की संस्कृति, परंपरा और आजीविका जल, जंगल और ज़मीन से अभिन्न रूप से जुड़ी है. यही कारण है कि राज्य सरकार जल संरक्षण, वनों की रक्षा और भूमि अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर लागू कर रही है.

उन्होंने कहा कि झारखंड की असली पहचान उसकी प्राकृतिक संपदा और सांस्कृतिक धरोहर है. सरकार जल संरक्षण, वन संरक्षण और भूमि अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह धरती हरी-भरी और जीवनदायी बनी रहे.

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