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26 साल बाद याद आया सम्‍मान! कारगिल जंग के सैनिक को ढाई दशक बाद सम्‍मान देकर क्‍या जता रहे हैं पाकिस्‍तान के मुनीर 

आज जनरल मुनीर उसी कैप्‍टन करनाल शेर खान की बहादुरी के गुणगान कर रहे हैं, जिनका शव तक लेने से पाकिस्‍तान ने इनकार कर दिया था. 

  • पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने कारगिल युद्ध के शहीद कैप्टन करनाल शेर खान को उनकी 26वीं शहादत की सालगिरह पर सम्मानित किया.
  • पाकिस्तान ने पहले करनाल शेर खान के शव को लेने से इनकार किया था, जबकि भारतीय सेना ने उन्हें बहादुरी का प्रतीक माना और सम्मान दिया.
  • भारतीय सेना के ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा ने शेर खान के साहस की प्रशंसा करते हुए उनके लिए प्रशस्ति पत्र लिखा था, जो शव के साथ मिला था.
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इस्‍लामाबाद:

पाकिस्‍तान भी कब क्‍या कर दे, कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है. जिस सैनिक का शव तक पाकिस्‍तान ने लेने से इनकार कर दिया था अब उसे ही जनरल आसिम मुनीर ने सम्‍मानित किया है. 1999 की कारगिल जंग के दौरान इस्लामाबाद ने जो किया और अब वह जो कुछ भी कर रहा है, उससे उसकी नीयत पर सवाल उठाने लगे हैं. आज जनरल मुनीर उसी कैप्‍टन करनाल शेर खान की बहादुरी के गुणगान कर रहे हैं, जिनका शव तक लेने से पाकिस्‍तान ने इनकार कर दिया था. 

अब बताया नेशनल हीरो 

मुनीर ने उन्‍हें पाकिस्‍तान का नेशनल हीरो तक करार द‍े दिया है. पाकिस्तानी सेना और उसके प्रमुख असीम मुनीर ने पिछले दिनों कैप्‍टन करनाल शेर खान को उनकी 26वीं 'शहादत' की सालगिरह के अवसर पर याद किया. मुनीर ने खैबर पख्तूनख्वा के स्वाबी में उनके मकबरे पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की. 

पाकिस्तानी सेना ने कैप्‍टन खान को 'अटूट साहस' और 'देशभक्ति' का प्रतीक बताया. विडंबना यह है कि कभी पाकिस्‍तान ने उनकी मौत के बाद उन्हें अपने देश में कब्र देने से भी मना कर दिया गया था. कारगिल की जंग के समय इस्लामाबाद ने उनकी पहचान के स्पष्‍ट सबूतों के बावजूद द्रास सब-सेक्टर में टाइगर हिल पर मिले उनके शव को लेने से इनकार कर दिया था. 

भारतीय सेना ने माना हीरो 

कारगिल युद्ध के दौरान, सन् 1947 और 1965 की तरह ही, इस्लामाबाद में अधिकारियों ने इस दुस्साहस में पाकिस्तानी सेना के नियमित सैनिकों के शामिल होने से साफ इनकार कर दिया था. पाकिस्‍तान ने दावा किया था कि घुसपैठिए 'मुजाहिदीन' थे. उस प्रक्रिया के हिस्से के तौर पर पाकिस्तान ने शुरू में खान को उनके बारे में चिट्ठियों के जरिये से सेना के अधिकारी के तौर पर में भारत की तरफ से पहचाने जाने को स्वीकार नहीं किया था. 

वहीं भारतीय सेना ने खान को स्वीकार किया और उनका सम्मान किया. भारतीय सेना के अधिकारी, ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा (रिटायर्ड), जो उस समय रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण टाइगर हिल पर कब्जा करने के लिए 192 माउंटेन ब्रिगेड की कमान संभाल रहे थे, खान के लड़ने के तरीके से प्रभावित हुए. उन्‍होंने खान के लिए एक प्रशस्ति पत्र भी लिखा था. शव सौंपते समय इस प्रशस्ति पत्र को खान की जेब में डाल दिया था. इसके चलते ही अंत में उनकी पहचान हो सकी थी. 

आखिर मुनीर ऐसा क्‍यों कर रहे हैं 

पाकिस्‍तान के जनरल आसिम मुनीर ने कैप्‍टन शेर खान को सम्‍मानित किया है. यह वही पाकिस्‍तानी सैनिक है जिसकी बहादुरी को कारगिल की जंग के समय भारत ने भी सलाम किया था. दिलचस्‍प बात है कि कैप्‍टन शेरखान का शव तक लेने से पाकिस्‍तान ने इनकार कर दिया था. लेकिन अब उसे सम्‍मानित किया जा रहा है. माना जा रहा है कि ऐसा करके मुनीर उस धारणा को बदलना चाहते हैं जिसके तहत यह माना जाता है कि पाकिस्‍तान की सेना सैनिकों का सम्‍मान करना नहीं जानती है. 

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