इस्लामाबाद:
डॉक्टरों के एक समूह ने 14-वर्षीय पाकिस्तानी लड़की मलाला यूसुफजई की रीढ़ की हड्डी के पास लगी गोली को सफलतापूर्वक निकाल लिया है। तालिबान के अत्याचारों के खिलाफ खुलेआम बोलने के विरोध में प्रतिबंधित संगठन ने उसे गोली मार दी थी।
मलाला यूसुफजई के चाचा अहमद शाह ने पेशावर में संवाददाताओं से कहा कि मंगलवार देर रात सेना के अस्पताल में सर्जरी हुई और गोली को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने मलाला को उपचार के लिए पाकिस्तान के बाहर नहीं ले जाने की सलाह दी है। चिकित्सकों ने कहा कि इस स्थिति में यात्रा करना उसके लिए ठीक नहीं है।
उसे पाकिस्तान का पहला राष्ट्रीय शांति युवा पुरस्कार हासिल हुआ था। डॉक्टरों ने कहा कि अगले 10 दिन उसके लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। खबर पख्तूनख्वा सरकार के अधिकारियों ने भी कहा कि तीन घंटे के ऑपरेशन के बाद गोली को निकाला गया। मलाला को मंगलवार को तालिबानी आतंकवादियों ने मिंगोरा में स्कूल बस के अंदर दो गोलियां मारी थीं। मिंगोरा इस्लामाबाद से 160 किलोमीटर दूर स्वात घाटी में है। एक गोली उसके सिर में लगी और नीचे की तरफ जाकर उसकी रीढ़ की हड्डी के पास अटक गई।
तहरीक-ए-तालिबान के प्रवक्ता इहसानुल्ला एहसान ने पत्रकारों को फोन कर हमले की जिम्मेदारी ली। उन्होंने कहा कि मलाला को 'पश्चिम समर्थक' विचारों और तालिबान के खिलाफ 'नकारात्मक प्रचार' करने के कारण निशाना बनाया गया। एहसान ने कहा कि तालिबान का विरोध करने के कारण लड़की को नहीं बख्शा जाएगा और अगर वह बच जाती है, तो फिर निशाना बनाया जाएगा।
स्वात में 2008 में कब्जे के दौरान तालिबान ने लड़कियों के पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब युसुफजई ने 'गुल मकई' के छद्म नाम से बीबीसी उर्दू के लिए ब्लॉगिंग में अपनी पीड़ा और नाराजगी जाहिर की। साथ ही उसने और लड़कियों को आतंकवादियों के खतरे के बावजूद पढ़ाई जारी रखने को कहा। 2009 में सेना ने तालिबान का स्वात से सफाया कर दिया था।
मलाला यूसुफजई के चाचा अहमद शाह ने पेशावर में संवाददाताओं से कहा कि मंगलवार देर रात सेना के अस्पताल में सर्जरी हुई और गोली को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने मलाला को उपचार के लिए पाकिस्तान के बाहर नहीं ले जाने की सलाह दी है। चिकित्सकों ने कहा कि इस स्थिति में यात्रा करना उसके लिए ठीक नहीं है।
उसे पाकिस्तान का पहला राष्ट्रीय शांति युवा पुरस्कार हासिल हुआ था। डॉक्टरों ने कहा कि अगले 10 दिन उसके लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। खबर पख्तूनख्वा सरकार के अधिकारियों ने भी कहा कि तीन घंटे के ऑपरेशन के बाद गोली को निकाला गया। मलाला को मंगलवार को तालिबानी आतंकवादियों ने मिंगोरा में स्कूल बस के अंदर दो गोलियां मारी थीं। मिंगोरा इस्लामाबाद से 160 किलोमीटर दूर स्वात घाटी में है। एक गोली उसके सिर में लगी और नीचे की तरफ जाकर उसकी रीढ़ की हड्डी के पास अटक गई।
तहरीक-ए-तालिबान के प्रवक्ता इहसानुल्ला एहसान ने पत्रकारों को फोन कर हमले की जिम्मेदारी ली। उन्होंने कहा कि मलाला को 'पश्चिम समर्थक' विचारों और तालिबान के खिलाफ 'नकारात्मक प्रचार' करने के कारण निशाना बनाया गया। एहसान ने कहा कि तालिबान का विरोध करने के कारण लड़की को नहीं बख्शा जाएगा और अगर वह बच जाती है, तो फिर निशाना बनाया जाएगा।
स्वात में 2008 में कब्जे के दौरान तालिबान ने लड़कियों के पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब युसुफजई ने 'गुल मकई' के छद्म नाम से बीबीसी उर्दू के लिए ब्लॉगिंग में अपनी पीड़ा और नाराजगी जाहिर की। साथ ही उसने और लड़कियों को आतंकवादियों के खतरे के बावजूद पढ़ाई जारी रखने को कहा। 2009 में सेना ने तालिबान का स्वात से सफाया कर दिया था।
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