इस्लामाबाद/अटारी:
भविष्य के प्रति अनजान 119 पाकिस्तानी हिदुओं ने अधिकारियों से तीर्थयात्रा पूरी कर वापस लौटने का वादा करने के बाद शुक्रवार को भारत में प्रवेश किया।
250 हिंदू तीर्थयात्रियों के समूह का पहला जत्था 119 लोगों के साथ शाम चार बजे वाघा-अटारी सीमा के रास्ते भारत में प्रवेश किया।
अटारी सीमा पर एक तीर्थयात्री ने कहा, "हम यहां तीर्थयात्रा के लिए आए हैं। यद्यपि पाकिस्तान में हमारे लिए स्थितियां आसान नहीं हैं। हम यात्रा के बाद पाकिस्तान लौटेंगे।"
भारत पहुंचे अनेक तीर्थयात्रियों ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान में वे समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनमें से बहुत पर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि भारत में रहने की इजाजत मिले तो यहीं रह जाएं।
पाकिस्तान वापस लौटने का वादा करने के बाद ही पाकिस्तानी अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों को भारत में प्रवेश करने की इजाजत दी।
समाचार पत्र डॉन के मुताबिक आंतरिक मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार रहमान मलिक ने कहा है कि इतनी संख्या में हिंदू परिवारों को भारतीय उच्चायोग द्वारा वीजा जारी किया जाना एक साजिश है।
मलिक, सिंध और बलूचिस्तान से हिंदू परिवारों के भारत पलायन पर पूछे गए एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे।
मलिक ने लाहौर में कहा कि सरकार ने जैकोबाबाद के हिंदुओं को भारत जाने से रोक दिया था और उन्हें जाने की अनुमति तभी दी गई जब इस बात का भरोसा हो गया कि वे भारत में धार्मिक कारणों से शरण नहीं लेंगे जैसा कि पहले किया गया था।
पत्र के अनुसार, "आंतरिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार हिंदू परिवारों को रेलवे प्लेटफार्म पर रोक दिया गया था। वे इस बात को लेकर नाराज हो गए कि वीजा होने के बावजूद उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा है।"
इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं।
बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है।
ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे।
ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे।
जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं।
250 हिंदू तीर्थयात्रियों के समूह का पहला जत्था 119 लोगों के साथ शाम चार बजे वाघा-अटारी सीमा के रास्ते भारत में प्रवेश किया।
अटारी सीमा पर एक तीर्थयात्री ने कहा, "हम यहां तीर्थयात्रा के लिए आए हैं। यद्यपि पाकिस्तान में हमारे लिए स्थितियां आसान नहीं हैं। हम यात्रा के बाद पाकिस्तान लौटेंगे।"
भारत पहुंचे अनेक तीर्थयात्रियों ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान में वे समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनमें से बहुत पर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि भारत में रहने की इजाजत मिले तो यहीं रह जाएं।
पाकिस्तान वापस लौटने का वादा करने के बाद ही पाकिस्तानी अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों को भारत में प्रवेश करने की इजाजत दी।
समाचार पत्र डॉन के मुताबिक आंतरिक मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार रहमान मलिक ने कहा है कि इतनी संख्या में हिंदू परिवारों को भारतीय उच्चायोग द्वारा वीजा जारी किया जाना एक साजिश है।
मलिक, सिंध और बलूचिस्तान से हिंदू परिवारों के भारत पलायन पर पूछे गए एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे।
मलिक ने लाहौर में कहा कि सरकार ने जैकोबाबाद के हिंदुओं को भारत जाने से रोक दिया था और उन्हें जाने की अनुमति तभी दी गई जब इस बात का भरोसा हो गया कि वे भारत में धार्मिक कारणों से शरण नहीं लेंगे जैसा कि पहले किया गया था।
पत्र के अनुसार, "आंतरिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार हिंदू परिवारों को रेलवे प्लेटफार्म पर रोक दिया गया था। वे इस बात को लेकर नाराज हो गए कि वीजा होने के बावजूद उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा है।"
इससे पहले मीडिया की खबरों में कहा गया था कि दुकानों में लूटपाट, मकानों पर हमले और महिलाओं को जबरन इस्लाम कबूल करवाने की घटनाओं के बाद तमाम हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर रहे हैं।
बड़े पैमाने पर हिंदू परिवारों के भारत पलायन के बाद सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चुस्त करने का निर्णय लिया है।
ज्ञात हो कि सिंध प्रांत में असुरक्षा के कारण सात हिंदू परिवार बुधवार को जकोबाबाद से भारत पलायन कर गए। इनमें पुरुषों, महिलाओं व बच्चों सहित कुल 90 लोग शामिल थे।
ये सभी हिंदू रेल गाड़ी से रवाना हुए। बड़ी संख्या में उनके रिश्तेदारों व समुदाय के लोगों ने उन्हें जैकोबाबाद रेलवे स्टेशन पर विदाई दी। लाहौर पहुंचने के बाद भारत में प्रवेश करने की इच्छा के साथ वे वाघा सीमा पहुंचे।
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब छह महीने पहले इसी इलाके से 52 हिंदू परिवार भारत पलायन कर गए थे।
जैकोबाबाद के पुलिस अधिकारी मोहम्मद युनूस ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है और हिंदू समुदाय के लोग भारत में बसने नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं।
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