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पाकिस्तान खुद हमला करके खेल रहा विक्टिम कार्ड? कहा अब तालिबान पर कोई भरोसा नहीं, उनका ये कैसा इस्लाम है

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के अंदर हवाई हमला करके 9 बच्चों और एक महिला को मौत के घाट उतार दिया है. अब वहां के रक्षा मंत्री ने कहा है कि उन्हें तालिबान पर कोई भरोसा नहीं रह गया है.

पाकिस्तान खुद हमला करके खेल रहा विक्टिम कार्ड? कहा अब तालिबान पर कोई भरोसा नहीं, उनका ये कैसा इस्लाम है
  • पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि अफगान तालिबान से बातचीत का कोई मतलब अब नहीं रह गया है
  • तालिबान ने पाकिस्तान पर अफगानिस्तान के अंदर हवाई हमले कर नौ बच्चों और एक महिला की मौत का आरोप लगाया है
  • पाकिस्तान ने तालिबान के आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए नागरिक हताहत होने की बात से इनकार किया है
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव चरम पर है और इस हद तक है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना को तालिबान पर जरा भी भरोसा नहीं रह गया है. यह बात खुद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ बोल रहे हैं. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान के लिए अफगान तालिबान से बात करने का कोई मतलब नहीं रह गया है और उसे तालिबान से कोई और सकारात्मक उम्मीदें नहीं हैं. उन्होंने यह बयान उस समय दिया है जब तनावपूर्ण संबंधों के बीच तालिबान ने बताया है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के अंदर हवाई हमला करके 9 बच्चों और एक महिला को मौत के घाट उतार दिया है.

मंगलवार, 25 नवंबर को अफगानिस्तान को चलाने वाले तालिबान शासन के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने दावा किया कि पाकिस्तान ने पड़ोसी देश में रात भर हमले किए हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने खोस्त प्रांत पर "बमबारी" की और कुनार और पक्तिका प्रांतों में हवाई हमले किए. हालांकि पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है.

जियो न्यूज के साथ एक इंटरव्यू में यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान किसी भी हमले या नागरिक हताहत होने से इनकार कर रहा है, पाक रक्षा मंत्री ने जवाब दिया: "दोनों चीजें इस समय नहीं हुई हैं. हम प्रतिक्रिया देते हैं और जवाबी कार्रवाई करते हैं, लेकिन (नागरिकों को निशाना बनाना) बिल्कुल भी हमारा तरीका नहीं है. हमारे पास एक अनुशासित फोर्स है जिसमें परंपराएं और आचार संहिता है; हम तालिबान की तरह एक कट्टरपंथी समूह नहीं हैं, जिनके पास कोई कोड नहीं है. न आचरण, न धर्म, न परंपराएं.”

उन्होंने कहा, "लेकिन आप जानते हैं, आशा हमेशा मौजूद रहनी चाहिए जब तक कि सभी सीमाएं पार न हो जाएं. लेकिन आज, हम उन्हें (तालिबान) पूरी तरह से खारिज कर रहे हैं और हमें उनसे कोई अच्छी उम्मीद नहीं है."

उन्होंने पूछा कि अफगान तालिबान किस इस्लामी कानून का पालन करते हैं जिसके तहत उन्हें दशकों तक अपने पड़ोसी के घर में रहना पड़ता है और फिर वहीं खून बहाना पड़ता है.

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