पाकिस्तानी इन दिनों भीषण आर्थिक संकट (Pakistan Economic Condition) से गुजर रहा है. पाकिस्तानी रुपये की कीमत तेजी से घटती जा रही है. अपने पुराने कर्जे को चुकाने के लिए पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट पैकेज की मांग की है, जिसे खारिज कर दिया गया. इस बीच पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) ने बड़ा दावा किया है. शहबाज शरीफ ने शनिवार को दावा किया कि एक अज्ञात पाकिस्तानी नागरिक ने विनाशकारी भूकंप प्रभावित तुर्की-सीरिया में पीड़ितों की मदद के लिए 30 मिलियन डॉलर दान किया है.
पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने कहा कि उनके देश का एक गुमनाम नागरिक संयुक्त राज्य अमेरिका में तुर्की दूतावास गया और सहायता राशि दान की. शरीफ ने ट्वीट किया, 'एक गुमनाम पाकिस्तानी के उदाहरण से मैं बहुत प्रभावित हुआ. उसने अमेरिका में तुर्की दूतावास में जाकर तुर्की-सीरिया में भूकंप पीड़ितों के लिए 30 मिलियन डॉलर का दान दिया है. ये परोपकार के ऐसे शानदार काम हैं, जो मानवता को दुर्गम प्रतीत होने वाली बाधाओं पर विजय प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं.'
Deeply moved by the example of an anonymous Pakistani who walked into Turkish embassy in the US & donated $30 million for earthquake victims in Türkiye & Syria. These are such glorious acts of philanthropy that enable humanity to triumph over the seemingly insurmountable odds.
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) February 11, 2023
हालांकि, शरीफ द्वारा की गई गर्व की घोषणा पाकिस्तानियों के गले नहीं उतरी. ट्विटर पर कुछ पाकिस्तानियों ने सवाल किया कि देश की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद परोपकारी व्यक्ति ने पाकिस्तान को राशि दान क्यों नहीं दी? लेखिका आयशा सिद्दीकी ने कहा कि यह दिलचस्प है कि परोपकारी व्यक्ति पाकिस्तानी दूतावास में क्यों नहीं गए और बाढ़ राहत कार्य के लिए धन दान नहीं किया.
एक अन्य यूजर ने लिखा, "आप कैसे जानते हैं कि गुमनाम शख्स पाकिस्तानी था? भारतीय भी हो सकता है. गुमनाम शख्स ने अपना नाम नहीं बताया बल्कि अपनी राष्ट्रीयता बताई. बढ़िया..." एक और यूजर ने शहबाज शरीफ और उनकी सरकार पर निशाना साधा और लिखा: "वहां एक कारण है कि इस तरह के परोपकारी पाकिस्तान के दूतावास में नहीं चलते हैं! आप जैसे भ्रष्ट मनी लॉन्डर्स के कारण !!"
एक अन्य यूजर ने कहा, "यह गुमनाम पाकिस्तानी अपने देश के लिए इतनी अधिक राशि दान कर सकता था, आप कहां के पीएम हैं! पाकिस्तान को पैसे की सख्त जरूरत है, लेकिन उसने ऐसा क्यों नहीं किया? वह जानता है कि सरकार में बैठे चोर विवेकपूर्ण तरीके से अपना पैसा खर्च नहीं करेंगे. विचार करना और शर्म से मरना सीखो."
बता दें कि 2019 में इमरान खान की सरकार के रहते आईएमएफ ने पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज के तहत 6 बिलियन डॉलर से ज्यादा की मदद देने का वादा किया था. अब इसी वादे के तहत पाकिस्तान आईएमएफ से 1.1 बिलियन डॉलर की एक और किश्त मांग रहा है. हालांकि इसके लिए 10 दिनों तक चली यह बैठक बेनतीजा रही. बीते शुक्रवार को आईएमएफ की टीम पाकिस्तान से वापस लौट गई.
आईएमएफ का कहना है कि पाकिस्तान पहले से ही 900 अरब डॉलर सर्कुलर कर्ज का सामना कर रहा है. ऐसे में अगर अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए पाकिस्तान सरकार अभी कोई कड़ा फैसला नहीं लेती है, तो इससे पार पाने में आगे काफी मुश्किल होगी. ऐसे में पाकिस्तान की जनता से अलग-अलग टैक्स के जरिए 170 अरब रुपए वसूलने की सलाह दी गई है.
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