
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के राजनीति में वापसी के मंसूबों पर पानी फेरते हुए एक अदालत ने संविधान को दो बार निरस्त करने और वर्ष 2007 में आपातकाल के दौरान न्यायाधीशों को हिरासत में लिए जाने के लिए उनपर आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया।
मुख्य न्यायाधीश दोस्त मुहम्मद खान की अध्यक्षता वाली पेशावर हाई कोर्ट के चार न्यायाधीशों की पीठ ने यह प्रतिबंध लगाया और मुशर्रफ की 11 मई को होने वाले आम चुनाव के लिए नामांकन पत्र को नामंजूर किए जाने को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया।
पीठ ने कहा कि आजीवन प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है क्योंकि मुशर्रफ ने दो बार संविधान को निरस्त किया और वर्ष 2007 में आपातकाल के दौरान न्यायाधीशों को हिरासत में लिया। उसने कहा कि मुशर्रफ को राष्ट्रीय, प्रांतीय और सीनेट के चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाता है।
मुशर्रफ के एक वकील साद शिबली ने कहा कि वह इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
इससे पहले, चुनाव अधिकारियों ने मुशर्रफ के सत्ता में रहने के दौरान किए गए कृत्यों की वजह से इस्लामाबाद, पंजाब, सिंध और खबर-पख्तूनख्वा में चार संसदीय सीटों से उनके नामांकन पत्र को खारिज कर दिया था।
मुख्य न्यायाधीश दोस्त मुहम्मद खान की अध्यक्षता वाली पेशावर हाई कोर्ट के चार न्यायाधीशों की पीठ ने यह प्रतिबंध लगाया और मुशर्रफ की 11 मई को होने वाले आम चुनाव के लिए नामांकन पत्र को नामंजूर किए जाने को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया।
पीठ ने कहा कि आजीवन प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है क्योंकि मुशर्रफ ने दो बार संविधान को निरस्त किया और वर्ष 2007 में आपातकाल के दौरान न्यायाधीशों को हिरासत में लिया। उसने कहा कि मुशर्रफ को राष्ट्रीय, प्रांतीय और सीनेट के चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाता है।
मुशर्रफ के एक वकील साद शिबली ने कहा कि वह इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
इससे पहले, चुनाव अधिकारियों ने मुशर्रफ के सत्ता में रहने के दौरान किए गए कृत्यों की वजह से इस्लामाबाद, पंजाब, सिंध और खबर-पख्तूनख्वा में चार संसदीय सीटों से उनके नामांकन पत्र को खारिज कर दिया था।
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