वाशिंगटन:
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कांग्रेस को सूचित किया है कि पाकिस्तान के आतंकवाद निरोधी कदमों का इस साल कोई परिणाम नहीं मिला है। वहां आतंकवादी गतिविधियों को आधार मिल रहा है और सेना के सामने हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। ओबामा द्वारा कांग्रेस को भेजी गयी व्हाइट हाउस की एक रिपोर्ट में लिखा है, वर्ष 2010 में आई बाढ़ के बाद चार महीने की शांति के पश्चात आतंकवाद प्रभावित हिंसा की वापसी दिखाती है कि उग्रवादी तत्व किस तरह बचने में और यहां तक कि उन इलाकों में पहुंचने में सफल रहे हैं जो पाकिस्तानी सेना ने पहले साफ कर दिए थे। कांग्रेस को जानकारी दी गयी है कि कांग्रेस के कहने पर ओबामा प्रशासन द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट..आतंकवाद निरोधक अभियानों में पाकिस्तान के प्रयास के एक प्रमुख सूचकांक में पाकिस्तान के रुझान दरअसल स्थिर से कम होने और उससे नकारात्मक रुझानों की ओर बढ़े हैं। 25 पन्नों की यह अफ.पाक रिपोर्ट ओबामा ने शुक्रवार को कांग्रेस में दाखिल की, जिसमें इस साल जनवरी से अगस्त के बीच पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान में आतंकवाद के मुकाबले में हुई प्रगति का ब्योरा है। रिपोर्ट का चौथा मापदंड, पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधी क्षमताओं का विकास, आतंकवाद और आतंकवादी समूहों को हराने के पाकिस्तान के प्रयासों को सतत समर्थन है। जिस पर हुई प्रगति के बारे में व्हाइट हाउस की रिपोर्ट कहती है कि इस उद्देश्य के लिहाज से संकेतक एक जनवरी से 31 मार्च तक स्थिर रहे। रिपोर्ट के अनुसार एक अप्रैल से 30 जून के दौरान उद्देश्य पूर्ति में कमी आई वहीं एक जुलाई से 31 अगस्त तक इसमें लगातार नकारात्मक रुझान देखे गए। रिपोर्ट कहती है, सीमा-पार समन्वय और सहयोग में हुई प्रगति के सामने चुनौतियां बढ़ी हैं, वहीं पाकिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की कमी पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधी व उग्रवाद निरोधी कार्रवाई में योगदान की अमेरिकी क्षमता की कमी का सतत रुझान दिखाता है। रिपोर्ट के अनुसार, संघीय प्रशासित कबायली क्षेत्रों (फाटा) में पाकिस्तानी सैन्य कार्रवाई जारी है लेकिन सुरक्षा और सरकारी बलों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधि तथा उच्चस्तरीय हमले सुरक्षा हालात में गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं। व्हाइट हाउस की रिपोर्ट के अनुसार सीमा-पार विवाद की घटनाओं को निष्प्रभावी करने के लिए और अधिक मजबूत संचार तथा सहयोग की प्रणाली विकसित करने के प्रयासों के बावजूद इस अवधि में अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है वहीं समन्वय तथा सहयोग में कुल मिलाकर गिरावट आयी है। इसके अनुसार, अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर उग्रवादी गतिविधियां दोनों देशों में स्थिरता के प्रयासों के लिए चुनौती बनी हुई हैं। रिपोर्ट कहती है, सीमा पर तनाव कम करने में उच्चस्तरीय अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल (आईएसएएफ), अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा बल (एएनएसएफ) और पाकिस्तानी सेना की भागीदारी के नतीजतन दक्षिण में गोलाबारी की घटनाओं में कमी आई लेकिन पूरी फाटा सीमा पर कई चुनौतियां अनसुलझी बनी हुई हैं, जिनके और बढ़ने के आसार बने हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी सेना ने उत्तरी वजीरिस्तान से औरकजाई की तिराह घाटी और खबर में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने व स्थानीय कबायली लोगों के खिलाफ हमलों को कम करने के लिहाज से फाटा की खबर और कुर्रम एजेंसियों में इस अवधि के दौरान दो नयी आतंकवाद निरोधी (कॉइन) कार्रवाई शुरू की। रिपोर्ट ने कहा, ये नयी आक्रामक गतिविधियां अंतत: उग्रवादियों तथा पाकिस्तानी सेना के बीच संतुलन को नहीं बदलतीं। इसके अलावा आतंकवादी हमले जारी हैं और पुलिस व सेना के जवान और इमारतें घरेलू उग्रवादियों व आतंकवादियों का प्राथमिक निशाना बन रहे हैं।