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This Article is From Nov 16, 2016

ग्लोबल वॉर्मिंग पर ट्रंप को ओबामा प्रशासन की सलाह, सत्ता में होने पर मुद्दे अलग तरीके से दिखते हैं

ग्लोबल वॉर्मिंग पर ट्रंप को ओबामा प्रशासन की सलाह, सत्ता में होने पर मुद्दे अलग तरीके से दिखते हैं
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
माराकेश: संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून के भाषण के एक दिन बाद अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने भी अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर पीछे न हटने को कहा. ट्रंप की धमकी की ओर इशारा करते हुए कैरी ने कहा कि चुनाव प्रचार में बहुत कुछ कहा जाता है, लेकिन पदभार संभालने पर मुद्दे दूसरी तरह से देखने पड़ते हैं.

ट्रंप अपने चुनाव प्रचार के दौरान जलवायु परिवर्तन के खतरे को हौव्वा बताते रहे हैं और उन्होंने ये कहा कि वह राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका को पिछले साल हुई पेरिस डील से बाहर निकाल लेंगे. लेकिन मोरक्को में अमेरिकी विदेश मंत्री ने जलवायु परिवर्तन के खतरों को एक सच्चाई बताते हुए कहा कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इससे लड़ना होगा.

कैरी ने ट्रंप के बयान की ओर इशारा करते हुए कहा, 'जलवायु परिवर्तन सम्मेलन शुरू होने के साथ ही मेरे देश में एक चुनाव हुआ और मुझे पता है कि इससे कई लोगों के दिमाग में भविष्य को लेकर अनिश्चितता है. मैं नहीं जानता और यहां पर नहीं कह सकता कि हमारे नए राष्ट्रपति क्या नीतियां अपनाएंगे, लेकिन मैं आपसे ये बात कह सकता हूं. जितना समय मैंने सार्वजनिक जीवन में बिताया है उसमें एक बात सीखी है कि चुनाव प्रचार में बयान देना अलग बात है लेकिन सत्ता में आने के बाद कुछ विषय आपको बिल्कुल अलग तरीके से देखने होते हैं.'

इससे पहले मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी कहा था उन्हें उम्मीद है कि डोनाल्ड ट्रंप अपने 'चुनावी बयान' की फिर से समीक्षा करेंगे. कैरी ने मंगलवार को दिए मून के भाषण की तर्ज पर ही सौर ऊर्जा और साफ सुथरी ऊर्जा से जुड़े साधनों के बाज़ार का जिक्र किया और कहा कि खेल के नियम अब सरकारें नहीं बल्कि बाज़ार तय करेगा.

कैरी ने अपने घंटे भर के भाषण में पेरिस डील को लेकर सारे देशों के सहयोग और ओबामा के रोल का ज़िक्र किया और कहा कि अगर पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मामले में अभी कुछ नहीं किया गया तो ये एक 'नैतिक असफलता' होगी.

ज़ाहिर है पेरिस में हुए समझौते के महत्व और तमाम देशों की प्रतिबद्धता को देखते हुए ट्रंप पर चौतरफा दबाव बनाने की कोशिश हो रही है. पेरिस में हुई डील के तहत अमेरिका को न केवल अपना कोयले और शेल गैस का इस्तेमाल घटाना होगा, बल्कि उस पर गरीब और विकासशील देशों को पैसे और टेक्नोलॉजी की मदद करने की ज़िम्मेदारी भी है. ट्रंप जनवरी में अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने वाले हैं और इस बात पर सबकी नज़र है कि वह इस प्रतिबद्धता को मानेंगे या पेरिस डील से अमेरिका को बाहर कर देंगे.
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