श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Sri Lanka's President Ranil Wickremesinghe) ने प्रदर्शनकारियों से मिली धमकियों का जिक्र करते हुए रविवार को कहा कि उनके "घर जाने" की मांग करने का कोई मतलब नहीं है. क्योंकि उनके पास जाने के लिए कोई घर नहीं है. कोलंबो गजट की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका के एक शहर कैंडी में बोलते हुए विक्रमसिंघे ने कहा कि कुछ लोगों ने उनके घर जाने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन करने की धमकी दी है.
इसके जवाब में विक्रमसिंघे ने कहा, "मैं आपसे अपील कर रहा हूं कि ऐसा न करें क्योंकि मेरे पास जाने के लिए कोई घर नहीं है. विक्रमसिंघे ने आगे कहा कि उनसे घर जाने की मांग करना सिर्फ समय की बर्बादी है, इसके बजाय प्रदर्शनकारियों को उनके जले हुए घर को फिर से बनाने की कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने कहा, "जिस व्यक्ति के पास घर नहीं है, उसे घर जाने के लिए कहने का कोई मतलब नहीं है. घर के पुनर्निर्माण के बाद प्रदर्शनकारी मांग कर सकते हैं कि वह घर जाए.".
बता दें कि 9 जुलाई को, श्रीलंका के प्रदर्शनकारियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास को आग लगा दी थी. तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग के साथ, वे परिसर में घुस गए थे. पुलिस द्वारा लगाए गए सुरक्षा घेरे को भी उन्होंने तोड़ दिया था. साथ ही स्विमिंग पूल में डुबकी लगाई और उनकी रसोई और घर में घूमे थे. वहीं तत्कालीन राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद, विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति के रूप में चुना गया. विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने का विरोध प्रदर्शनकारियों द्वारा किया गया.
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