
आतंकवाद की सभी रूपों और सभी प्रकारों में निंदा करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आज कहा कि किसी भी देश की धरती का इस्तेमाल उसके पड़ोसियों को अस्थिर करने के लिए नहीं होना चाहिए।
व्हाइट हाउस में अपनी पहली मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने कई मुद्दों पर चर्चा की जिनमें हिंसक चरमपंथ और आतंकवाद का मुद्दा प्रमुख रहा।
बैठक के बाद जारी किए गए एक संयुक्त बयान में कहा गया, दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी देश के क्षेत्र का इस्तेमाल उसके पड़ोसियों को अस्थिर करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही दोनों नेताओं ने इस बात को रेखांकित किया कि चरमपंथ और आतंकवाद मानवता के लिए एक समान चुनौती हैं और इसका समाधान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग तथा साझा प्रयासों में निहित है। हालांकि ओबामा ने पाकिस्तान में ड्रोन हमलों की समाप्ति की शरीफ की इच्छा पर कोई टिप्पणी नहीं की। यह मुद्दा क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध और सुरक्षा की संपूर्ण स्थिति के संदर्भ में उठा था।
ओबामा ने कहा, हमने सुरक्षा और चिंता के साझा मुद्दों पर बातचीत की जिनमें विवेकहीन हिंसा, आतंकवाद और चरमपंथ शामिल था। और हम इस बात पर सहमत हुए कि हमें एक साथ आगे बढ़ने के लिए सृजनात्मक उपायों को बनाए रखने की जरूरत है। उन उपायों को जो पाकिस्तान की स्वायत्तता का सम्मान करते हैं... जो दोनों देशों की चिंताओं का सम्मान करते हैं।
दोनों देशों के आगे बढ़ने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति किए जाने की उम्मीद जाहिर करते हुए ओबामा ने कहा कि वह इस बात को जानते हैं कि शरीफ पाकिस्तान की सीमाओं के भीतर आतंकवाद की इन घटनाओं को कम करने के अपने प्रयासों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और साथ ही उस तीव्रता को भी कम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिनके चलते ये गतिविधियां अन्य देशों तक फैल रही हैं। अपनी टिप्पणी में शरीफ ने कहा कि आतंकवाद भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए एक साझा खतरा है।
बयान के अनुसार, ओबामा ने अल-कायदा को परास्त करने में पाकिस्तान के प्रयासों के लिए शरीफ का आभार व्यक्त किया और दोनों नेताओं ने आतंकवाद तथा चरमपंथ के खिलाफ संघर्ष में सैन्यकर्मियों और नागरिकों की शहादत के लिए गहरा दुख जताया।
इसके साथ ही ओबामा ने इस बात को स्वीकार किया कि यह आसान नहीं है। उन्होंने कहा, यह एक चुनौती है। शरीफ ने आतंकवाद को परास्त करने के मुख्य मकसद को हासिल करने के लिए प्रभावी आतंकवाद विरोधी सहयोग करने के अपने दृष्टिकोण को भी साझा किया।
साझा बयान के अनुसार, परमाणु आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण खतरा बताते हुए ओबामा और शरीफ ने दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय संतुलन तथा स्थिरता के महत्व और सभी लंबित मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में अधिक पारदर्शिता तथा निर्बाध वार्ता के महत्व को स्वीकार किया।
बयान के अनुसार, शरीफ ने प्रसार और निरस्त्रीकरण के वैश्विक लक्ष्यों के लिए पाकिस्तान का समर्थन दोहराया। इसके साथ ही बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने इस बात को रेखांकित किया कि सभी पक्षों को अधिकतम संयम बरतते हुए लगातार दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में संयुक्त रूप से काम करना चाहिए। शरीफ ने बहुपक्षीय निर्यात व्यवस्था में शामिल होने के लिए पाकिस्तान की इच्छा का भी इजहार किया।
ओबामा ने परमाणु सुरक्षा के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता और समर्पण में भरोसा जताया और साथ ही इस बात को स्वीकार किया कि पाकिस्तान परमाणु सुरक्षा तथा सुरक्षा मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ पूरी तरह लगा हुआ है ।
बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत (टीएपीआई) पाइपलाइन परियोजना पर हुई तरक्की का स्वागत किया।
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