नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नायब और पंडित जवाहरलाल नेहरू के 'पुराने दोस्त' एसीएन नाम्बियार सोवियत संघ के जासूस थे। ब्रिटिश दस्तावेजों में यह दावा किया गया है।
ब्रिटेन के राष्ट्रीय अभिलेखागार के जो गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक किए गए हैं। उनके अनुसार नाम्बियार 1924 में एक पत्रकार के रूप में बर्लिन गए थे और वहां भारतीय कम्युनिस्ट समूह के साथ मिलकर काम किया था। वह 1929 में सोवियत के 'मेहमान' के रूप में मॉस्को गए थे।
दस्तावेजों में कहा गया है कि द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू होने के बाद नाम्बियार को जर्मनी से निर्वासित कर दिया गया, लेकिन बाद में उन्हें बोस के नायब के तौर पर बर्लिन आने की मंजूरी दे दी गई।
इसके बाद जब बोस जापान के साथ जुड़ने के लिए जर्मनी से सुदूर पूर्व गए तो नाम्बियार को यूरोप में आजाद हिंद फौज के वित्तीय नेता (जर्मन) की जिम्मेदारी सौंपी गई।
अभिलेखागार की ओर से जारी बयान के अनुसार नाम्बियार भारतीय युद्धबंदियों को मिलाकर बने उस भारतीय सैन्य समूह से भी संबंधित थे जिसे 1944 में सोवियत संघ ने अपने साथ मिलाया था।
नाम्बियार को जून, 1945 में ऑस्ट्रिया में गिरफ्तार किया गया और नाजियों से सांठगांठ के तौर पर पूछताछ की गई थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नाम्बियार स्विट्जरलैंड के बर्न स्थित भारतीय मिशन में बतौर वाणिज्य दूत तथा स्कैंडीनाविया में बतौर भारतीय राजदूत काम करने लगे और बाद में पश्चिम जर्मनी चले। इसके बाद उन्होंने 'हिंदुस्तान टाइम्स' के यूरोपीय संवाददाता के रूप में काम किया। दस्तावेजों में दावा किया गया कि नाम्बियार को औद्योगिक खुफिया गतिविधियों को कवर करने के लिए तैनात किया गया था।
ब्रिटिश दस्तावेजों में यूरोप और जर्मनी में नेताजी की आजाद हिंद से संबंधित गतिविधियों के नाम एवं विवरण शामिल हैं। दस्तोवजों में उन पत्रों की प्रतियां भी हैं जो नाम्बियार ने बोस को लिखे थे। ये पत्र जर्मनी की पनडुब्बी यू-बोट 234 से बरामद किए गए थे।
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